फिल्म के बदले सेक्स, फिर देते थे एंट्री का कोड नेम, सिनेमा की सबसे डर्टी पिक्चर का काला सच जानिए

दिल्ली:
फिल्म इंडस्टी, वो जगह जहां काम करने का सपना ज्यातादर महिलाएं देखती हैं. लेकिन चमक-दमक से भरी इस इंडस्ट्री पर अक्सर कई तरह के आरोप लगते रहे हैं. चाहे वह कास्टिंग काउच हो, नेपोटिज्म हो या फिर अनैतिक डिमांड. कॉम्प्रोमाइज की डिमांड वाले आरोप कई कलाकार समय-समय पर लगाते रहे हैं. ये बातें जितनी तेजी से उठती हैं, उतनी ही तेजी से दब भी जाती हैं. लेकिन इन दिनों जस्टिस हेमा कमेटी (Hema Committee Report) की रिपोर्ट चर्चा में बनी हुई है. हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री (Malayalam Film Industry) का वो काला सच उजागर कर दिया है, जिसकी चर्चा अक्सर दबे जुबान होती रही है. रिपोर्ट सामने आने के बाद से सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक बवाल मचा हुआ है. आखिर हेमा कमेटी की रिपोर्ट में ऐसा क्या है, जानिए.
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री का खौफनाक सच
मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कई महिलाओं ने ये आरोप लगाया था कि काम देने के बदले उनसे अनैतिक डिमांड की जाती है. जिसके बाद साल 2019 में सरकार ने एक पुराने केस और महिला सुरक्षा के सभी पॉइंट्स पर चर्चा के बाद जस्टिस हेमा कमेटी का गठन किया था. इस समिति ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रही महिलाओं द्वारा फेस किए जा रहे मुद्दों को बारीकी से देखा और उनसे बात की. जिसके बाद हेमा कमेटी ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें इंडस्ट्री में काम करने वाली महिलाओं के यौन शोषण और दुर्व्यवहार जैसे उन मुद्दों को उजागर किया है, जिस पर बवाल मचा हुआ है.
फिल्म निर्माताओं, डायरेक्टर, ऐक्टर्स का नेक्सस
- मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में चल रहा फिल्म निर्माताओं, डायरेक्टर, एक्टर्स का नेक्सस.
- फिल्म के डायरेक्टर और प्रोड्यूसर महिलाओं पर बनाते हैं काम देने के बदलेअनैतिक डिमांड मानने का प्रेशर.
- एक्टर, डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स समेत 15 लोगों के एक पावरफुल ग्रुप का खुलासा.
- पावरफुल ग्रुप ये तय करता है कि किस महिला कलाकार को काम मिलेगा और किसको नहीं.
- मलयालम फिल्म इंडस्ट्री की कंट्रोलिंग पावर इन पावरफुल पुरुषों के ही हाथ में.
- अगर कोई इनके खिलाफ आवाज उठाने की कोशिश भी करेगा, तो उसका करियर बर्बाद करने में उनको जरा भी वक्त नहीं लगेगा.
समझौता करने वाली एक्ट्रेस को दिए जाते हैं कोड नेम
हेमा कमेटी की रिपोर्ट में सामने आया है कि फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर महिलाओं पर यौन शोषण का दबाव बनाते हैं. जो महिलाएं उनकी शर्तों को मान लेती हैं, उनको कोड नेम दिए जाते हैं. इसका मतलब ये हुआ कि वह दूसरी महिला कलाकारों से अलग यानी कि इन निर्माता-निर्देशकों की चहेती हो जाती हैं. उनको काम आसानी से मिलने लगता है. शर्त न मानने वाली महिला कलाकारों को साइड लाइन कर दिया जाता है.

AI से ली गई फोटो.
डिमांड पूरी न करने वाली महिलाओं के लिए जगह नहीं
हेमा कमेटी की रिपोर्ट ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला सुरक्षा और महिला हितों को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं. रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि जो महिला कलाकार कॉम्प्रोमाइज करने यानी कि डायरेक्टर और प्रोड्यूसर्स की अनैतिक डिमांड पूरी करने के लिए तैयार नहीं होती हैं, उनको इंडस्ट्री में घुसने तक नहीं दिया जाता है. इस इंडस्ट्री को कंट्रोल करने वाला पुरुषों का शक्तिशाली समूह उनको फिल्मों में साइन करना तो दूर उनको इंडस्ट्री में घुसने तक नहीं देता हैं. मतलब साफ है कि शर्त न मानने वाली महिलाओं के लिए इंडस्ट्री में कोई जगह नहीं है.
काम देने के बदले यौन संबंधों की मांग
रिपोर्ट में सामने आया है कि काम के बदले महिलाओं से यौन संबंधों की मांग की जाती है. कई महिलाओं का आरोप है कि काम शुरू करने से पहले ही उनको कॉम्प्रोमाइज करने के लिए मजबूर किया गया. यौन उत्पीड़न के साथ ही उनके साथ बुरा व्यवहार भी किया जाता है. शराब के नशे में धुत पुरुष महिला कलाकारों के रूम का दरवाजा खटखटाते हैं. इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है.

AI से ली गई फोटो.
गले लगाने के एक सीन के लिए 17 रीटेक करवाए
कमेटी ने रिपोर्ट में एक “भयानक” घटना को उजागर किया है. जहां पर एक एक्ट्रेस को उस एक्टर की पत्नी का रोल करने के लिए फोर्स किया गया, जिसने उसके साथ दुर्व्यवहार किया था. गले लगाने के सिर्फ एक शॉट के लिए एक्ट्रेस को 17 टेक करने पड़े. कमेटी की अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस हेमा ने कहा, “उनकी नाराजगी और नफरत उनके चेहरे पर झलक रही थी. सिर्फ एक शॉट के लिए 17 रीटेक लेने पड़े.”

AI से ली गई फोटो.
उचित कानून बनाने की मांग
जस्टिस हेमा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस मामले में आंतरिक शिकायत कमेटी अप्रभावी साबित हो सकती है. पावरफुल लोग इन शिकायतों से मनचाहे तरीके से निपटने में सक्षम हो सकते हैं. इससे शिकायत करने वालों की परेशानी और भी बढ़ सकती है. कमेटी ने सरकार को उचित कानून बनाने की सलाह दी है. फिल्म इंडस्ट्री में महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों के निपटारे के लिए न्यायाधिकरण बनाने की भी सलाह दी गई है.
क्यों और कब हुआ हेमा कमेटी का गठन?
14 फरवरी 2017 को मलयालम इंडस्ट्री की फेमस एक्ट्रेस अपनी कार से कोच्चि जा रही थी. किडनैप कर कार में ही उनका यौन उत्पीड़न किया गया था. जानकारी के मुताबिक ब्लैकमेल करने के इरादे से उनको किडनैप किया गया था. पुलिस ने इस मामले में 6 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. इस घटना के बाद से ही मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों की सुरक्षा, काम की शर्तों को लेकर तेजी से आवाज बुलंद होने लगी.

AI से ली गई फोटो.
हेमा कमेटी की रिपोर्ट कभी सामने क्यों नहीं आई?
तेज होते आंदोलन और दबाव की वजह से सीएम विजयन ने केरल हाईकोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस हेमा की अध्यक्षता में तीन सदस्यों वाली कमेटी का गठन किया था. साल 2019 के आखिर में इस कमेटी ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में महिला कलाकारों, सहयोगियों और अन्य स्टाफ से बात कर सेवा शर्तें, काम के बदले सही मेहनताना, शूटिंग वाली जगह पर सुरक्षा के इंतजाम समेत अन्य मुद्दों पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी. जिसमें कई बड़े खुलासे किए गए थे. रिपोर्ट की गंभीरता की वजह से सरकार ने इस रिपोर्ट को उजागर ही नहीं किया. लेकिन सरकार को आरटीआई के तहत इस रिपोर्ट को 19 अगस्त को उजागर करना पड़ा. जिसके बाद से इस रिपोर्ट की चर्चा हर तरफ हो रही है. विपक्षी नेता भी केरल सरकार से सवाल पूछ रहे हैं.