दुनियाभर के मुसलमानों को एक क्यों करना चाहते हैं आयतुल्लाह अली खामेनेई, 10 प्वाइंट में समझें
सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली खामेनेई का यह इजरायल पर मिसाइल हमले के बाद उनका पहला भाषण था.खामेनेई ने करीब पांच साल बाद इस तरह का भाषण दिया है.इजरायल की ओर से लेबनान में हिज्बुल्लाह पर हमले के बाद भी पहला भाषण था.इस दौरान उनकी एक झलक पाने के लिए हजारों की संख्या में लोग तेहरान में जमा हुए. जहां से खामेनेई ने नमाज पढ़ाई, उस मंच पर हिज्बुल्लाह के मारे गए नेता हसन नसरल्लाह की तस्वीर भी लगी हुई थी.कुछ लोग वहां हिज्बुल्लाह का हरा-पीला झंडा लिए हुए थे. कुछ लोग फलस्तीन का झंडा लिए हुए भी थे.
लोगों को संबोधित करते हुए खामेनेई ने कहा कि हमारा दुश्मन एक ही है. उन्होंने कहा कि दुश्मन ने जो नीति अपनाई है, वह मुसलमानों को बांटने और देशद्रोह के बीज बोने वाली हैं. वे फलस्तीनियों, लेबनानी, मिस्रवासियों और इराकियों के साझा दुश्मन हैं. वे यमनी और सीरियाई लोगों के भी दुश्मन हैं.
खामेनेई ने यह भी कहा कि हमास की ओर से पिछले साल सात अक्टूबर को इजरायल पर किया गया हमला वैध था. उन्होंने एक अक्टूबर को इजरायल पर ईरान की ओर से किए गए मिसाइल हमलों को भी वैध बताया. उन्होंने कहा कि सभी देशों के पास आत्मरक्षा का अधिकार है.
खामेनेई ने कहा कि ईरान इजरायल का मुकाबला करने का अपना कर्तव्य निभाने में देरी या जल्दबाजी नहीं करते हैं.राजनीतिक और सैन्य रणनीतिकारों की राय में जो सही कदम होगा, उसे उचित समय पर उठाया जाएगा.उन्होंने कहा कि यदि जरूरी हुआ तो इसे भविष्य में भी किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि फलस्तीनियों को अपनी रक्षा करने का कानूनी अधिकार है.उनके पास अपराधियों और जमीनों पर कब्जा करने वाली ताकतों के सामने भी खड़ा होने का अधिकार है. उन्होंने कहा कि दुनिया में एक भी अदालत या कोई ऐसा अंतरराष्ट्रीय संगठन नहीं जो फलस्तीनियों को अपनी जन्मभूमि की रक्षा करने के लिए दोषी ठहरा सके.
हसन नसरल्लाह का शरीर को चला गया है, लेकिन उनका चरित्र, उनकी आत्मा, उनका तरीका और उनकी आवाज अभी भी हमारे बीच मौजूद है और रहेगी. वह अत्याचारियों के खिलाफ प्रतिरोध की बलुंद आवाज थे. उनका प्रभाव लेबनान, ईरान और अरब देशों से भी आगे निकल गया है.उनकी शहादत से यह प्रभाव और बढ़ेगा.
दुश्मन अल्लाह के नाम पर बने हिजबुल्लाह या हमास या इस्लामिक जिहाद और अन्य जिहादी संगठनों की मजबूत संरचना को गंभीर रूप से नुकसान नहीं पहुंचा सकता है, इसलिए वह हत्या, विध्वंश, बमबारी,आम लोगों की हत्या कर लोगों को दुखी करने को वह अपनी विजय के रूप में दिखाता है.
इस अवसर का इस्तेमाल खामेनेई ने हिज्बुल्ला और हमास के कामकाज की सराहना करने के लिए किया. उन्होंने कहा कि ये गाजा और अल-अक्सा मस्जिद की रक्षा के लिए लड़ रहे हैं. उन्होंने इस काम को पूरे इलाके की रक्षा और इस्लामिक दुनिया की सेवा बताया.
खामेनेई ने अपने भाषण में अमेरिका की भी आलोचना की. उन्होंने कहा कि इजरायल केवल इसलिए जिंदा है, क्योंकि उसे अमेरिका का समर्थन मिल रहा है. उन्होंने कहा कि अल्लाह ने चाहा तो यह बहुत दिनों तक नहीं रहेगा. उल्लेखनीय है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद अमेरिका ने इजरायल की रक्षा करने की बात फिर दोहराई थी.
अपने भाषण से वहां मौजूद लोगों को खामेनेई ने यह बात समझाने की कोशिश की कि फलस्तीन और लेबनान के लड़ाकों का संघर्ष जाया नहीं जाएगा, यह यहूदियों के शासन को सत्तर साल पीछे ले जाएगा.