ट्रंप टैक्स 'बम', अमेरिका में अब विदेशी कारों पर लगेगा 25% टैरिफ, बढ़ेंगी कीमतें

वॉशिंगटन:
अमेरिका में विदेशी कारों के शौकीनों को बड़ा झटका लगने जा रहा है. क्यों कि ट्रंप ने विदेशों से इंपोर्ट होने वाली कारों पर भारी भरकम टैरिफ लगाने का ऐलान (US Tariffs On Auto Import) कर दिया है. इससे अमेरिका में इंपोर्ट वाली विदेशी कारों की कीमतें और बढ़ जाएंगी, इसका सीधा असर ग्राहकों क जेब पर पड़ना तो तय है.अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को ऐलान किया कि वह ऑटो इंपोर्ट पर भारी टैरिफ लगाने जा रहे हैं. उनके इस फैसले के बाद व्यापारिक साझेदारों के साथ तनाव बढ़ने की संभावना है.
अमेरिका में इंपोर्ट कारों पर भारी टैरिफ लगाए जाने वाला ट्रंप का ये फैसला 2 अप्रैल से प्रभावी होगा. इसका असर खासतौर पर विदेशों में बनी कारों और हल्के ट्रकों पर भी देखा जाएगा.
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ट्रंप ने फिर फोड़ा टैरिफ ‘बम’
ट्रंप ने जब से अमेरिका की सत्ता संभाली है तब से वह लगातार ऐसे फैसले ले रहे हैं, जिससे दुनिया हैरान है. उन्होंने अमेरिका के प्रमुख व्यापारिक साझेदारों कनाडा, मैक्सिको और चीन से इंपोर्ट होने वाले सामान पर टैरिफ लगा दिया है. वहीं स्टील और एल्युमीनियम इंपोर्ट पर तो 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया है.हालांकि उन्होंने पहले ऑटोमेकर्स को उत्तरी अमेरिका को प्रभावित करने वाले शुल्कों से अस्थायी राहत की पेशकश की थी.
मंदी के डर से बाजार अस्त-व्यस्त
ट्रंप की व्यापार योजनाओं पर अनिश्चितता की वजह से मंदी की आशंका गहराने लगी है, जिसकी वजह से फायनेंशियल मार्केट को हिलाकर रख दिया है. टैरिफ के डर की वजह से हाल के महीनों में ग्राहकों का विश्वास भी कम होता देखा गया है.
विदेशों से इंपोर्ट कारों पर अमेरिका लगाएगा टैरिफ
ट्रंप के इंपोर्ट कारों पर टैरिफ लगाने के ऐलान से पहले वॉल स्ट्रीट में गिरावट देखी गई. टेक-फोकस्ड नैस्डैक में 2.0 प्रतिशत की गिरावट आई. ऑटोमेकर जनरल मोटर्स के शेयर 3.1 प्रतिशत नीचे आकर बंद हुए, जबकि फोर्ड के शेयर्स में 0.1 प्रतिशत की बढ़त देखी गई.
टैरिफ लगाने के पीछे क्या है ट्रंप का तर्क?
ट्रंप का कहना है कि टैरिफ लगाने से सरकारी राजस्व बढ़ेगा, अमेरिकी उद्योग को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी और अमेरिकी को प्राथमिकता मिलेगी. लेकिन ये भी सच है कि इंपोर्ट कारों पर भारी टैरिफ लगाने से जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा, मैक्सिको और जर्मनी जैसे देशों के साथ अमेरिका के रिश्ते खराब हो सकते हैं. ये सभी देश अमेरिका के करीबी साझेदार हैं.