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उत्तरकाशी हादसा: टनल में डाला गया एक और पाइप, मजदूरों के रेस्क्यू के लिए 10-12 मीटर की ड्रिलिंग बाकी

साइट पर मौजूद सीनियर अधिकारियों ने कहा कि टनल में फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने की समय सीमा बताना मुश्किल है. क्योंकि अप्रत्याशित बाधाओं के कारण काम में देरी हो रही है. उन्होंने बताया, “ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार से पता चला है कि अगले पांच मीटर तक कोई बड़े मेटल के बाधा नहीं होने की संभावना है. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो मजदूरों तक पहुंचने के लिए दो और पाइपों को पुश करना काफी होगा.”

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6-6 मीटर के दो पाइप डालने का काम बाकी

सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के एडिशनल सेक्रेट्री महमूद अहमद ने शुक्रवार को बताया कि 46.8 मीटर की ड्रिलिंग हो चुकी है. 10-12 मीटर की खुदाई बाकी है. टनल में 6-6 मीटर के दो पाइप डालने के बाद ब्रेकथ्रू मिल सकता है. अगर ब्रेकथ्रू नहीं मिला तो तीसरा पाइप डालने की भी तैयारी है. उन्होंने बताया कि ऑगर मशीन गुरुवार शाम को एक मेटल पाइप से टकरा गई, जो ड्रिलिंग ब्लेड के चारों ओर लिपट गई. इसस मशीन ने काम करना बंद कर दिया. दो एक्सपर्ट की मदद से सरिया काटा गया, जिसके बाद ड्रिलिंग का काम दोबारा शुरू हुआ. बुधवार रात भी ऑगर मशीन के सामने सरिया आ गया था. NDRF की टीम ने रात में ही सरिया काटकर अलग कर दिया था.

NDRF ने की मॉक ड्रिल

उधर, NDRF ने मजदूरों को निकालने के लिए मॉक ड्रिल की. टनल में फंसे 41 मजदूरों के लिए खाने-पीने के लिए पैकेट भी तैयार किए गए. शुक्रवार को उन्हें नाश्ते में दलिया और फल भेजे गए. दोपहर में चावल और दाल दिया गया.

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NDRF की 15 सदस्यीय टीम टनल के अंदर जाएगी

ड्रिलिंग कंप्लीट होने पर NDRF की 15 सदस्यीय टीम हेलमेट,ऑक्सीजन सिलेंडर, गैस कटर के साथ 800 मिमी की पाइपलाइन से अंदर जाएगी. चूंकि टनल के अंदर और बाहर के तापमान में काफी अंतर होगा, इसलिए मजदूरों को तुरंत बाहर नहीं लाया जाएगा. मजदूरों को कमजोरी महसूस होने पर NDRF की टीम उन्हें पाइपलाइन में स्केट्स लगी टेंपररी ट्रॉली के जरिए बाहर खींचकर निकालेगी.

मजदूरों के लिए 41 बेड का अस्पताल तैयार

मजदूरों के बाहर आने के बाद उन्हें अस्पताल पहुंचाया जाएगा. 41 मजदूरों को एंबुलेंस में चिल्यानीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया जाएगा. यहां 41 बेड का अस्पताल तैयार है.

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12 नवंबर को हुआ था हादसा

सिलक्यारा टनल हादसा 12 नवंबर की सुबह 4 बजे हुआ था. टनल के एंट्री पॉइंट से 200 मीटर अंदर 60 मीटर तक मिट्टी धंसी. इसमें 41 मजदूर अंदर फंस गए. टनल के अंदर फंसे मजदूर बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के हैं. चारधाम रोड प्रोजेक्ट के तहत ये टनल बनाई जा रही है. 

29 टनल का सेफ्टी ऑडिट कराने का फैसला

उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद सड़क और परिवहन मंत्रालय ने पूरे देश में बन रही 29 टनल का सेफ्टी ऑडिट कराने का फैसला किया है. इसके लिए कोंकण रेलवे कॉर्पोरेशन लिमिटेड के साथ करार किया गया है. NHAI और दिल्ली मेट्रो के एक्सपर्ट मिलकर सभी टनल की जांच करेंगे और 7 दिन में रिपोर्ट तैयार करेंगे.

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