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मोदी-ट्रंप की यारी कैसे चीन पर पड़ेगी भारी, एक्सपर्ट्स से समझिए


नई दिल्ली:

अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने शानदार जीत हासिल की. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में ड्रेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस को शिकस्त दी. बाइडेन सरकार में भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हुए है. इसी का नतीजा है कि दोनों देशों में अहम समझौते भी हुए हैं. ट्रंप की जीत के बाद अब भारत का क्या नफा-नुकसान होगा, इस पर सभी की नजरें हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के चुनाव में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की जीत के बाद रणनीतिक मामलों के एक्सपर्ट्स ने कहा कि ट्रंप प्रशासन के तहत भारत और अमेरिका के संबंध और अधिक मजबूत होंगे. लेकिन आयात होने वाली वस्तुओं पर शुल्क लगाने जैसे कुछ मुद्दों पर असहजता की स्थिति हो सकती है. एक्सपर्टस ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच कठिन मुद्दों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझा लिए जाने की संभावना है क्योंकि पीएम मोदी और ट्रंप के बीच बहुत अच्छी दोस्ती है.

पीएम मोदी और ट्रंप का याराना कितना कारगर

ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार अभियान में विदेशी वस्तुओं, खासकर से चीन से आयात होने वाली वस्तुओं पर अधिक ‘शुल्क’ लगाने का प्रस्ताव रखा था तथा अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अन्य देशों के लोगों को वापस उनके देश भेजने के लिए एक अभियान शुरू करने का वादा किया था.

अमेरिकी चुनाव में ट्रंप की ऐतिहासिक जीत के बाद उनके भारत दौरे का भी बेसब्री से इंतजार रहेगा. दरअसल अगले साल वे अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में भारत आएंगे और क्वाड सम्मेलन में भाग लेंगे. डोनाल्ड ट्रंप की इस यात्रा से भारत-अमेरिका संबंधों में नया आयाम मिलने की उम्मीद है, जिसमें राजनीति, व्यापार और सुरक्षा के मुद्दों पर मजबूत सहयोग की दिशा में आगे बढ़ा जाएगा. 

21वीं सदी को आकार देंगे भारत-अमेरिका के संबंध

अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे अन्य देशों के लोगों को वापस उनके देश भेजने के लिए एक अभियान शुरू करने का वादा किया था. यह स्पष्ट होने के कुछ ही समय बाद कि ट्रंप अमेरिका के अगले राष्ट्रपति होंगे तो वरिष्ठ नेता एवं संचार मामलों के रणनीतिकार अनंग मित्तल ने कहा कि रिपब्लिकन पार्टी के प्रमुख नेताओं का मानना है कि 21 सदी को आकार देने में भारत-अमेरिका संबंधों की ‘‘महत्वपूर्ण” भूमिका होगी.

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भारत- अमेरिका के बीच बातचीत के जरूरी मुद्दे

चुनाव से एक दिन पहले, ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के अमेरिका चैप्टर के कार्यकारी निदेशक ध्रुव जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली को ट्रंप प्रशासन के साथ व्यापार और आव्रजन के मुद्दों पर चर्चा करनी पड़ सकती है. उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘जहां तक ​​ट्रंप का सवाल है, मुझे लगता है कि व्यापार और आव्रजन के मुद्दे पर कुछ कठिन वार्ताएं होंगी, हालांकि कई अन्य मुद्दों पर उन्होंने भारत और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ बहुत सकारात्मक संबंधों की बात कही है.”

मित्तल ने कहा कि ट्रंप पीएम मोदी के साथ अपने व्यक्तिगत संबंधों के माध्यम से भारत-अमेरिका संबंधों को आगे बढ़ाएंगे और व्यापार, रक्षा और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश पर द्विपक्षीय समझौतों की कोशिश करेंगे.  

पीएम मोदी और ट्रंप के बीच हुई क्या बातचीत

पीएम मोदी ने पहले एक्स पर एक पोस्ट के ज़रिए और फिर फ़ोन करके ट्रंप को बधाई दी. नई दिल्ली में सरकारी सूत्रों के अनुसार, ट्रंप ने इस बातचीत को चुनाव परिणाम के बाद किसी सरकार के प्रमुख के साथ की गई पहली बातचीत बताया. दोनों ने विश्व शांति पर चर्चा की, जो यूक्रेन विवाद को सुलझाने के लिए भी अहम है. सूत्रों ने बताया कि बातचीत में ट्रंप ने बार-बार भारत को एक “शानदार देश” और “मोदी को एक शानदार नेता बताया, जिसे दुनिया के अधिकांश लोग पसंद करते हैं.

कई मुद्दों पर ट्रंप और मोदी का एक रुख

चूंकि पीएम मोदी-ट्रंप का कार्यकाल लगभग एक ही समय पर समाप्त होगा, इसलिए अमेरिका और भारत के विभिन्न शहरों में पहले की तरह अधिक संयुक्त रैलियां हो सकती हैं. ट्रंप 1.0 और मोदी के कार्यकाल में, दोनों देशों का कई मुद्दों पर समान रुख था, जैसे कि आतंकवाद और चीन के आक्रामक रवैये के खिलाफ. भारत और अमेरिका के बीच आधारभूत सैन्य समझौतों, विशेष रूप से बेका और कॉमकासा पर हस्ताक्षर किए गए. 

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