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दिल्ली में लगी है ये खास आर्ट एग्जीबिशन, बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों का दर्द बयां करती है ये प्रदर्शनी


नई दिल्ली:

हर साल उत्तरी बिहार के लाखों लोगों को मॉनसून सीजन के दौरान बाढ़ का प्रकोप झेलना पड़ता है. इस दौरान बाढ़ पीड़ितों की जीविका छिन जाती है, ग्रांमीण क्षेत्र के सैकड़ों गावों के बड़े इलाके में खरीफ की फसल बर्बाद होती है और ग्रामीण सड़कें टूट जाती हैं. इस प्राकृतिक आपदा की वजह से उत्तरी भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह से प्रभावित होती है. जलवायु परिवर्तन के इस दौर में बाढ़ का ये संकट बड़ा हो रहा है, और इसका प्रकोप भी बड़ा होता जा रहा है.

उत्तरी बिहार के लाखों लोगों के इस सालाना संघर्ष को सामाजिक विकास कार्यकर्ता और फोटोग्राफर एकलव्य प्रसाद ने तस्वीरों और संवेदनशील दृश्यों के ज़रिये परिभाषित करने की कोशिश की है. पिछले करीब दो दशक के दौरान खींची गयीं संवेदनशील तस्वीरों पर आधारित एकलव्य प्रसाद की विजुअल कथा श्रृंखला — “संघर्ष की तस्वीरें: उत्तर बिहार की धैर्यवान समुदायें” बाढ़-प्रभावित समुदायों के धैर्य, अनुकूलन और चल रही चुनौतियों पर प्रकाश डालती है.

उनकी विजुअल कथा श्रृंखला का उद्घाटन इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स में गुरुवार को किया गया. इस प्रदर्शनी का उद्घाटन सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने किया.

एकलव्य प्रसाद ने The Hindkeshariसे बातचीत में कहा — ये प्रदर्शनी उत्तर बिहार की ग्रामीण समुदायों की संघर्ष और धैर्य की अनकही कहानियों को प्रस्तुत करने वाली एक संवेदनशील दृश्य यात्रा है. एकलव्य के मुताबिक, “यह प्रदर्शनी इन समुदायों की चुनौतियों और विजयगाथाओं को उजागर करती है, जो हर साल बाढ़ के चक्र से गुजरती हैं। यह संग्रह उत्तर बिहार में विभिन्न प्रकार की बाढ़—अचानक बाढ़, नदी के जलस्तर में धीमी वृद्धि और इनके दैनिक जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव जैसे डूबे हुए घर, नष्ट फसलें, और बाधित बुनियादी ढांचा—को दिखाता है”।

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विजुअल कथा श्रृंखला “संघर्ष की तस्वीरें: उत्तर बिहार की धैर्यवान समुदायें” प्राकृतिक आपदाओं द्वारा लाए गए दीर्घकालिक परिवर्तनों पर भी प्रकाश डालती है, जो ग्रामीण आजीविकाओं को पुनर्गठित करती हैं, सामाजिक संरचनाओं को बदलती हैं, और पीढ़ियों तक प्रभाव छोड़ती हैं.

एकलव्य कहते हैं, “यह प्रदर्शनी अनुकूलन और अस्तित्व की प्रेरणादायक कहानियों को भी उजागर करती है. यह सामुदायिक समाधान और नवाचारी रणनीतियों को प्रदर्शित करती है, जो प्रकृति की विपरीत परिस्थितियों और मानवीय प्रज्ञा के बीच की गहरी परस्पर क्रिया को रेखांकित करती है. हर तस्वीर उत्तर बिहार के लोगों के साहस, संसाधनशीलता और दृढ़ संकल्प की कहानी कहती है, जो बाढ़ की चुनौतियों का सामना करने और उनके अनुरूप ढलने में सक्षम हैं”.

विजुअल कथा श्रृंखला के ज़रिये एकलव्य प्रसाद ने अपने दो दशकों के मेघ पाइन अभियान के अनुभव साझा किए, जो उत्तर बिहार के बाढ़-प्रभावित क्षेत्रों पर केंद्रित एक जमीनी पहल है. उन्होंने बताया कि इन समुदायों के साथ उनके अनुभव ने उन्हें यह प्रदर्शनी क्यूरेट करने के लिए प्रेरित किया, ताकि बाढ़ प्रभावित लोगों के जीवन की गुणवत्ता को समग्र रूप से सुधारने के लिए विशेष और प्रासंगिक हस्तक्षेपों की कल्पना, डिजाइन और कार्यान्वयन किया जा सके.

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट की महानिदेशक सुनीता नारायण ने प्रदर्शनी देखने के बाद कहा, “यह फोटोग्राफी प्रदर्शनी बाढ़ के तुरंत बाद के प्रभावों तक सीमित नहीं है, बल्कि इन प्राकृतिक आपदाओं के सालभर और बार-बार पड़ने वाले प्रभावों को दर्शाती है. यह प्रदर्शनी स्पष्ट रूप से दिखाती है कि बाढ़ के परिणाम केवल मानसून के तीन महीनों तक सीमित नहीं हैं। यह सालभर प्रभावित समुदायों के सतत संघर्षों को उजागर करती है.” उन्होंने यह भी कहा कि प्रदर्शनी इन समस्याओं को जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में बदतर होते हुए दिखाती है और अधिक केंद्रित और टिकाऊ हस्तक्षेपों की आवश्यकता पर बल देती है”.

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विजुअल कथा श्रृंखला 12 दिसंबर 2024 तक प्रतिदिन सुबह 11 बजे से शाम 7 बजे तक इंडिया इंटरनेशनल सेंटर एनेक्स, नई दिल्ली में जनता के लिए खुली रहेगी.
 


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