बांग्लादेश में शेख हसीना के तख्तापलट से भारत पर क्या पड़ेगा असर?
भारत के लिए बांग्लादेश हाल के दिनों में बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. वैसे तो बांग्लादेश के बनने में ही भारत की अग्रणी भूमिका थी, लेकिन पाकिस्तान और चीन जैसे देशों के साथ बढ़ती कड़वाहट के बीच बांग्लादेश को भारत एक विश्वसनीय मित्र की तरह देखने लगा था. यही कारण है कि बांग्लादेश के साथ सीमा विवाद को समाप्त कर दिया गया और उसके साथ व्यापार को बड़े स्तर पर बढ़ाया गया. बांग्लादेश फिलहाल दक्षिण एशिया में भारत के सबसे बड़े व्यापार भागीदार के रूप में उभरा है. दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार वर्ष 2020-21 में 10.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर से बढ़कर वर्ष 2021-2022 में 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया था. कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कुछ गिरावट आई है. भारत भी बांग्लादेश का दूसरा सबसे बड़ा व्यापार भागीदार है. भारतीय बाजारों में बांग्लादेश का निर्यात 2 बिलियन अमेरिकी डॉलर है. वहीं 2010 के बाद से भारत ने बांग्लादेश को 7 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की ऋण सहायता दी है. ऐसे में शेख हसीना का इस तरह से चले जाना भारत के लिए भी एक झटके की तरह है.
भारत के बांग्लादेश में निवेश
बिम्सटेक मास्टर प्लान भारत, बांग्लादेश, म्यामार और थाईलैंड में प्रमुख परिवहन परियोजनाओं को जोड़ने पर केंद्रित है. इसके तहत इन देशों में शिपिंग नेटवर्क जोड़ने का प्लान था. शेख हसीना के जाने से इस पर असर पड़ सकता है. इसके साथ ही भारत का ध्यान त्रिपुरा से 100 किमी. दूर बांग्लादेश द्वारा बनाए जा रहे मटरबारी बंदरगाह पर भी रहेगा. यह बंदरगाह ढाका और पूर्वोत्तर भारत को जोड़ने वाला एक महत्त्वपूर्ण औद्योगिक गलियारा बनाएगा. भारत और बांग्लादेश ने वर्ष 2023 में अखौरा-अगरतला रेल लिंक का उद्घाटन किया था, जो बांग्लादेश तथा पूर्वोत्तर को त्रिपुरा के माध्यम से जोड़ता है. इस लिंक ने भारत को माल की आवाजाही के लिये बांग्लादेश में चट्टोग्राम और मोंगला बंदरगाहों तक पहुंच प्रदान की है. इससे असम और त्रिपुरा में लघु उद्योगों तथा विकास को बढ़ावा मिलने की संभावना है. अगर बांग्लादेश में शांति नहीं रही तो इस पर भी असर पड़ेगा. ऊर्जा क्षेत्र में, बांग्लादेश भारत से लगभग 2,000 मेगावाट (मेगावाट) बिजली आयात करता है. चीन भी बांग्लादेश को अपने जाल में फंसाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है. अब शेख हसीना के जाने के बाद नई सरकार की प्राथमिकता तय करेगी कि आगे भारत के साथ कैसे संबंध रहेंगे?
घरेलू निर्यातकों ने ये कहा
वहीं घरेलू निर्यातकों ने सोमवार को बांग्लादेश में संकट पर चिंता जताते हुए कहा कि पड़ोसी देश के घटनाक्रमों का द्विपक्षीय व्यापार पर असर पड़ेगा. निर्यातकों को हालांकि उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही सामान्य हो सकती है. निर्यातकों के अनुसार, बांग्लादेश में विदेशी मुद्रा की कमी के कारण उन्हें पहले ही वहां निर्यात में रुकावटों का सामना करना पड़ रहा है. भारत की सीमा पर बांग्लादेश को निर्यात के लिए पहुंचे जल्दी खराब होने वाले सामानों को लेकर भी चिंता बढ़ गई है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के महानिदेशक अजय सहाय ने भाषा से कहा, ‘‘बांग्लादेश में संकट के कारण हमें कुछ व्यवधानों का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन हमें उम्मीद है कि स्थिति जल्द ही ठीक हो जाएगी और व्यापार को किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ेगा.”पश्चिम बंगाल स्थित निर्यातक और पैटन के प्रबंध निदेशक संजय बुधिया ने कहा कि चूंकि दोनों देशों के बीच घनिष्ठ आर्थिक और भौगोलिक संबंध हैं, इसलिए इस संकट का भारत के व्यापार पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है.
फियो के क्षेत्रीय चेयरमैन ने क्या कहा
भारत बांग्लादेश को कपास, मशीनरी और खाद्य उत्पादों सहित कई तरह के सामान निर्यात करता है, जबकि जूट और मछली जैसे सामान आयात करता है. बुधिया ने कहा कि आपूर्ति में व्यवधान इन क्षेत्रों को प्रभावित कर सकता है और सीमा बंद होने या सुरक्षा बढ़ाने वाले किसी भी संकट से माल का प्रवाह बाधित हो सकता है. फियो के क्षेत्रीय चेयरमैन (पूर्वी क्षेत्र) योगेश गुप्ता ने कहा कि इस घटनाक्रम का द्विपक्षीय व्यापार पर प्रभाव पड़ेगा. उन्होंने कहा, ‘‘ऐसी घटनाओं से सीमाओं पर माल की आवाजाही प्रभावित होती है.” इसी तरह के विचार साझा करते हुए पीएसवाई लिमिटेड के मालिक प्रवीण सराफ ने कहा कि बांग्लादेश में संकट के दीर्घकालिक प्रभाव होंगे और द्विपक्षीय व्यापार को नुकसान पहुंचेगा. पीएसवाई लिमिटेड बांग्लादेश को मसालों, खाद्यान्नों और रसायनों सहित कई वस्तुओं का निर्यात करता है.
GTRI ने ये सलाह दी
शोध संस्थान GTRI ने कहा कि बांग्लादेश डॉलर की भारी कमी का सामना कर रहा है, जिसने भारत सहित अन्य देशों से आयात करने की उसकी क्षमता को सीमित कर दिया है. इसके अलावा बढ़ती मुद्रास्फीति ने घरेलू मांग को भी कम कर दिया है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा कि बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के चलते परिधान और अन्य कारखानों की सुरक्षा करना जरूरी है. इसके अलावा व्यापार तथा आर्थिक गतिविधियों को बनाए रखने के लिए सीमापार आपूर्ति श्रृंखला को खुला रखना भी आवश्यक है.