'हम डीडीए और दिल्ली सरकार के बीच लड़ाई छुड़वाने नहीं बैठे' : रिज में पेड़ों की कटाई मामले पर SC
दक्षिण दिल्ली के रिज इलाके में पेड़ों की कटाई का मामले में सुप्रीम कोर्ट नाराजगी जताई है और पूछा है कि दिल्ली सरकार कितना मुआवजा देगी और कितने पेड़ लगाएगी? हम यहां डीडीए और दिल्ली सरकार के बीच लड़ाई छुड़वाने नहीं आए हैं. हम पर्यावरण बचाने आए हैं. रिज फॉरेस्ट एरिया के लिए सरकार द्वारा अनुमति देना अवमानना है. हम अवमानना जारी करेंगे. आपकी अंग्रेजी की पूरी समझ गलत है. अपने अधिकारी से फिर से पूछें कि क्या वह सरकार द्वारा इस अधिसूचना को वापस ले रहा है? अगर वह सहमत नहीं होता है तो हम अभी अवमानना नोटिस जारी करेंगे. यह आपकी गलती है. अब हमें बताएं कि पेड़ कहां गए. दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील आदित्य सौंढी ने कहा कि अधिकारी अनुमति की अधिसूचना वापस लेंगे. मेरे पास निर्देश हैं. पेड़ जब्त कर लिए गए हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब हमें बताएं कि दिल्ली सरकार कितना मुआवजा देगी और सरकार कितने पेड़ लगाएगी? आप पर्यावरण नहीं बचा रहे हैं. अब हमें बताएं कि एलजी द्वारा अनुमति दिए जाने के बाद क्या उन्होंने एलजी को सूचित किया कि अदालत की अनुमति नहीं है? क्या एलजी को यह बताना कर्तव्य नहीं था कि जब तक अदालत अनुमति नहीं देती, हम ऐसा नहीं कर सकते?
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि 1000 पेड़ों को अवैध रूप से काटे जाने की जानकारी मिलने के बाद दिल्ली सरकार ने क्या कार्रवाई की? क्या आपने इस बारे में कोई जांच की है कि किस प्रजाति के पेड़ काटे गए? दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील आदित्य सौंढी ने कहा- पूरी सूची है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह जब्त लकड़ियों के लिए है. जब्त करने से पहले क्या आपने डीडीए से यह डेटा लिया था कि कौन से पेड़ काटे गए? आप डीडीए पर आरोप लगा रहे हैं. अब हमें बताएं कि पेड़ (जो गिरे) कहां गए? दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ वकील आदित्य सौंढी ने कहा कि उन्हें जब्त कर लिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट ने आगे कहा कि हमें एक और बात बताएं कि हमारे आदेश के बाद यह कार्रवाई क्यों की गई? जब दिल्ली सरकार को पता चला कि करीब 1000 पेड़ गिर गए हैं तो उसने क्या कार्रवाई की?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप बिना यह जाने कि कौन से पेड़ काटे गए, कुर्की का आदेश कैसे पारित कर सकते हैं? क्या इस बारे में कोई विवेक का प्रयोग किया गया था? इसमें कुछ गंभीर गड़बड़ है. कुर्क किए गए लट्ठे कीकर के पेड़ थे, जो पेड़ काटे गए वे सिर्फ़ कीकर के नहीं थे. सरकार की ओर से 99 फीसदी कीकर थे. सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले में 31 जुलाई को सुनवाई करेगा.