बाइडेन कार्यकाल में कैसे रहे भारत और अमेरिका के रिश्ते? यहां समझिए
नई दिल्ली:
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने राष्ट्रपति पद की रेस से खुद के हटने का ऐलान कर दिया है. रिपब्लिकन उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप के साथ हुई एक बहस में खराब प्रदर्शन के बाद से ही आशंका जताई जा रही थी कि बाइडेन राष्ट्रपति रेस से बाहर हो सकते हैं. राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोशल मीडिया पर कहा कि वो डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ चुनाव अभियान से हट रहे हैं. उन्होंने कहा कि देश व डेमोक्रेटिक पार्टी के सर्वोत्तम हित में मैं ये फैसला कर रहा हूं. साथ ही बाइडेन ने उपराष्ट्रपति कमला हैरिस को उनकी जगह डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से उम्मीदवार नामांकित करने का समर्थन किया. उन्होंने कहा, “मैं कमला को हमारी पार्टी का उम्मीदवार बनाने के लिए अपना समर्थन देता हूं. डेमोक्रेट को अब एक साथ आकर डोनाल्ड ट्रम्प को हराने का समय आ गया है.”
जो बाइडेन और भारत के संबंध
पीएम मोदी जब अमेरिका दौरे पर पहुंचे थे, तब पीएम मोदी के भव्य स्वागत के बाद राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा था कि अमेरिका और भारत के रिश्ते दुनियाभर के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी” हैं. भारत को लेकर बाइडेन कह चुके हैं कि दुनिया की सबसे ज़्यादा आबादी वाले देश भारत के साथ रिश्ते इतिहास में सबसे ज़्यादा मज़बूत पड़ाव पर हैं, दोनों एक दूसरे के क़रीब आए हैं, और गतिशील भी हुए हैं. पिछले कुछ वक्त से दोनों देशों के रिश्तों में काफी बदलाव आया है. एक छोटे समय में रिश्तों में गहराई आई है और ये दौर जो बाइडेन का ही रहा है.
बाइडेन ने उठाए कई कदम
राष्ट्रपति बनने के बाद से ही बाइडेन ने कुछ ऐसे कदम उठाए हैं, जिनकी वजह से दोनों देशों के संबंध लगातार बेहतर हुए हैं. बाइडेन ने क्वाड को मजबूत करने का काम किया है. कुछ वक्त पहले तक अमेरिका भारत से तय दूरी बनाकर रखता था, लेकिन मौजूदा दौर में स्थिति बिल्कुल अलग है. अमेरिका आज पहले के मुकाबले भारत के करीब आ चुका है. बाइडेन और प्रधानमंत्री अक्सर एक-दूसरे की प्रशंसा करते देखे जा सकते हैं. दोनों ही नेता ओं की विदेशी मंचों पर गर्मजोशी भरी मुलाकात काफी बार सुर्खियां बटोर चुकी है. जैसे कि जी20 की बैठकें हों या फिर क्वाड शिखर सम्मेलन.
बाइडेन ने चीन के बजाय भारत को दी तवज्जों
दरअसल बाइडेन ने राष्ट्रपति बनने के तुरंत बाद भारत को भरोसा दिलाया कि वह आतंकवाद के खिलाफ उसका साथ खड़ा है और ग्लोबल इकोनॉमी जैसे साझा मुद्दों पर भारत के साथ रहेंगे. बाइडेन ने चीन के मुकाबले भारत को ज्यादा तवज्जों दी. बाइडेन ने कई बार खुलकर भारत के पक्ष में जाते हुए चीन पर लगाम कसने की बात भी कही है. बाइडेन और मोदी दोनों नेताओं ने आर्थिक सहयोग और टेक्नोलॉजी में साझेदारी बढ़ाने पर जोर दिया. इससे पता चलता है कि बाइडेन राज में भारत-अमेरिका के रिश्ते मजबूत हुए हैं.
बाइडेन कार्यकाल में हुए अहम समझौते
भारत और अमेरिका में स्वच्छ ऊर्जा से लेकर पर्यावरण जैसे मुद्दों पर कई अहम समझौते हुए हैं. एयर इंडिया और बोइंग के बीच बड़ी डील पर बातचीत भी बाइडेन के दौर में ही हुई. वहीं अटॉमिक्स के साथ ड्रोन की खरीददारी के लिए अरबों डॉलर का सौदा भी किया गया. इसके अलावा सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में निवेश पर भी बात आगे बढ़ी. जबकि भारत-अमेरिका ने 2024 के लिए संयुक्त अंतरिक्ष यात्री मिशन का भी ऐलान किया है.
क्यों भारत के करीब आ रहा अमेरिका
अमेरिका दुनियाभर में अपना वर्चस्व कायम रखना चाहता है ये किसी से छिपा नहीं है. लेकिन उसकी राह में चीन सबसे बड़ा रोडा है. अमेरिका इस बात को भली-भांति जानता है कि उसे अगर दुनिया में अपना रसूख कायम रखना है तो चीन से मिल रही चुनौतियों से भी पार पाना होगा. चीन के बढ़ते प्रभाव की वजह से अमेरिका भारत को ज्यादा तरजीह दे रहा है. अमेरिका को लगता है कि अगर चीन की चुनौती से पार पाना है, तो भारत उसके लिए भारत का साथ हर हाल में जरूरी है. इसलिए क्वाड जैसी बैठकों का आयोजन होता है. डिफेंस सेक्टर में भारत और अमेरिका के बीच हुए समझौते दोनों देशों के बेहतर रिश्तों की और तस्दीक करते हैं.