क्या है लेटरल एंट्री? जिस पर मचा है घमासान, केंद्र पर लगाए आरोप तो इन बड़े नामों पर खुद घिरी गई कांग्रेस
दिल्ली:
UPSC के जरिए नौकरशाही में लेटरल एंट्री (Lateral Entry) पर इन दिनों घमासान मचा हुआ है. शनिवार को यूपीएससी ने एक विज्ञापन दिया था, जिसमें जॉइंट सेक्रेट्री से लेकर डारेक्टर पद तक के लिए आवेदन मांगे गए थे. इन वेकेंसी को कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर लेटरल एंट्री के जरिए भरा जाना है. लेकिन इस पर बवाल मच गया है. पक्ष और विपक्ष इस मामले पर आमने-सामने आ गए हैं. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और अखिलेश यादव समेत तमाम नेता इसे लेकर केंद्र पर निशाना साध रहे हैं. राहुल गांधी ने तो यहां तक कह दिया कि लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती कर सरकार SC,ST और OBC वर्ग का आरक्षण छीनने का काम कर रही है. यहां तक लालू, अखिलेश और मायावती भी राहुल के सुर में सुर मिलाते नजर आ रहे हैं. दोनों ने केंद्र के इस फैसले को बीजेपी की साजिश और संविधान का उल्लंघन करार दिया है. वहीं केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने कांग्रेस पर भ्रामक दावे करने का आरोप लगाया है.
लेटरल एंट्री है क्या?
जिस लेटरल एंट्री पर इतना विवाद छिड़ा हुआ है, आखिर वह है क्या, पहले तो ये समझिए. बता दें कि लेटरल एंट्री के जरिए प्राइवेट क्षेत्र के एक्सपर्ट्स की केंद्र सरकार के मंत्रालयों में सीधी भर्ती की जाती है. ये भर्तियां जॉइंट सेक्रेट्री, डायरेक्टर और डिप्टी सेक्रेट्री के पदों पर की जाती हैं. निजी क्षेत्र में काम करने वाले 15 साल के एक्सपीरिएंस वालों की भर्ती अफसरशाही में लेटरल एंट्री के जरिए की जाती है. शामिल होने वालों की उम्र 45 साल होनी चाहिए. इसके पास किसी भी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी और इंस्टीट्यूट से कम से कम ग्रैजुएशन की डिग्री होनी चाहिए. लेटरल एंट्री के जरिए भर्ती करने वालों में शैक्षणिक निकायों और विश्वविद्यालयों में काम करने वाले लोग शामिल नहीं हैं.
लेटरल एंट्री पर विपक्ष क्या कह रहा?
लेटरल एंट्री पर विपक्ष एक सुर में सरकार के खिलाफ खड़ा है. राहुल गांधी ने लेटरल एंट्री के जरिए लोक सेवकों की भर्ती के सरकार के कदम को राष्ट्र विरोधी कहा. उनका कहना है कि इससे अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग का आरक्षण खुलेआम छीना जा रहा है. राहुल ने कहा कि शीर्ष नौकरशाहों समेत देश के सभी शीर्ष पदों पर वंचितों का प्रतिनिधित्व नहीं है, उसे सुधारा नहीं जा रहा, बल्कि लेटरल एंट्री के जरिए उन्हें शीर्ष पदों से और दूर किया जा रहा है. इसके साथ ही उन्होंने इसे UPSC की तैयारी कर रहे युवाओं के हक पर डाका करार दिया है.
वहीं अखिलेश यादव का आरोप है कि बीजेपी अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से UPSC के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की साजिश कर रही है. उनका कहना है कि सरकार के इस कदम से आम लोग सिर्फ बाबू और चपरासी तक ही सीमित रह जाएंगे. बड़े पद को लेटरल एंट्री के जरिए ही भर जाएंगे. वहीं मायावती ने कहा कि सीधी भर्ती के जरिए नीचे के पदों पर काम कर रहे कर्मचारियों को पदोन्नति के लाभ से वंचित रहना होगा. इसके साथ ही उन्होंने इसे संविधान का उल्लंघन कहा है.
अश्वनी वैष्णव का तर्क जानिए
विपक्ष के इन आरोपों पर केंद्रीय मंत्री अश्वनी वैष्णव ने पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस का विरोध पाखंड के अलावा कुछ नहीं है, क्योंकि इसकी अवधारणा यूपीए सरकार के समय ही तैयार हुई थी. उन्होंने कहा कि दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (ARC) यूपीए सरकार के दौरान साल 2005 में गठित किया गया था. जिसके अध्यक्ष वीरप्पा मोइली थे. आयोग ने खास नॉलेज की जरूरत वाले पदों में रिक्तियों को भरने के लिए विशेषज्ञों की भर्ती की सिफारिश की थी.अश्वनी वैष्णव ने कहा कि लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियां 1970 से कांग्रेस सरकारों के दौरान होती रही हैं. ऐसी पहलों के उदाहरण में उन्होंने मनमोहन सिंह, मोटेक सिंह आहलूवालिया का नाम लिया.
कांग्रेस सरकार में किस-किसकी हुई लेटरल एंट्री?
- साल 1971 में मनमोहन सिंह लेटरल एंट्री के जरिए ही विदेश व्यापार मंत्रालय में सलाहकार के रूप में सरकार में शामिल हुए थे. वित्त मंत्री और फिर देश के प्रधानमंत्री बने.
- रघुराम राजन ने भी लेटरल एंट्री के जरिए ही मुख्य आर्थिक सलाहकार के रूप में काम किया. बाद में 2013 से 2016 तक वह RBI के गवर्नर रहे.
- बिमल जालन ने भी लेटरल एंट्री के जरिए कांग्रेस सरकार में मुख्य आर्थिक सलाहकार के तौर पर काम किया. फिर वह RBI के गवर्नर बने.
- सैम पित्रौदा, कौशिक बसु, वी कृष्णमूर्ति, अरविंद विरमानी भी लेटरल एंट्री के जरिए सरकार में शामिल हो चुके हैं.
पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से होगी भर्ती
अश्वनी वैष्णव ने ये भी साफ किया कि एनडीए सरकार ने लेटरल एंट्री का सिफारिश को लागू करने के लिए एक पारदर्शी तरीका बनाया है. UPSC के जरिए पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से भर्ती की जाएगी. इस सुधार से शासन में सुधार होगा. उन्होंने कहा कि लेटरल एंट्री के जरिए प्रस्तावित किए गए 45 पद IAS का महज 0.5 प्रतिशत है.