"हम राम के नाम पर वोट नहीं मांग रहे" : अमित शाह का विपक्ष को करारा जवाब
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस यह झूठ फैला रही है कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) तीसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आई तो उसका इरादा संविधान बदलने और आरक्षण समाप्त करने का है. शाह ने दावा किया कि जनता के आशीर्वाद और समर्थन से भाजपा लोकसभा चुनाव में 400 से अधिक सीट जीतने के लक्ष्य की ओर बढ़ रही है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम कोई तुष्टीकरण की राजनीति नहीं कर रहे हैं.
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अमित शाह ने कहा, “असम में हम कोई तुष्टीकरण की राजनीति नहीं कर रहे हैं… लेकिन हमें यकीन है कि 14 में से 12 सीटें जीतेंगे. हम राम के नाम पर वोट नहीं मांग रहे हैं… हम सिर्फ यह कह रहे हैं कि हमारे समय में राम मंदिर बना… हमने उसका उद्घाटन किया और उन्होंने (कांग्रेस) राम का बहिष्कार किया. भाजपा धर्म के आधार पर आरक्षण में विश्वास नहीं रखती. हम मतदाताओं को अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक के रूप में नहीं देखते. भाजपा अध्योध्या में राम मंदिर बनाएगी और वहां राम मंदिर बनना चाहिए, यह हमारे घोषणापत्र में 1989 से है.”
उन्होंने कहा, “कांग्रेस की हताशा और निराशा इस स्तर पर पहुंच गई कि उन्होंने मेरा और कुछ भाजपा नेताओं का फेक वीडियो बनाकर सबके बीच में सार्वजनिक किया. मुख्यमंत्री और प्रदेश अध्यक्ष तक के नेताओं ने भी इस वीडियो को फॉरवर्ड करने का काम किया. सौभाग्य से मेरे उस भाषण की वीडियो रिकॉर्डिंग हुई थी, इसलिए सब दूध का दूध और पानी हो गया और आज कांग्रेस पार्टी के नेता आपराधिक मामलों का सामना कर रहे हैं. राहुल गांधी ने जब से कांग्रेस की कमान संभाली है, तब से राजनीति का स्तर नीचे ले जाने का काम कर रहे हैं.”
बता दें कि ‘फर्जी वीडियो’ में तेलंगाना में धार्मिक आधार पर मुसलमानों के लिए आरक्षण समाप्त करने की प्रतिबद्धता जताने का संकेत देने संबंधी शाह के बयान को तोड़-मरोड़कर इस तरह दिखाया गया है जैसे कि वह हर तरह का आरक्षण समाप्त करने की वकालत कर रहे हों. पुलिस ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से उकसाना), 153ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान, निवास, भाषा आदि के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच द्वेष को बढ़ावा देना), 465 (जालसाजी), 469 (किसी भी पार्टी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के लिए जालसाजी), और 171जी (चुनाव के परिणाम को प्रभावित करने के इरादे से गलत बयान प्रकाशित करना) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है.
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