वो मेरी बहनों को हैदराबाद में बेच देते…चार बहनों और मां के कत्लेआम वाले मामले में जिस्मफरोशी का ये एंगल क्या है
लखनऊ:
लखनऊ के होटल में चार बहनों समेत अपनी मां की हत्या करने के बाद आरोपी मोहम्मद अरशद ने ऐसा करने के पीछे जो कारण बताया है वो बेहद हैरान करने वाला है. इस वीडियो में आरोपी मोहम्मद अरशद ने जो आरोप लगाए हैं वो भी बेहद संगीन हैं. उसकी मानें तो वो अपने परिवार के साथ आगरा में जहां रहता था वहां से पहले भी कई लड़कियों हैदराबाद ले जाकर बेचा गया है. और उसे डर था कि अगर वह इस घर को लेकर हुए विवाद में जेल गया तो बस्ती वाले उसकी बहनों को भी हैदराबाद ले जाकर बेच देंगे. अरशद के इन आरोपों के बीच अब ये बड़ा सवाल है कि क्या आगरा में ऐसा होता है. और अगर है तो क्या इसकी जानकारी पुलिस को नहीं है. और अगर पुलिस को इसकी जानकारी है तो क्या समय रहते लड़कियों को बिकने से रोकने के लिए प्रशासन ने कभी कोई कदम उठाए या नहीं. बहरहाल ये तो जांच का विशष है. हम पहले आपको आरोपी शख्स अरशद के वीडियो के अंश की वो बाते बताने जा रहे हैं जिसमें उसने अपनी बहनों के बेचे जाने का डर जताया था.
‘वे हमारी बहनों को बेचना चाहते थे’
इस वीडियो अरशद ने कहा कि हमने इनके खिलाफ कार्रवाई करने की कोशिश की, लेकिन नहीं करवा सके. हमारी मौत के जिम्मेदार सिर्फ यह बस्ती वाले हैं.हमारी मौत की जिम्मेदार पूरी बस्ती है. रानू और आफताब अहमद, अलीम खान, सलीम, ड्राइवर, अहमद, आरिफ, अजहर और रिश्तेदार हैं.ये बहुत बड़ा गैंग चलाते हैं. लड़कियों के बेचते हैं.इन लोगों का यह प्लान था कि हम लोगों की किसी झूठे केस में जेल पहुंचाकर हमारी बहनों को बेच दिया जाए. हैदराबाद में लड़कियों को सप्लाई किया जाता है, उनकी प्लान हमारी बहनों को बेचने का था.भैया हम यह नहीं चाहते थे, इसलिए मजबूरन हमें इस वक्त दो बजे वक्त मुझे अपनी बहनों को गला दबाकर और हाथ की नस काटकर मारना पड़ा है.
‘मैंने अपने हाथ से उन्हें मारा है ‘
अरशद इस वीडियो में आगे कहता है कि अपने हाथ से मारा है मैंने इन्हें. अपने बाप के साथ मिलकर. क्या करूं. इनको बिकता हुआ देखूं हैदराबाद में. आप लोग कहते हो कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ. ऐसे ऐसे मुसलमान न जाने कहां से आकर हिंदुस्तान में बस गए हैं.कोई अपनी बेटी बचा सकता है, पढ़ा सकता है. न जाने कितने गरीब लोगों की बेटियों को उठा उठाकर हैदराबाद में बेच दिया गया, मर रही होंगी. तड़प रही होंगी. हम वह चीज नहीं चाहते. मजबूर हैं.
‘बेचारी बहुत तड़पी हैं आज’
अरशद ने आगे कहा कि हमारे पास जमीन के पास कागज हैं. लेकिन ये बस्ती वाले. चौकी अपने कब्जे में कर रखी है. पैसे खिलाकर बच जाते हैं.योगी जी वह घर किसी के हाथ में न जाने देना. जान बसी है उसमें हमारी. हमने मंदिर को दान किया है. मंदिर ही बने उसमें. इतना जरूर है कि हमें जलाओ या दफनाओ. इन लोगों को इंसाफ दिलाए. ये बेचारी बहुत तड़पी हैं आज. इनकी इज्जत बताई है हमने.