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तुलसी, पीट,मैट गेट्स… ट्रंप कैबिनेट के इन तीन नामों पर क्या है ववाद, डिटेल में जानें

ट्रंप कैबिनेट के इन तीन नामों पर क्या है विवाद.


दिल्ली:

अमेरिका में राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने से पहले डोनाल्ड ट्रंप अपनी टीम (Donald Trump Cabinet) सजा रहे हैं और उनके चुनाव को लेकर अमेरिकी मीडिया में तूफान मचा हुआ है. खासकर तीन नामों पर ट्रंप की जबर्दस्त घेराबंदी हो रही है .ये तीन नाम हैं मैट गेट्स, जिन्हें ट्रंप ने अटॉर्नी जनरल नामित किया है, तुलसी गबार्ड, जिन्हें देश के खुफिया विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है और फॉक्स न्यूज के ऐंकर पीट हेग्से जो रक्षा मंत्री की कुर्सी पर बैठेंगे. अमेरिकी अखबारों के संपादकीय में ट्रंप पर योग्यता को परे रख अपने वफादारों को देश की बेहद संवेदनशील कुर्सियों पर बैठाने का आरोप लग रहा है. हालांकि ट्रंप इससे बेपरवाह अपनी टीम सजाने में लगे हुए हैं.

तुलसी गबार्ड पर क्या है विवाद?

सबसे पहले बात तुलसी गबार्ड की करते हैं. तुलसी को ट्रंप ने अपनी नई कैबिनेट में इंटेलिजेंस डायरेक्टर नियुक्त किया है.ट्रंप ने उनको देश के खुफिया विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है. अमेरिकी अखबारों में इसकी भी चर्चा जोरों पर है. दरअसल तुलसी का नाम रूस से जोड़ा जा चुका है और उनका नाम टेररिस्ट वॉच लिस्ट में भी आ चुका है. उन्होंने खुद ये दावा किया था कि उनका नाम अमेरिकी सरकार ने 23 जुलाई को सीक्रेट आतंकी निगरानी लिस्ट में डाल दिया था. अब अमेरिका की नई सरकार में अहम पद दिए जाने पर तुलसी फिर से विवादों में हैं.

पीट हेगसेथ पर ट्रंप आलोचक क्या कह रहे?

अब बात पीट हेगसेथ की करते हैं, जिनको ट्रंप ने अपनी नई सरकार में रक्षा मंत्री की जिम्मेदारी सौंपी है. वह फॉक्स न्यूज के एंकर हैं. जब से ट्रंप सरकार में उनको अहम पद मिला है, तब से उनकी चर्चा दुनियाभर में हो रही है. लोगों को उनको रक्षा मंत्री बनाया जाना बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा है. ट्रंप के आलोचक यहां तक कह रहे हैं कि ऐसे शख्स को पेंटागन की जिम्मेदारी दे दी गई है, जिसको इसका कोई अनुभव नहीं है.  जब कि ट्रंप के पास इस पद के लिए कई अनुभवी और योग्य उम्मीदवार थे. जब कि अब तक ऐसे शख्स को देश का रक्षा मंत्री चुना जाता रहा है जिसके पास सेना और सरकार में काम करने का लंबा अनुभव रहा हो. पीट को ट्रंप का चाटुकार तक कहा जा रहा है. बता दें कि पीट ट्रंप की अमेरिका फर्स्ट की नीति के समर्थक हैं. वह ट्रंप के करीबी भी हैं, इसीलिए उनकी नियुक्ति पर सवाल उठाए जा रहे हैं.

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