वीडियो : 17 दिनों तक चले उत्तराखंड टनल ऑपरेशन के सफल होने के बाद खुशी से झूम उठी रेसक्यू टीम

राष्ट्रीय आपदा राहत बल, भारतीय सेना, पुलिस और कई अन्य एजेंसियों ने उत्तराखंड में ध्वस्त सिल्कयारा सुरंग के नीचे फंसे 41 लोगों को मुक्त कराने के लिए 24 घंटे काम किया. ऑपरेशन में एक अन्य प्रमुख व्यक्ति सुरंग एक्सपर्ट एरोल्ड डिक्स थे जिन्होंने रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सरकार और एजेंसियों को सलाह दी.
डिक्स ने एनडीटीवी को बताया कि एस्केप होल्स की ड्रिलिंग के लिए “धीरे-धीरे” दृष्टिकोण और पहले से ही नाजुक और “स्टिल मूविंग” पहाड़ी इलाके पर ऑगर के प्रभाव का आकलन करना सफल ऑपरेशन की कुंजी थी.
Ever wondered how emergency responders feel when no one has been hurt. Join me with Uttrakhands SDRF Police Rescue unit as we celebrate our successful rescue from the tunnel. #UttarakhandRescue#UttarakhandTunnel#TunnelRescue#ArnoldDixpic.twitter.com/jAOtf9fN2P
— Arnold Dix Prof (@Arnolddix) November 29, 2023
उन्होंने 17 दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल निष्कर्ष पर पहुंचने के बाद जश्न मनाते हुए बचाव दल के कुछ सदस्यों का एक वीडियो भी साझा किया.
अपने और एसडीआरएफ कर्मियों के डांस का वीडियो साझा करते हुए, डिक्स ने लिखा, “कभी सोचा है कि जब किसी को बिना चोट पहुंचे रेस्क्यू कर लिया जाता है तो आपातकालीन प्रतिक्रियाकर्ताओं को कैसा महसूस होता है. उत्तराखंड एसडीआरएफ पुलिस बचाव इकाई और मेरे साथ जुड़ें क्योंकि हम सुरंग से अपने सफल बचाव का जश्न मना रहे हैं.”
डिक्स ने ये भी बताया कि कई योजनाएं होने के बावजूद मजदूरों को रेस्क्यू करने में टाइम क्यों लगा. उन्होंने उस बहस का उदाहरण दिया जो ढही हुई संरचना के शीर्ष पर वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के लिए एक नई सड़क बनाने से पहले हुई थी. उन्होंने कहा कि विशेषज्ञ नियमित रूप से अंदर फंसे लोगों के जीवन को बचावकर्मियों और पर्यावरण के जोखिम के साथ संतुलित करने की आवश्यकता पर चर्चा करते हैं.
उन्होंने कहा, ” हम कितनी धीमी गति से आगे बढ़े, इसके लिए हमारी आलोचना हो रही थी, लेकिन क्योंकि हमारा मिशन जिंदगियां बचाना था, हम अपने काम के क्रम में वास्तव में सावधान थे. हम कई (बचने के) दरवाजे बना रहे थे. हां… लेकिन प्रत्येक से दूसरा कैसे प्रभावत हो सकता है, इसके बारे में हम सावधान थे.”
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