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इजरायल-गाजा युद्ध से अमेरिका में अशांति, कोलंबिया यूनिवर्सिटी में आधी रात पहुंची पुलिस; छात्रों को खदेड़ा

साल 1960 और 70 के दशक में वियतनाम युद्ध के दौरान हुए विरोध प्रदर्शनों के बाद से ही अमेरिकी कॉलेज परिसरों में अशांति की शुरुआत हुई. इसकी वजह से न जाने कितने ही छात्रों और अन्य कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया. सस्पेंशन और निष्कासन की धमकियों के बावजूद भी कई छात्र अपनी जिद पर अड़े हुए हैं.

कोलंबिया यूनिवर्सिटी परिसर में पुलिस का पहरा

एएफपी के एक पत्रकार ने देखा कि मंगलवार शाम को न्यूयॉर्क शहर के मध्य में स्थित परिसर को पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर सील कर दिया. यह जगह आमतौर पर राहगीरों के लिए आसान रास्ता है, जिसे विरोध-प्रदर्शनों की वजह से फिलहाल सील कर दिया गया है. 

हॉल के बाहर मौजूद फिलीस्तीनी केफियेह हेडस्कार्फ़ पहने एक प्रदर्शनकारी ने मीडिया से कहा कि, “हम (गाजा में) अपने लोगों से सबक लेते हुए यहां बने रहेंगे. गाजा में सबसे खराब हालात में भी लोग वहां डटे हुए हैं, वैसे ही हम भी यहां डंटे रहेंगे.” जिस दौरान वह यह बात कह रही थी. तभी प्रदर्शनकारियों को दूसरी मंजिल तक जाने के लिए रस्सियों का सहारा लेते हुए देखा गया. 

व्हाइट हाउस ने की हैमिल्टन हॉल घटना की आलोचना

व्हाइट हाउस ने न्यूयॉर्क की यूनिवर्सिटी परिसरों में चल रहे इन विरोध-प्रदर्शनों के दौरान हैमिल्टन हॉल में हुई घटना की तीखी आलोचना की. व्हाइट हाउस के एक प्रवक्ता ने कहा कि यह पुलिस की गश्ती “बिल्कुल गलत दृष्टिकोण” था. साथ ही उन्होंने कहा कि “यह शांतिपूर्ण विरोध का उदाहरण नहीं है.”

बता दें कि गाजा में हमास के खिलाफ इजरायल का युद्ध लगातार जारी है. अब तक बड़ी संख्या में फिलिस्तीनी नागरिक इसमें मारे जा चुके हैं. इससे अमेरिकी विश्वविद्यालय प्रशासकों के लिए बड़ी चुनौती पैदा हो गई है. कहा ये भी जा रहा है कि प्रदर्शनकारियों की रैलियों से यहूदी विरोधी भावना और नफरत में बदल गई हैं. अमेरिका के उच्च शिक्षा संस्थानों में बहुत ज्यादा अशांति है. कई छात्र प्रदर्शनकारियों ने परिसरों में तंबू लगाकर डेरा डाल लिया है. 

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अपनी मांगों को लेकर जिद पर अड़े छात्र

कोलंबिया में, प्रदर्शनकारियों ने उनकी मांगें पूरी न होने तक नहीं रुकने की कसम खाई है. वह इजरायल से जुड़ी सभी वित्तीय हिस्सेदारी को वापस लेने की मांग कर अड़े हुए हैं. हालांकि विश्वविद्यालय ने मांग को खारिज कर दिया है. प्रेसिडेंट मिनोचे शफीक ने कहा कि छात्रों के साथ बातचीत विफल हो गई है.

कोलंबिया के सार्वजनिक मामलों के कार्यालय ने एक बयान में कहा, “इमारत पर कब्जा करने वाले छात्रों को निष्कासन का सामना करना पड़ रहा है.” उन्होंने कहा कि प्रदर्शनकारियों को “शांतिपूर्वक जाने का मौका” प्दिया गया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया और स्थिति को बढ़ा दिया. विश्वविद्यालय ने मंगलवार को एक प्रेस अपडेट में बताया कि शिविरों और हैमिल्टन हॉल में रहने वालों की संख्या “दर्जनों में” है, जबकि कोलंबिया में लगभग 37,000 लोग आते हैं.

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(इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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