उत्तराखंड हादसा: 3 दिन से टनल में फंसे 40 मजदूर, रेस्क्यू के लिए थाईलैंड के फर्म की ली जाएगी मदद
चारधाम प्रोजेक्ट के तहत यह टनल ब्रह्मखाल और यमुनोत्री नेशनल हाईवे पर सिल्क्यारा और डंडलगांव के बीच बनाई जा रही है. रविवार को अचानक टनल धंसने से ये मजदूर बफर जोन में फंस गए. फंसे हुए मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं.
रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी और एयरफोर्स की ले रहे मदद
उत्तरकाशी के रेस्क्यू ऑपरेशन में आर्मी और एयरफोर्स की मदद ली जा रही है. टनल के अंदर फंसे 40 लोगों को बचाने के लिए दिल्ली मशीन को एयरलिफ्ट करके मंगाया गया. टनल के अंदर प्लेटफार्म बनाने की कोशिश की गई.
ये मशीन एक घंटे में 4-5 मीटर मलबे में घुस सकती है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो 10-12 घंटों में रेस्क्यू टीम पाइप को उस जगह पर पहुंचाने में कामयाब रहेगी, जहां 40 मजदूर फंसे हुए हैं. इस पाइप का व्यास (Diameter) 900 मिलीमीटर है, जो पुरुषों के बाहर निकालने के लिए पर्याप्त होगा.
हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि मशीन के देर शाम तक दिल्ली से उत्तरकाशी आने की उम्मीद है. इसके आने के कुछ घंटों बाद इसे इंस्टॉल किया जा सकेगा और फिर का शुरू हो सकेगा.
घटना की जांच के लिए बनी कमेटी
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को रेस्क्यू ऑपरेशन को लेकर हाईलेवल मीटिंग की. धामी ने बताया- “हम रेस्क्यू ऑपरेशन की पल-पल की जानकारी ले रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्रालय की ओर से भी घटना की मॉनिटरिंग की जा रही है. उत्तराखंड सरकार ने घटना की जांच के लिए 6 सदस्यीय कमेटी बनाई है. कमेटी ने जांच शुरू भी कर दी है.”
थाईलैंड के लुआंग गुफा में कैसे हुआ था रेस्क्यू ऑपरेशन?
थाईलैंड की लुआंग गुफा में हुए रेस्क्यू ऑपरेशन को सबसे कठिन माना जाता है. इसमें दुनिया के सबसे बेहतरीन गोताखोरों और थाईलैंड के सील कमांडो की मदद से गुफा में 17 दिनों तक फंसे रहे 12 लड़कों और उनके फुटबॉल कोच को सुरक्षित बचा लिया गया था.
लुआंग गुफा में फंसे थे 12 बच्चे
तारीख 23 जून 2018 थी. थाईलैंड के कई इलाकों में बारिश हो रही थी. इसी दौरान 12 बच्चों की एक फुटबॉल टीम और उनके कोच प्रैक्टिस के बाद सैर करने निकले थे. उनका प्लान थाम लुआंग गुफा देखने का था. उन्हें यह नहीं पता था कि अगले ही पल मौसम अपना मिजाज बदलने वाला है. बच्चे गुफा में घूमते-घूमते काफी अंदर तक पहुंच गए. तेज बारिश के कारण गुफा के निचले हिस्से में काफी पानी भर गया. बच्चे और उनके कोच जब तक ये समझ पाते पानी ज्यादा भर जाने से गुफा से बाहर निकलने का रास्ता बंद हो चुका था. इसके बाद कोच समेत सभी 12 बच्चे उसी गुफा में फंस गए थे. इन बच्चों के रेस्क्यू ऑपरेशन में 17 दिन लगे. रेस्क्यू टीम में 10,000 से ज्यादा लोग शामिल थे.
नॉर्वे के जियोटेक्निकल इंस्टीट्यूट से ली जा रही मदद
वहीं, टनल के अंदर रेस्क्यू ऑपरेशन कैसे किया जाए? इस पर सुझाव के लिए नॉर्वे के जियोटेक्निकल इंस्टीट्यूट से भी मदद ली जा रही है. भारतीय रेलवे और उससे जुड़े निकायों जैसे रेल विकास निगम लिमिटेड, रेल इंडिया टेक्निकल एंड इकोनॉमिक सर्विस (राइट्स) और इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड के एक्सपर्ट से भी सुझाव लिए जा रहे हैं.
क्या कहते हैं अधिकारी?
नेशनल हाईवे और इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के डायरेक्टर अंशु मनीष खलखो ने कहा, “मशीन उत्तरकाशी पहुंच रही हैं. अगले तीन-चार घंटों में हम काम शुरू कर सकते हैं. टनल का मलबा हटाया जा रहा है. हम पाइप को अंदर धकेलने की कोशिश कर रहे हैं.”
खलखो ने कहा, “नई मशीन एक घंटे में लगभग 3-4 मीटर पाइप को धकेल सकती है. हम 10-12 घंटे में काम खत्म करने की उम्मीद कर रहे हैं, लेकिन बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि अंदर कौन सी मशीनें फंसी हुई हैं. हालांकि, सभी मजदूर ठीक हैं, उन्हें खाना और पानी मिल रहा है. परिवार और अधिकारी उनका मनोबल बनाए रखने के लिए उनसे बात कर रहे हैं.”
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