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ट्रंप का अल्टीमेटम: क्या कनाडा Five Eyes से हो जाएगा बाहर, क्या हैं इसके मायने?


नई दिल्ली:

वैश्विक राजनीति तेजी से बदल रही है. डोनाल्ड ट्रंप के एक बार फिर अमेरिकी राष्ट्रपति बनने के बाद से कूटनीति के मंच पर कई बदलाव हो रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक बड़े फैसले ले रहे हैं. ताजा मामला संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड के  खुफिया-साझेदारी गठबंधन ‘फाइव आइज़’ को लेकर है. अमेरिका ने  कनाडा को पांच देशों के खुफिया गठबंधन ‘फाइव आइज़’ (Five Eyes) से बाहर करने का प्रस्ताव रखा है. इसे कनाडा के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है.  यह वही गठबंधन है, जिसके सहारे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने पिछले कुछ समय से भारत के खिलाफ अपनी रणनीति को मजबूत करने की कोशिश की थी. अगर अमेरिका कनाडा को इससे बाहर का रास्ता दिखाता है तो यह  जस्टिन ट्रूडो के लिए बड़े झटके के तौर पर देखा जाएगा. 

फाइव आइज़ क्या है और क्यों है यह महत्वपूर्ण?
फाइव आइज़ एक खुफिया-साझेदारी गठबंधन है, जिसमें संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड शामिल हैं.  इसकी शुरुआत द्वितीय विश्व युद्ध के बाद हुई थी, जब 1946 में यूके-यूएसए समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन ने खुफिया जानकारी साझा करने की नींव रखी थी. बाद में 1948 में कनाडा और 1956 में ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड इसमें शामिल हुए. यह गठबंधन संकेत खुफिया (Signals Intelligence – SIGINT) पर केंद्रित है और सदस्य देशों के बीच संवेदनशील जानकारी का आदान-प्रदान करता है. इसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद विरोधी प्रयासों और वैश्विक निगरानी में सहयोग करना है.

फाइव आइज़ को दुनिया का सबसे सफल और मजबूत खुफिया नेटवर्क माना जाता है. यह गठबंधन न केवल अपने सदस्यों के बीच जानकारी साझा करता है, बल्कि वैश्विक स्तर पर जासूसी और निगरानी के लिए भी जाना जाता है. कनाडा इस गठबंधन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है, हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि वह इसमें “नेट इंपोर्टर” की भूमिका निभाता है, यानी वह जितनी जानकारी देता है, उससे ज्यादा प्राप्त करता है. 

जस्टिन ट्रूडो भारत पर बना रहे थे दवाब
पिछले कुछ वर्षों में जस्टिन ट्रूडो ने फाइव आइज गठबंधन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ अपनी स्थिति को मजबूत करने के लिए किया है. खास तौर पर 2023 में हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले में कनाडा ने भारत पर आरोप लगाया था. ट्रूडो ने दावा किया था कि उनके पास इस बात के “विश्वसनीय सबूत” हैं कि निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंटों का हाथ था. बाद में यह खुलासा हुआ कि यह जानकारी फाइव आइज़ नेटवर्क से प्राप्त हुई थी, जिसमें अमेरिका ने कनाडा को महत्वपूर्ण इनपुट्स दिए थे.  

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कनाडा पर लगातार दवाब बना रहा है अमेरिका
ट्रंप प्रशासन की तरफ से कनाडा पर लगातार दवाब बनाए जा रहे हैं. ट्रंप कनाडा को अमेरिका के लिए “आर्थिक बोझ” मानते हैं.ट्रंप का दावा है कि कनाडा ने अमेरिका के साथ व्यापार में “अनुचित लाभ” उठाया है.  गौरतलब है कि ट्रंप की “अमेरिका फर्स्ट” नीति के तहत वह पारंपरिक सहयोगियों पर भी दबाव डाल रहे हैं ताकि वे उनकी शर्तों को मानें. 

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हाल ही में  ट्रंप ने एक बार फिर कहा था कि कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बन जाना चाहिए, क्योंकि उसके साथ कारोबार में अमेरिका को हर साल 200 अरब डॉलर खोने पड़ते हैं और वो ऐसा नहीं होने देना चाहते हैं. 

कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहते हैं ट्रंप
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाना चाहते हैं. उन्होंने कई बार इस बात को कहा है. ट्रंप का कहना रहा है कि इससे कनाडा को कई लाभ होने वाले हैं. उन्होंने कहा था कि इससे कनाडा को टैक्स का बड़ा हिस्सा बचेगा और मिलिट्री प्रोटेक्शन भी मिलेगी. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था कि मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छा आइडिया है. 51वां राज्य.

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