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"UPA ने 10 साल में इकोनॉमी को नॉन-परफॉर्मिंग बनाया" : मोदी सरकार के श्वेत पत्र पर लोकसभा में चर्चा कल

श्वेत पत्र के जरिए मोदी सरकार ने बताया कि साल 2024 से पहले देश के सामने कैसी आर्थिक और राजकोषीय चुनौतियां थीं. 2014 के बाद मोदी सरकार ने कैसे इन चुनौतियां का सामना किया और इसपर विजय हासिल की.

सरकार ने अपने श्वेत पत्र को तीन भागों में बांटा है और ये रिपोर्ट 69 पेज की है. इसमें कांग्रेस के नेतृत्व में 2004 से 2014 की सरकार को ‘UPA सरकार’ और 2014 के बाद नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के लिए ‘हमारी सरकार’ शब्द का इस्तेमाल किया है.  

श्वेत पत्र में कहा गया है कि UPA सरकार ने देश की आर्थिक नींव कमजोर की. UPA काल में भारतीय रुपये में भारी गिरावट हुई. 2014 से पहले देश में बैंकिंग सेक्टर संकट में था. विदेशी मुद्रा भंडार में भी कमी थी. तत्कालीन सरकार ने भारी कर्ज लिया था. UPA सरकार ने रेवेन्यू का गलत इस्तेमाल किया. 

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यूपीए सरकार में रक्षा क्षेत्र हुआ कमजोर

सरकार के श्वेत पत्र में कहा, “यूपीए सरकार में रक्षा क्षेत्र में भ्रष्टाचार और घोटालों के कारण निर्णय लेना रुक गया. इससे रक्षा तैयारियों से समझौता हो गया. सरकार ने आर्टिलरी और एंटी एयरक्राफ्ट गन्स, फाइटर जेट, सबमरीन, नाइट फाइटिंग गियर्स और कई इक्यूपमेंट के अपग्रेडेशन में देरी की.”

कोल स्कैम का भी जिक्र

श्वेत पत्र में सरकार ने कोल स्कैम का भी जिक्र किया. सरकार ने कहा, “2014 में कोयला घोटाले ने देश की अंतरात्मा को झकझोर कर रख दिया था. 2014 से पहले, कोयला ब्लॉकों का अलॉटमेंट पारदर्शी प्रक्रिया का पालन किए बिना मनमाने आधार पर किया गया था. कोयला क्षेत्र को प्रतिस्पर्धा और पारदर्शिता से बाहर रखा गया था. इस क्षेत्र में निवेश और दक्षता का अभाव था. इन कार्रवाइयों की जांच एजेंसियों द्वारा जांच की गई. 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने 1993 से आवंटित 204 कोयला खदानों/ब्लॉकों का आवंटन रद्द कर दिया.”

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श्वेत पत्र में सरकार ने कहा, “UPA सरकार के शासन का दशक नीतिगत दुस्साहस और सार्वजनिक संसाधनों (कोयला और दूरसंचार स्पेक्ट्रम) की गैर-पारदर्शी नीलामी, पूर्वव्यापी कराधान (Taxation), अस्थिर मांग प्रोत्साहन और गैर-लक्षित सब्सिडी और लापरवाही जैसे घोटालों से चिह्नित था. 122 दूरसंचार लाइसेंसों से जुड़ा 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले से सरकारी खजाने से 1.76 लाख करोड़ रुपये की कटौती की गई थी. इन घोटालों ने बढ़ते राजनीतिक अनिश्चितता के माहौल का संकेत दिया और एक निवेश को लेकर भारत की छवि पर खराब असर डाला.”

मोदी सरकार के श्वेत पत्र की खास बातें:- 

1. सरकार ने श्वेत पत्र में कहा, “2014 में जब एनडीए सरकार ने सत्ता संभाली थी, तब देश की अर्थव्यवस्था खराब स्थिति में ही नहीं थी, बल्कि संकटग्रस्त थी. हमने एक दशक के लिए कुप्रबंधित अर्थव्यवस्था को ठीक करने और इसके मूल ढांचों को मजबूत स्थिति में बहाल करने के लिए बहुत सी चुनौतियों का सामना किया.”

2. सरकार ने कहा कि 2014 में भारत दुनिया के 5 कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में शामिल था. अब हम शीर्ष 5 अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं. भारत की अर्थव्यवस्था हर साल ग्लोबल इकोनॉमी में तीसरा सर्वाधिक योगदान देती है.”

3. सरकार ने कहा कि 2014 से पहले और इसके कुछ बाद के कुछ समय में दुनिया का भारत की आर्थिक क्षमता और गतिशीलता से भरोसा उठ गया था. अब हमारी आर्थिक स्थिरता और विकास की संभावनाओं के साथ हम दूसरे देशों में आशा का संचार कर रहे हैं.

कांग्रेस ने जारी किया ब्लैक पेपर

इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल पर Black Paper जारी किया. कांग्रेस ने अपने ब्लैक पेपर को ’10 साल, अन्याय काल’ नाम दिया. खरगे ने कहा कि BJP ने 10 साल में 411 विपक्षी विधायकों को अपनी तरफ मिलाया. कांग्रेस ने BJP पर लोकतंत्र को खत्म करने का आरोप लगाया है. 

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कांग्रेस का ब्लैक पेपर मेरी सरकार के लिए काला टीका- पीएम मोदी

कांग्रेस के ब्लैक पेपर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में निशाना साधा. पीएम मोदी ने कहा- “हमारी सरकार ने पिछले 10 साल में काफी विकास किया. इसे किसी की नजर न लग जाए, इसलिए कांग्रेस के ब्लैक पेपर को मैं काला टीका मानता हूं.”

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