देश

आपको क्या मिला, दिल नीतीश-नायडू का कितना खिला…एक्सपर्ट्स से बजट का निचोड़ समझिए

ये भी पढ़िए-सैलरीड क्लास को खुश कर दिया, टैक्स स्लैब की इस राहत पर वित्त मंत्री को 10 में 9 नंबर पक्के 

मिडिल क्लास को और टैक्स बेनिफिट मिल सकता था

अर्थशास्त्री कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम का कहना है कि इस बार के बजट में सरकार ने रोजगार पर खासा फोकस रखा है. रोजगार को लेकर काफी कदम उठाए गए हैं. इसमें 500 कंपनियों में इंटर्नशिप का ऐलान भी शामिल है, इससे युवाओं को सीखने का मौका मिलेगा. उससे जो ट्रेनिंग मिलेगी, वो बहुत अहम है. फर्स्ट टाइम एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी के बीच प्रोविडेंट फंड की लागत सरकार उठाएगी. इसके अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में जॉब्स पर भी फोकस किया गया है. मिला-जुलाकर देखा जाए तो बजट में रोजगार पर बहुत ज्यादा फोकस रखा गया है. एंजेल टैक्स को हटा दिया गया है, इससे स्टार्टअप्स करने वाले को फायदा होगा. कई बार स्टार्सअप्स में टैक्स अथॉरिटी के साथ एंजेल टैक्स को लेकर मुद्दे आ जाते हैं.

इसे हटाने का हमारे टैक्स इकोसिस्टम के लिए अच्छा कदम होगा. क्योंकि स्टार्टअप इकोसिस्टम भी रोजगार में बड़े पैमाने पर इजाफा करते हैं. हालांकि, बजट में सरकार एक-दो और चीज कर सकती थी. मिडिल क्लास को टैक्स के जरिए थोड़ा और बेनिफिट दिया जा सकता था. रिसर्च ये कहते हैं कि प्रोफेशनल जैसे डॉक्टर्स, इंजीनियर्स वगैरह उतना टैक्स नहीं देते, जितने हम सैलरीड क्लास के लोग देते हैं. ऐसे में बजट में सरकार को सैलरीड क्लास का थोड़ा और ख्याल रखना चाहिए था. इसपर आगे काम किया जाना चाहिए.

ये भी पढ़िए-‘एंजेल टैक्स’ खत्म करने से स्टार्टअप इकोसिस्टम होंगे मजबूत: अर्थशास्त्री कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम

बजट में नौकरियों  पर खास फोकस

CSIS-US के सीनियर फेलो जयंत कृष्णा का मानना है कि मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहले बजट का फोकस रक्षा, रोजगार, किसान, महिला और युवाओं पर रहा.  बजट में नई टैक्स रिजीम चुनने वालों के लिए अब 7.75 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री हो गई. उनको लगता है ये मोटे तौर पर रोजगारपरक, स्किल डेवलपमेंट और शिक्षापरक बजट है. बहुत से लोगों ने इस बारे में आशंका जताई कि 2047 तक विकसित भारत कैसे होगा. उसके भी कुछ इंडिकेटर्स इस बजट में हैं. बजट में जो सबसे बड़ी चीज हाइलाइट हुई है, वो है नौकरियों को पैदा करना. लोकसभा चुनाव में बीजेपी को जिन राज्यों में सीटों का नुकसान हुआ, उनमें राजनीतिक कारणों के साथ-साथ बड़ा कारण बेरोजगारी भी था.

इस बजट में बेरोजगारी को कम करने और नई नौकरियां पैदा करने का जिक्र किया गया है. इकोनॉमिक सर्वे देखने के बाद मैंने पहले ही कहा था कि सरकार को बेरोजगारी कम करने के लिए कुछ बड़े ऐलान करने की जरूरत है. चाहे वो सर्विस सेक्टर हो या मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर हो, इसमें जॉब क्रिएशन के लिए इंसेंटिव्स होने चाहिए. EPFO कॉन्ट्रिब्यूशन को लेकर तीन स्कीम्स बताई गई हैं. यानी अगर मैन्युफैक्चरिंग में रोजगार पैदा हुए, तो क्या होगा. सर्विस सेक्टर में जॉब्स क्रिएट हुईं, तो कितना EPFO कॉन्ट्रिब्यूशन होगा. 

ये भी पढ़ें- बजट में अप्रेंटिसशिप के साथ-साथ इंटर्नशिप की पहल से 1 करोड़ लोगों को होगा फायदा

बजट में हर क्षेत्र की उम्मीदों पर फोकस

अर्थशास्त्री एन के सिंह का कहना है कि मैं संपूर्ण रूप से सहमत हूं कि इस बजट का हमारे 2047 तक विकसित भारत के रूप में हमें परिवर्तित करने के लक्ष्य के प्रति बहुत महत्वपूर्ण योगदान है. सर्वप्रथम मैं सहमत हूं कि यह बजट सभी वर्गों को, सभी क्षेत्रों को और जो हम लोगों की जो उम्मीदें थी, बजट में उनके ऊपर ठोस कदम का विवरण है. सर्वप्रथम मैं कहना चाहता हूं कि ये कहना और करना बहुत कठिन है, कि यद्यपि जो हमारा लक्ष्य है कि आगे आने वाले दिनों में, एक साल में नहीं, लेकिन 5 सालों में आठ प्रतिशत की गति में वृद्धि हो और साथ ही साथ जिसे लोग मैक्रो इकोनॉमिक स्टेब्लिटी कहते हैं वो भी बना रहे. इन दोनों की दूराभास है किस रूप से इनका समन्वय किया जाए.

इसका एक बहुत ही शानदार उदाहरण इस बजट में आप देखें कि फिस्कल डेफिसिट के जो आंकड़े दिए गए हैं. उससे ये सिद्ध होता है कि जिस दिशा में हम लोग चल रहे थे, यानी फिस्कल डेफिसिट को घटाना, जो ऋण है उसमें नियंत्रण पाना, और साथ ही साथ जो प्रगति हम लोगों ने हासिल की है. वो प्रगति उसी रास्ते पर चलती रहे. इसका उल्लेख किया गया है. बहुत कम राष्ट्रों ने ऐसा समन्वय हासिल करने का सौभाग्य हासिल किया है और भारत का ये सौभाग्य है.

यह भी पढ़ें :-  ''ये पांच साल देश में रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म के थे'' : लोकसभा में PM मोदी

ये भी पढ़ें-विकसित भारत बनाने के लक्ष्य में इस बजट का एक महत्वपूर्ण योगदान : अर्थशास्त्री एन के सिंह

गांव के विकास और इंडस्ट्रियों पर खास फोकस

केंट RO के सीएमडी महेश गुप्ता का कहना है कि  ये बजट कंजप्शन क्रिएट करेगा, जिससे लोगों के हाथों में पैसा आएगा. इसके साथ ही इंडस्ट्री के लिए बहुत सारे प्रावधान इसमें किए गए हैं. कुल मिलाकर ये अच्छा बजट है. इंडस्ट्री भी इसे वेलकम कर रही है, हां शेयर मार्केट थोड़ा निगेटिव जरूर हुआ, लेकिन वह भी पोजिटिव की तरफ जा रहा है. कह सकते हैं कि आने वाले समय वो भी इसे पोजिटिव तरीके से ही लेगा. MSME में मुद्रा लोन की सीमा बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है. MSME इंडस्ट्री की बैक बोन हैं, वहीं से सबसे ज्यादा रोजगार सृजन करते हैं. सरकार ने बजट में एमएसएमई को बूस्ट दिया है. उद्यमी लोन से अपनी इंडस्ट्री को बढ़ा सकेगा. इससे युवाओं के साथ-साथ इंडस्ट्रियों को भी फायदा होगा.

Latest and Breaking News on NDTV

इसके अलावा रियल स्टेट को पीएम आवास योजना के तहत 10 लाख करोड़ का प्रावधान है.  यानी गांव की तरफ विकास और बढ़ेगा और इंडस्ट्रियां भी वहां बढेंगी, क्योंकि जहां डिमांड बढ़ती है वहां नई इंडस्ट्री भी आती है. इसके अलावा उच्च शिक्षा के लिए लोन की व्यवस्था भी सरकार ने इस बजट में की है. गरीब का बच्चा पढ़ेगा, इंटर्नशिप करेगा तो उसमें स्किल आएगी, जिससे रोजगार को बढ़ावा मिलेगा. स्किल्ड लोग निकलेंगे तो इंडस्ट्री का इनडायरेक्ट फायदा ही करेंगे.

ये भी पढ़ें- बजट पर इंडस्ट्री एक्सपर्ट की राय: MSME को बूस्ट से इंडस्ट्रियों को भी तो फायदा होगा

बजट को 10 में से 7.5 नंबर

टैक्स एक्सपर्ट दिनेश काबरा का कहना है कि वह निर्मला सीतारमण के बजट को मैं 10 में से 7.5 मार्क्‍स देंगे. सरकार बजट के मोर्चे पर डिस्टिंक्शन से पास हुई है. निर्मला सीतारमण को 2 वजह से उन्होंने ये मार्क्‍स दिए हैं. हालांकि, बजट में 2 प्रॉविजन किये गए हैं, जो कैपिटल मार्केट को प्रभावित करेंगे. लेकिन कुल मिलाकर जो सैलरीड पर्सन के लिए बात की है, वो शानदार है. टैक्‍स रेट को भी नीचे लाए हैं और जो ओवरऑल सैलरीड लोगों को 17,500 रुपये का फायदा हो रहा है, वो भी बहुत अच्‍छा है. ये मध्‍यमवर्ग के लोगों को फायदा करेगा. कई योजनाएं स्किल को बढ़ाने के लिए लाई जा रही हैं. युवाओं, महिलाओं को इन स्किल योजनाओं का लाभ मिलेगा और इससे  इंडस्‍ट्री को फायदा होगा. देश की अर्थव्‍यवस्‍था को गति मिलेगी. देश में निम्‍न मध्‍यम आय वर्ग के लोग बहुत हैं, 17,500 रुपये का जो फायदा मिल रहा है, वो लगभग 4 करोड़ से ज्‍यादा लोगों को होगा. इन कम सैलरी के लोगों के लिए ये बचत काफी मायने रखती है. 

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें-बजट में टैक्‍स छूट पर एक्‍सपर्ट : वित्‍त मंत्री डिस्टिंक्शन से पास, 4 करोड़ टैक्‍स पेयर्स को होगा फायदा

बजट में 9 पॉइंट्स के अजेंडे पर फोकस 

अर्थशास्त्री संचिता मुखर्जी का कहना है कि मैन्युफेक्चरिंग सेक्टर के साथ ही कृषि सेक्टर काफी सालों से भारत की इकोनॉमी की रीढ़ की हड्डी है. इसमें प्रोडेक्टिविटी पर डिस्कशन करना बहुत जरूरी है. क्यों कि आज के समय में एक देश के तौर पर हम क्लाइमेट चेंज, क्लाइमेट रेजिलिएंस, इन सभी चीजों को ध्यान में रखते हुए ग्रोथ और डेवलपमेंट मॉडल पर आगे बढ़ रहे हैं. टैक्स स्लैब में बदलाव पर वह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को 10 में से 7 नंबर देंगी. सरकार का फोकस काफी अच्छा रहा है. बजट में नौ पॉइंट्स के अजेंडे पर फोकस है. इंफ्रास्ट्रक्चर और खेती-किसानी पर जोर है. रोजगार सृजन और युवाओं की स्किल बढ़ाने पर जोर दिखाई देता है.

इसके अलावा भी कई फैक्टर हैं. कस्टम, एमएसएमई और मैन्युफैक्चरिंग पर सरकार का ध्यान है. इकॉनोमी को कैसे बाइब्रेंट बनाया जाए, सरकार ने बहुत ही अच्छी तरह से समझाया है. टैक्स में सिर्फ एक ही ड्रॉ बैक है कि मार्केट सेंटिमेंट बहुत बड़ी चीज है. वहीं मार्केट पार्टिसिपेंट जो रिटेल इन्वेस्टर्स हैं, वह भी मिडिल क्लास और लोअर मिडिल क्लास हैं. कैपिटल गेन्स का जो टैक्स बनता है वह इतना भारी नहीं पड़ता है. तो उसको उतना छोड़ना बहुत अच्छा आइडिया नहीं है.

ये भी पढे़ं- बजट पर एक्सपर्ट कॉमेंट: फोकस वाले 9 पॉइंट्स बता रहे सही रास्ते पर सरकार

यह भी पढ़ें :-  मुझे सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं... राहुल ने ऐसा क्या कहा कि लोकसभा में भड़क गए शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान

उम्मीदें ज्यादा, लेकिन सरकार के पास पैसा कम

कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी के MD निलेश शाह का कहना है कि बेशक बजट में किसी को ज्यादा मिले, तो अच्छा लगेगा. लेकिन भारत में दिक्कत है. सैलरीड क्लास अपने टैक्स का दायित्व पूरा कर रहा है. टैक्स यहां सोर्स के ऊपर डिडक्ट हो रहा है. जो नॉन-सैलरीड क्लास हैं, उनमें टैक्स का दायित्व उतना अच्छा नहीं है, जितना होना चाहिए. इस वजह से सरकार के पास जो टैक्स रेवेन्यू आ रहा है, वो तेज गति से बढ़ जरूर रहा है. लेकिन ये टैक्स कुछ ही लोगों के पास से आ रहा है. करीब 8 करोड़ लोग इनकम टैक्स रिटर्न भरते हैं. सिर्फ 2 करोड़ लोग इनकम टैक्स भरते हैं. 6 करोड़ लोग टैक्स भी नहीं भरते. इस 2 करोड़ लोगों में भी बहुत कम लोग हैं, जो टैक्स ज्यादातर भर रहे हैं. बजट से लोगों की उम्मीदें हमेशा से ज्यादा रहेंगी. लेकिन सरकार के पास उतना बजट नहीं है, जिससे लोगों की सभी उम्मीदों को पूरा किया जा सके.

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें-लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़कर 12.5% होने से नहीं पड़ेगा खास फर्क : निलेश शाह

6 महीनो में टैक्‍स में बदलाव की जरूरत नहीं

शेयर्स एंड सिक्‍योरिटी के एमडी देवेन चोकसी ने कहा कि एक चीज से मैं सहमत नहीं हूं कि एक तरफ वित्तमंत्री कहती हैं कि हम नए टैक्‍स कोड की ओर जा रहे हैं. इस साल में पहले से ही छह महीने निकल चुके हैं और दूसरे छह महीने बाकी हैं. इन छह महीनो में टैक्‍स में परिवर्तन की जरूरत शायद नहीं थी. इसमें एक टैक्‍स पेयर को असुविधा ज्‍यादा होगी. आपको एक ही साल में दो अलग-अलग तरह से टैक्‍स कैलकुलेशन करनी होगी, 23 जुलाई से पहले और 23 जुलाई के बाद. अगले साल से जो नया टैक्‍स कोड लाने की बात है, जिसमें काफी हद तक टैक्‍स रेट को सरलीकृत करने की बात है, टैक्‍सेशन स्‍ट्रक्‍चर को सरल बनाने की बात है तो अगले साल जिस तरह से नया स्‍ट्रक्‍चर आएगा तो टैक्‍स पेयर को इतनी असुविधा नहीं देनी चाहिए. मैं टैक्‍स के खिलाफ नहीं हूं, लेकिन असुविधा नहीं होनी चाहिए. 

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें-टैक्सेशन में इतना बदलाव नहीं करते तो बजट को 10 में से 9 मार्क्‍स दे सकते थे : देवेन चोकसी

बजट को 10 में से 10 नंबर

SID की पूर्व प्रमुख प्राची मिश्रा ने कहा कि इस बार का बजट काफी अच्छा है. अगर फिसिकल डेफिसिट का आंकड़ा देखें तो वो जीडीपी का 4.9 प्रतिशत है. उम्मीद थी 5.1 प्रतिशत की, लेकिन उससे कम है. एक साल के अंदर जीडीपी का लगभग 0.9 प्रतिशत बहुत बड़ा रिडक्शन इन डेफिसिट है, जो इंबेसाज किया जा रहा है. कोविड का साल अगर छोड़ दें तो 2013 से लेकर अभी तक इतना ज्यादा डेफिसिट रिडक्शन कभी नहीं देखा गया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ कहा है कि हमें अगले साल भी डेफिसिट कम करना है और देश के कर्ज को सबसे निचले स्तर पर लेकर आना है. इसीलिए स्थिरता से लेकर प्रभावी बजट तक मैं बजट को 10 में से 10 नंबर दूंगी.

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें-ये भी पढ़ें-संतुलित बजट को 10 में से 10 नंबर : IMF, SID की पूर्व प्रमुख प्राची मिश्रा

बजट में बैलेंस का खास ख्याल 

पूर्व CEA अशोक लाहिड़ी का कहना है कि मोदी सरकार ने एक ऐतिहासिक बजट दिया है. इसके मोटे तौर पर 3 कारण हैं. पहला- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये लगातार सातवां बजट है. इसके पहले मोरारजी भाई लगातार छह बजट पेश कर चुके हैं. ऐसे में सीतारमण ने एक रिकॉर्ड बनाया. दूसरा- ये मोदी 3.0 का पहला पूर्ण बजट है. तीसरा- गठबंधन सरकार में सहयोगी दलों का ख्याल रखा गया है, जो गठबंधन की परंपरा मानी जाती रही है. देखा जाए तो बजट में बैलेंस का खास ख्याल रखा गया है. आज की गरीबी और आज की समस्या का समाधान चाहिए. साथ ही साथ बजट में लॉन्ग टर्म डेवलपमेंट की भी बात कही गई है. निर्मला सीतारमण ने बहुत बढ़िया तरीके से इनका मेलजोल किया है.

Latest and Breaking News on NDTV

बजट में कृषि की समस्या को कम करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं. हिंदुस्तान बदल रहा है. यहां के लोगों की इनकम बदल रही है. खाने-पीने की आदतें बदल रही हैं. अब हम लोग खाने के लिए उतना चावल और गेहूं नहीं मांगते हैं. हम अब दूध, सब्जी, फल मांगते हैं. प्रोटीन युक्त खाना मांगते हैं. बजट में सरकार ने Diversification यानी विविधता का एक बड़ा कदम उठाया है. 

यह भी पढ़ें :-  Budget 2024: राष्ट्रपति मुर्मू ने बजट पेश करने से पहले दही-चीनी खिलाकर वित्त मंत्री को दी शुभकामनाएं, जानें महत्व

ये भी पढ़ें- ये भी पढ़ें-बजट में संतुलन और विविधता का रखा गया ख्याल : पूर्व CEA अशोक लाहिड़ी

 बजट में स्थिरता और निरंतरता पर जोर

SBI के ग्रुप मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ सौम्या कांति घोष का कहना है कि  बजट का जो नंबर है, वो कंजरवेटिव है और अंतिम दो-तीन साल से हम यही देख रहे हैं कि सरकार बजट में अंडर प्रॉमिस करती है और ओवर डिलेवर करते हैं. इस बजट में भी कोई अंतर नहीं होगा और बजट असल में निरंतर है, क्योंकि वित्त मंत्री ने स्पष्ट कहा है कि वो टैक्स स्लैब को सुधारने की कोशिश कर रही हैं. इसका मतलब है कि अगले फरवरी में जो बजट आएगा, उसमें टैक्स रिजीम को लेकर काफी बदलाव देख सकते हैं. मुझे लगता है कि ये बजट स्थिरता और निरंतरता को लेकर इंफेसिस है और देश के लिए इंवेस्मेंट को लेकर बहुत ही महत्वपूर्ण फैक्टर है.

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें-ये भी पढ़ें-बजट में स्थिरता और निरंतरता पर जोर : SBI के ग्रुप मुख्य आर्थिक सलाहकार डॉ सौम्या कांति घोष

बजट में विकसित भारत का खाका

NITI आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी ने कहा कि दी 3.0 के पहले बजट में विकसित भारत का खाका खींचा गया है. बजट में किसानों, मिडिल क्लास, युवाओं, महिलाओं, छोटे निवेशकों और सैलरीड क्लास का खास ख्याल रखा गया है. पहली बार बजट में रोजगार परक स्किल पर दिया गया जोर दिया गया. ये एक स्वागत योग्य कदम है. इसका फायदा 1 करोड़ युवाओं को पांच साल के दौरान मिलेगा. विकसित भारत का खाका खींचने में एक मुद्दा डेमोग्राफिक डिविडेंट का आता है. डेमोग्राफिक डिविडेंट का अगर अधिकतम इस्तेमाल करना है, दुनिया में हमारे देश की स्थिति को अगर मजबूत करना है, तो सबसे पहले हमारे युवाओं को मजबूत करना होगा. युवाओं को बेसिक एजुकेशन और स्किल्स देनी पड़ेगी. स्किल्स और जॉब्स एक ही सिक्के के दो पहलू हैं. हमें जॉब्स और स्किल्स को मैच करना होगा. इस बजट में कई प्रोग्राम शुरू किए गए हैं. जिससे जॉब रिलेटेड स्किल्स हमारे युवाओं को मिले, ताकि वो अपने-अपने क्षेत्र में आगे बढ़ सके. इन सब चीजों के लिए हमें जॉब्स के लिंक की जरूरत है.

Latest and Breaking News on NDTV

ये भी पढ़ें- पहली बार बजट में रोजगार परक स्किल पर दिया गया जोर : NITI आयोग के सदस्य अरविंद विरमानी

नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत ने कहा कि इस साल का बजट हर मामलों में एक उम्दा बजट है. इसे वाकई ‘उम्मीदों का बजट’ कहा जा सकता है. बजट 2024 में सभी सेक्टर और कैटेगरी के लिए कुछ न कुछ दिया गया है. इसे देश के लॉन्ग टर्म डेवलपमेंट को फोकस में रखते हुए तैयार किया गया है. पूर्वानुमान, निरंतरता और स्थिरता एक अच्छी सरकार की पहचान है. ये सभी चीजें बजट 2024-25 में देखने को मिली. बजट में वित्त मंत्री ने रोजगार सृजन पर खासा जोर दिया है. इससे ज्यादा से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी. ये नौकरियां ज्यादातर एग्रीकल्चर सेक्टर में पैदा होंगी, जहां अभी तक कम पेमेंट मिलता है. वित्त मंत्री ने बजट में फर्स्ट हैंड एम्प्लॉयी यानी पहली बार नौकरी कर रहे युवाओं का भी ध्यान रखा है. 1 लाख रुपये से कम सैलेरी होने पर EPFO में पहली बार रजिस्टर करने वाले लोगों को 15 हजार रुपये की मदद तीन किश्तों में मिलेगी.
ये भी पढ़ें- ये पूर्वानुमान, निरंतरता और स्थिरता की राह दिखाने वाला बजट : नीति आयोग के पूर्व CEO अमिताभ कांत


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button