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दुनिया

रूस-यूक्रेन युद्ध का क्या पड़ा है दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर असर, क्या चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप

रूस-यूक्रेन युद्ध अपने चौथे साल में प्रवेश कर गया है. ऐसे में अब यूक्रेन को लगने लगा है कि वह वित्तीय और सैन्य मदद के लिए अमेरिका पर अब और भरोसा नहीं कर सकता है. उसकी अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत नजर आ रहे हैं. उसके थके हुए सैनिक लगातार दुश्मन के खिलाफ अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए भी यह युद्ध अच्छा नहीं रहा है. रूस की अर्थव्यवस्था में भी महंगाई के कारण नरमी के संकेत नजर आ रहे हैं. 

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने रविवार को कहा कि अगर उनके इस्तीफे से देश में शांति आती है तो अपना पद छोड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि वो यूक्रेन को नैटो की सदस्यता के बदले भी अपना पद छोड़ने को तैयार हैं. रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उनसे पूछा गया था कि क्या शांति के लिए वो अपना पद छोड़ने को तैयार हैं. इस पर उन्होंने कहा, ”अगर (इसका मतलब) यूक्रेन के लिए शांति है और अगर आप वास्तव में चाहते हैं कि मैं अपना पद छोड़ दूं, तो मैं तैयार हूं. ” उन्होंने यह भी कहा कि वो नैटो की सदस्यता से अदला-बदली भी कर सकते हैं.

यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की तीसरी बरसी पर लहराता यूक्रेन और यूरोपिय यूनियन का झंडा.

अमेरिका का बदलता रुख 

डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिकी राष्ट्रपति के रूप में अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया. इसके बाद से उन्होंने यूक्रेन में चुनाव कराने पर जोर दिया है. उन्होंने जेलेंस्की को तानाशाह बताया है. दरअसल उन्होंने 2024 में खत्म हुए यूक्रेन के राष्ट्रपति के कार्यकाल का संदर्भ दिया. वह इस युद्ध के लिए यूक्रेन को ही जिम्मेदार ठहराते हुए भी नजर आए. इस युद्ध को रूस ने 22 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर हमला कर शुरू किया था. ट्रंप ने जेलेंस्की की आलोचना तब कि जब दोनों नेताओं के बीच संबंध हाल के हफ्तों में तेजी से बिगड़े. जेलेंस्की ने युद्ध के दौरान चुनाव कराने का विरोध किया है. उनके इस स्टैंड का उनकी घरेलू राजनीति में उनके विरोधियों ने भी समर्थन किया है.जेलेंस्की ने यह भी कहा है कि वो ट्रंप को यूक्रेन के साझीदार और कीव और मॉस्को के बीच मध्यस्थ के रूप में देखना चाहते हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वो यह चाहते हैं कि यह मध्यस्थता से कहीं अधिक हो…यह पर्याप्त नहीं है.

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप रूस के खिलाफ युद्ध में यूक्रेन का समर्थन करने के लिए भेजे गए अरबों डॉलर को वापस मांग रहे हैं. वह यूक्रेन का रेयर अर्थ मेटल में हिस्सेदारी मांग रहे हैं. दरअसल अमेरिका यूक्रेन के साथ एक खनिज संसाधन समझौते पर बातचीत कर रहा है. ट्रंप अपने पूर्ववर्ती जो बाइडेन की ओर से यूक्रेन को दी गई युद्धकालीन मदद के मुआवजे के रूप में इसे चाहते हैं.इसके बदले में यूक्रेन अमेरिका के साथ किसी भी समझौते में सुरक्षा गारंटी को शामिल करना चाहता है, क्योंकि वह पिछले करीब तीन साल से रूसी आक्रमण झेल रहा है. 

मास्को में युद्ध में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.

मास्को में युद्ध में मारे गए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन.

इस बीच ट्रंप प्रशासन ने रूस के साथ राजनयिक संबंधों को बहाल कर यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए उससे बातचीत शुरू की है. इस बातचीत में अबतक यूक्रेन को शामिल नहीं किया गया है. 

रूस-यूक्रेन के युद्ध से जुड़ा आर्थिक संकट 

यह पहले से ही साफ था कि यूक्रेन में रूस का हमला दुनिया के लिए आर्थिक आपदा साबित होगी. दोनों देशों के महंगाई के आंकड़ों से पता चलता है कि इस युद्ध से दोनों देशों के नागरिक प्रभावित हैं. रूस में महंगाई 9.5 फीसद और यूक्रेन में 12 फीसद तक है.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के आंकड़ों के मुताबिक रूस की जीडीपी युद्ध की शुरुआत में -1.3 फीसदी तक गिर गया था, लेकिन पिछले दो सालों में हर साल यह 3.6 फीसदी रहा है. लेकिन अब रूसी अर्थव्यवस्था में मंदी के संकेत नजर आ रहे हैं. ब्याज की ऊंची दरों और महंगाई की वजह से विभिन्न क्षेत्रों में बिक्री और नए ऑर्डर में गिरावट देखी जा रही है. रूस के अर्थव्यवस्था मंत्री मैक्सिम रेशेतनिकोव ने हाल ही में कहा था, “नवंबर और विशेष रूप से दिसंबर के परिणामों के आधार पर, हम देख रहे हैं कि विकास थम गया है…कई उद्योगों में विकास की गति धीमी हो गई है, खासकर खाद्य उद्योग, रासायनिक उद्योग, लकड़ी उत्पादन और मशीन निर्माण के क्षेत्र में.विभिन्न व्यवसायों की ओर से मिलने वाले ऑर्डर में कमी देखी गई है.” 

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उन्होंने कहा कि उनका मंत्रालय मौद्रिक और राजकोषीय नीति को जोड़ने के लिए केंद्रीय बैंक और वित्त मंत्रालय के साथ मिलकर काम कर रहा है.उनके हवाले से कहा गया है कि महंगाई पर अंकुश लगाने और आर्थिक विकास के बीच संतुलन की तलाश की जा रही है. 

रूस यूक्रेन युद्ध का प्रभाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.

रूस यूक्रेन युद्ध का प्रभाव दोनों देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा है.

कहां खड़ी है यूक्रेन की अर्थव्यवस्था

वहीं यूक्रेन एक स्वतंत्र देश के रूप में बेहतर स्थिति में है, क्योंकि 2022 की गर्मियों तक उसकी जीडीपी में 36 फीसदी की गिरावट आई थी, लेकिन 2023 में उसकी जीडीपी 5.3 फीसदी पर पहुंच ई. साल 2024 में यह तीन फीसदी थी. यूक्रेन के अर्थव्यवस्था मंत्रालय के पूर्वानुमान के मुताबिक इस साल जीडीपी के विकास की रफ्तार कम होकर 2.7 फीसदी रहने की उम्मीद है, हालांकि यह यूक्रेनी विश्लेषकों और अर्थशास्त्रियों की ओर से लगाए गए 3-4 फीसदी से कम है. यूक्रेन अपने बिजली बाजार और धातु भंडार पर मजबूत पकड़ बनाए हुए है. 

ब्रिटिश अखबार ‘द गार्जियन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी 2024 से जनवरी 2025 तक बिजली का आयात 123 गीगावाट ऑवर्स (जीडब्लूएच)से बढ़कर 183 जीडब्लूएच हो गया है. इस अवधि में निर्यात पांच जीडब्लूएच से बढ़कर 85 जीडब्लूएच हो गया है.

यूक्रेन के पास अगले 10 साल के लिए धातु का भंडार है. इनमें से कई दुर्लभ धातुएं हैं. कुछ लोगों का अनुमान है कि इनकी कीमत 11 ट्रिलियन डॉलर के करीब है. 

 इस युद्ध में मारे गए सैनिकों को राजधानी कीव में श्रद्धांजलि देता एक यूक्रेनी सैनिक.

इस युद्ध में मारे गए सैनिकों को राजधानी कीव में श्रद्धांजलि देता एक यूक्रेनी सैनिक.

कैसे हैं दोनों देशों के जमीनी हालात

रूस की ओर से जमीन, समुद्र और आकाश से किए गए हमलों में अबतक हजारों यूक्रेनी नागरिक मारे गए हैं.वहीं 60 लाख से अधिक यूक्रेनी नागरिकों ने विदेशों में शरणार्थी के रूप में शरण ली हुई है. हालांकि दोनों देश यह नहीं बताते हैं कि इस युद्ध में उनके कितने सैनिक मारे गए हैं. लेकिन खुफिया तंत्रों का कहना है कि इस युद्ध में दोनों देशों के या तो हजारों लोगों की जान गई है या जख्मी हुए हैं.

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