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"यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात…": जानें सांसदों के निलंबन पर शशि थरूर और डिंपल यादव सहित किसने क्या कहा

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, “यह स्पष्ट है कि वे विपक्ष-मुक्त लोकसभा चाहते हैं और वे राज्यसभा में भी कुछ ऐसा ही करेंगे…आज, अपने सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाते हुए, मैं भी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुआ लेकिन जो भी उपस्थित थे उन्हें शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है, जिसका अर्थ है कि वे बिना किसी चर्चा के अपने विधेयकों को पारित करना चाहते हैं. मुझे लगता है कि यह संसदीय लोकतंत्र के साथ विश्वासघात है.”

वहीं,  लोकसभा से 40 से ज्यादा विपक्षी सांसदों के निलंबन पर  सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा, “आज लगभग 40 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए हैं. कल भी लोकसभा और राज्यसभा में मिलाकर 80 से ज्यादा सांसद निलंबित हुए. यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है. जो वातावरण हम देख रहे हैं, जहां हम संसद में अपनी बात नहीं रख पा रहे हैं वह सरकार की पूरी विफलता को दर्शाता है.”

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कहा, “यह सरकार सही बात सुनना नहीं चाहती है. भाजपा से यह पूछना चाहिए कि वे लोकतंत्र का मंदिर बोलते हैं. हम सब अपने भाषणों में लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं. ये किस मूंह से इसे लोकतंत्र का मंदिर कहते हैं, जब ये विपक्ष को बाहर कर रहे हैं. अगर ये दूसरी बार सरकार में आ गए तो यहां बाबासाहेब अंबेडकर का संविधान नहीं बचेगा.”

विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, “यह संसद के अंदर अराजकता के अलावा और कुछ नहीं है…उन्हें हमारे देश की संसदीय प्रणाली पर रत्ती भर भी भरोसा नहीं है. इसलिए संसद में अराजकता, अराजकता और अराजकता के अलावा कुछ नहीं है.”

कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कहा, “…हम सदन में क्यों आते हैं, वाद-विवाद करने के लिए. सरकार कोई गलत काम करे तो उसकी आलोचना करने के लिए, तो वे हमें निकालकर यह नहीं तय कर सकते कि सदन में हमारी आवाज़ खामोश हो जाए. हम अंतिम पल तक पूरी शक्ति के साथ लोकतांत्रिक ढंग से लड़ेंगे.”

विपक्षी सांसदों के निलंबन पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि  मुझे बहुत दुःख है कि इतिहास में पहली बार इतने सांसदों को सस्पेंड किया गया. ये लोकतंत्र की धज्जियाँ उड़ाने जैसा है, सदन की मर्यादा पर गहरी ठेस है.

सपा सांसद दानिश अली ने कहा कि यही तो नई भारत की नई परिभाषा है कि गाली देने वाले सांसद अंदर बैठेंगे और सवाल पूछने वाले बाहर. संसद के अंदर घुसपैठियों को लाने वाले अंदर बैठेंगे और सरकार से सवाल पूछने वाले बाहर. हम सरकार से सवाल पूछेंगे तो हमको सस्पेंड किया जाएगा .सदन की गरिमा सरकार से सवाल पूछने से खत्म नहीं होती है कि जब भाजपा के सांसद सदन में गाली देते हैं तब मर्यादा भंग होती है.

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लोग जनशक्ति पार्टी के सांसद चिराग पासवान ने कहा कि इतनी बार वार्निंग देने के बाद यह होना ही था.इतनी बार आपको समझाया गया वह भी तब जब सर्वसम्मति से एक नियम कायदे बने थे. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आप इस सत्र को पूरी तरह से बाधित नहीं कर सकते . यह गलत परंपरा है. एक बयान के लिए पूरे सदन को कैसे बाधित कर सकते हैं?

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