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दिल्ली दंगों में साजिश के आरोपी उमर खालिद को मिली 7 दिनों की अंतरिम जमानत


नई दिल्ली:

दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली दंगों (Delhi Riots) को लेकर बड़ी साजिश रचने के मामले में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) को अंतरिम जमानत दे दी है. कोर्ट ने परिवार की शादी में शामिल होने के लिए खालिद को 7 दिनों की अंतरिम जमानत दी है. दिल्‍ली की कड़कड़डूमा कोर्ट ने उमर खालिद को 28 दिसंबर से अगले साल 3 जनवरी तक के लिए यह राहत दी है. 

इस बीच, उनकी जमानत याचिका दिल्ली हाई कोर्ट के न्यायाधीश नवीन चावला और शलिंदर कौर की पीठ के समक्ष लंबित है. इस साल जुलाई में दिल्ली हाई कोर्ट ने खालिद की जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया था और दिल्ली पुलिस को अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया था. 

कई बार खारिज हो चुकी है जमानत याचिका

इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अमित शर्मा ने खालिद की याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था. इसके बाद न्यायमूर्ति प्रथिबा एम सिंह की अध्यक्षता वाली पीठ ने मामले को अलग पीठ के समक्ष सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया था. 

दिल्ली की एक अदालत ने 28 मई को खालिद की उस अर्जी को खारिज कर दिया, जिसमें मुकदमे की कार्यवाही पूरी होने में देरी और जमानत पर छूटे अन्य सह-आरोपियों के साथ समानता के आधार पर जमानत की मांग की गई थी. 

इससे पहले अप्रैल 2022 में एक ट्रायल कोर्ट ने खालिद की पहली जमानत अर्जी खारिज कर दी थी और बाद में दिल्ली हाई कोर्ट ने भी उनकी अपील को खारिज कर दिया था. 

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खालिद ने इस साल फरवरी में “परिस्थितियों में बदलाव” के कारण जमानत की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में दायर अपनी विशेष अनुमति याचिका वापस ले ली और ट्रायल कोर्ट के समक्ष जमानत के लिए नए सिरे से आवेदन करने की स्वतंत्रता मांगी थी. 

दिल्‍ली दंगों के सात महीने बाद हुई थी गिरफ्तारी 

दिल्ली में हुए दंगों के सात महीने बाद सितंबर 2020 में गिरफ्तार किया गया था. दिल्‍ली दंगों में 53 लोग मारे गए थे और 700 से अधिक लोग घायल हो गए थे.  दिल्‍ली में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान हिंसा भड़क गई थी. 

खालिद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम या (यूएपीए) के तहत आरोप हैं. पुलिस ने कहा है कि दिल्‍ली दंगों के मास्‍टरमाइंड में से एक है.



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