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"निस्संदेह, गंभीर आरोप लेकिन … ": केजरीवाल को अंतरिम जमानत देते हुए SC ने ED के हलफनामे का दिया सिलसिलेवार जवाब

Supreme Court on Arvind Kejriwal’s bail : लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections 2024) में आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) का प्रचार करने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi Chief Minister) को अंतरिम जमानत (Interim bail) दे दी. शीर्ष अदालत ने कहा है कि आम चुनाव के मद्देनजर अधिक समग्र और उदारवादी दृष्टिकोण अपनाना उचित है. प्रवर्तन निदेशालय (ED) के पुरजोर विरोध को दरकिनार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली केजरीवाल की याचिका पर फिलहाल बहस पूरी होने और उस पर फैसला देना संभव नहीं है. हालंकि यह देखते हुए कि 18वीं लोकसभा चुनाव हो रहे हैं, इसलिए उसे अंतरिम जमानत का आदेश पारित करना पड़ा.

नेताओं पर यह कहा

शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि यह कहना अनुचित नहीं होगा कि लोकसभा चुनाव इस वर्ष की सबसे महत्वपूर्ण घटना है, क्योंकि यह राष्ट्रीय चुनावी वर्ष है. लगभग 97 करोड़ मतदाताओं में से 65-70 करोड़ मतदाता अगले पांच वर्षों के लिए इस देश की सरकार चुनने के लिए अपना वोट डालेंगे. अदालत ने कहा है कि आम चुनाव लोकतंत्र को जीवन शक्ति प्रदान करते हैं. विलक्षण महत्व को देखते हुए हम अभियोजन पक्ष की ओर से उठाए गए तर्क को खारिज करते हैं कि इस आधार पर अंतरिम जमानत देने से राजनेताओं को इस देश के सामान्य नागरिकों की तुलना में लाभकारी स्थिति में रखने का “प्रीमियम“ मिलेगा.

पहले के आदेश का दिया उदाहरण

अंतरिम जमानत या रिहाई देने के सवाल की जांच करते समय अदालतें हमेशा संबंधित व्यक्ति से जुड़ी विशिष्टताओं और आसपास की परिस्थितियों को ध्यान में रखती हैं. लिहाजा उसकी उपेक्षा करना अधर्म एवं गलत  होगा. पीठ ने अपने फैसले में अंतरिम जमानत या रिहाई देने की शक्ति को लेकर कुछ मामलों का हवाला भी दिया है और इस शक्ति का प्रयोग ट्रायल अदालतों द्वारा भी नियमित रूप से किया जाता है. मुकेश किशनपुरिया बनाम पश्चिम बंगाल राज्य मामले में, इस न्यायालय ने माना है कि नियमित जमानत देने की शक्ति में अंतरिम जमानत देने की शक्ति भी शामिल है. विशेष रूप से भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 के मद्देनजर.

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जमानत का सबसे बड़ा कारण

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी में कहा है कि अंतरिम जमानत देने की शक्ति का प्रयोग आमतौर पर कई मामलों में किया जाता है. यह सही है कि अपीलकर्ता (अरविंद केजरीवाल) 9 समन के बावजूद ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए, जिनमें से पहला समन अक्टूबर 2023 में जारी किया गया था. यह एक नकारात्मक कारक है, लेकिन कई अन्य पहलू भी हैं जिस पर हमें विचार करना आवश्यक है. केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री और एक राष्ट्रीय दल के नेता हैं. निस्संदेह, गंभीर आरोप लगाए गए हैं, लेकिन उन्हें दोषी नहीं ठहराया गया है. उनका कोई आपराधिक इतिहास नहीं है और वह समाज के लिए खतरा नहीं हैं. मौजूदा मामले की जांच अगस्त 2022 से लंबित है. केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था. इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि गिरफ्तारी की वैधता और वैधानिकता स्वयं इस न्यायालय के समक्ष चुनौती के अधीन है और हमें अभी भी इस पर अंतिम निर्णय देना बाकी है.

“आम चुनाव महत्वपूर्ण”

कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले की स्थिति की तुलना फसलों की कटाई या व्यावसायिक मामलों की देखभाल करने की दलील से नहीं की जा सकती. दरअसल, ईडी की ओर से तर्क दिया गया था कि अगर प्रचार करने के लिए राजनेताओं को अंतरिम जमानत दी गई तो किसान फसलों की कटाई या व्यापारी अपने व्यापार को लेकर अंतरिम जमानत मांग सकते हैं.

ईडी ने कहा था कि चुनाव के लिए प्रचार करना न तो मौलिक अधिकार है और न ही संवैधानिक अधिकार है. इतना ही नहीं यह कानूनी अधिकार भी नहीं है.

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