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न्यूक्लियर पावर बढ़ाने को लेकर क्या है सरकार की रणनीति? पढ़िए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का पूरा इंटरव्यू


नई दिल्ली:

मोदी सरकार ने बजट 2024 (Budget 2024) में न्यूक्लियर एनर्जी और न्यूक्लियर पावर को लेकर बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने पहली बार प्राइवेट सेक्टर को न्यूक्लियर एनर्जी में इंवेस्टमेंट की परमिशन दी है. देश ने इस ओर पहला कदम बढ़ा दिया है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन (Nirmala Sitharaman) ने न्यूक्लियर एनर्जी (Nuclear Energy Sectors) सेक्टर में प्राइवेट इंवेस्टमेंट को लेकर शुक्रवार को बड़ा अपडेट दिया. सीतारमन ने बताया कि भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर ने न्यूक्लियर एनर्जी सेंटर के लिए मॉड्यूल डेवलप किया है. स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर्स (SMRs) फैक्ट्री बिल्ड हो सकती है. उनकी पावर क्षमता 300 MW प्रति यूनिट होगी. इससे प्राइवेट प्लेयर्स को निवेश के लिए बढ़ावा मिलेगा.”

अपने बजट भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, “हमारी सरकार भारत स्मॉल रिएक्टर (BSR) की स्थापना, भारत स्मॉल मॉड्यूलर रिएक्टर (BSMR) पर रिसर्च और डेवलपमेंट के लिए प्राइवेट सेक्टर के साथ पार्टनरशिप करेगी.”

The Hindkeshariके एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने बजट 2024 के प्रावधानों, युवाओं के लिए नौकरी और इंटर्नशिप प्रोग्राम, प्रॉपर्टी पर इंडेक्सेशन टैक्स, एफडीआई, इनकम टैक्स स्लैब और न्यूक्लियर एनर्जी में प्राइवेट इंवेस्टमेंट समेत तमाम बातों पर अपनी राय रखी. पढ़ें, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन का पूरा इंटरव्यू:-

बजट में नहीं ले सकते हर राज्य का नाम
INDIA ब्लॉक के नेताओं ने आरोप लगाया कि इस बजट से 90% देश गायब है. सिर्फ बिहार और आंध्र प्रदेश को खुश किया गया है. अब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने विपक्ष के इन आरोपों का जवाब दिया है. सीतारमन ने कहा, “ये आरोप सही नहीं हैं. पहले भी राज्यों को फंड मिलते थे. किसी राज्य को ज्यादा मिलता था, तो किसी को कम मिलता था. बजट में अगर किसी राज्य का जिक्र नहीं हुआ है, तो इसका मतलब ये नहीं है कि उनकी अनदेखी हुई है. जाहिर तौर पर बजट भाषण में हर राज्य का नाम नहीं ले सकते.”  

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एसेट क्रिएशन के लिए होना चाहिए कर्ज के पैसे का इस्तेमाल
सीतारमन ने एसेट प्लान भी समझाया है. उन्होंने कहा, “सेविंग के लिए सबसे अच्छा रास्ता ये है कि आप उधार को कम कीजिए. लेकिन ये होगा… उधार तो जरूरी है. तेजी से बढ़ती इकोनॉमी के लिए लोन जरूरी होता है, ताकि खर्चे निकाल सके. सवाल ये है कि आप कितना उधार लेंगे? उधार का पैसा कहां जाएगा? एसेट क्रिएशन के लिए जाएगा या आपका पहले से जो उधार है, उसे क्लियर करने में जाएगा?”

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प्रॉपर्टी के इंडेक्सेशन पर क्या कदम पीछे खीचेंगी सरकार? निर्मला सीतारमन ने दिया ये जवाब

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, “अगर उधार को कम करना है, तो इसके लिए और उधार लेकर पुराने उधार को चुकाना अच्छी प्रैक्टिस नहीं है. हमें उधार जरूर लेना चाहिए, लेकिन इसका इस्तेमाल एसेट क्रिएट करने के लिए करना चाहिए.”

प्रॉपर्टी Indexation पर अभी कुछ कहना गलत होगा
प्रॉपर्टी बेचने पर लगने वाले लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन टैक्‍स (LTCG on Asset) को 7.5% कम करके 12.5 फीसदी किया गया है. इस प्रावधान से उतनी राहत नहीं मिलेगी, जितनी Indexation लागू होने पर मिलती थी. नए प्रावधानों में सरकार ने Indexation को हटा दिया है. आसान शब्‍दों में कहें, तो अब पुराना मकान या प्लॉट बेचने पर ज्‍यादा टैक्‍स (Tax on Property) पेमेंट करना होगा. क्या सरकार Indexation पर अपने कदम पीछे खींच सकती है? इसके जवाब में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने कहा, “प्रॉपर्टी के इंडेक्सेशन को लेकर मैं कुछ भी नहीं कह सकती. क्योंकि बजट ऑफ फाइनेंस बिल संसद में पेश हो चुका है. संसद का सत्र भी चालू है. ऐसे में मैं मीडिया के जरिए कुछ कहूंगी, तो ये संसदीय विशेषाधिकार को क्रॉस करना होगा.”

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चीन के लिए खुलेंगे FDI के रास्ते?
क्या सरकार चीन के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) का दरवाजा खोलने वाली है? इस सवाल पर वित्त मंत्री ने कहा कि फिलहाल चीन से FDI को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई है. सीतारमन ने कहा, “ऐसा कोई सेक्टर नहीं है, जिसको सरकार ने छोड़ा है. पिछले 10 सालों में सरकार ने सभी को धीरे-धीरे खोला है और जो खुला था उसमें FDI के कंपोनेंट को बढ़ाया है. इस पर काफी काम हुआ है.”

वित्त मंत्री ने कहा, “चीन से FDI को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई है. कुछ सरकारी विभाग में पीएन-3 के विषय को समझकर डोमेन एक्सपर्ट्स या टेक्नोक्रैट को वीजा देने को लेकर चर्चा हो रही है, लेकिन कोई फैसला नहीं हुआ है.”

युवाओं को कैसे मिलेगा इंटर्नशिप?
इस बजट में सरकार ने युवाओं पर फोकस करते हुए उनके लिए अप्रेंटिसशिप के साथ-साथ इंटर्नशिप की बात कही है. देश की 500 कंपनियों में युवाओं को इंटर्नशिप कराने का प्लान है. ऐसा कैसे किया जाएगा? इसके जवाब में निर्मला सीतारमन कहती हैं, “राज्यों के तहत आने वाले ITI संस्थानों में पिछले 3-4 सालों से बहुत ज्यादा इन्वेस्ट नहीं किया गया है, ना ही उन्हें अपग्रेड करने, ट्रेंड शिक्षक, ट्रेनिंग मॉड्यूल और  कंटेंट ऑफ द कोर्स को लेकर ज्यादा प्रयास हुए हैं. हम राज्य सरकारों के साथ काम कर रहे हैं और उन्हें इसे बेहतर करने के लिए उपकरण मुहैया करवा रहे हैं.”

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सीतारमन ने कहा, “सरकार युवाओं को इंडस्ट्री 4.0 के लिए तैयार करेगी. युवा सिर्फ लेथ मशीन पर ही नहीं बल्कि कई तरह के काम करेंगे. हम युवाओं को डिजिटल होती दुनिया के मुताबिक तैयार करेंगे. उन्हें स्किल्ड बनाएंगे. ताकि वो रोबोटिक्स की दुनिया, वर्ल्ड ऑफ वेब और AI जैसी टेक्नोलॉजी के साथ वो कैसे काम करें, हम उस तरफ भी कोशिश कर रहे हैं.”

शहरों के विकास को लेकर क्या हैं योजनाएं?
महानगरों के अलावा देश के 14 शहरों के विकास की योजनाओं को लेकर वित्त मंत्री ने कहा कि अभी तक उसी पुराने पैटर्न पर लंबे समय से काम हो रहा था, अब हम नई तकनीक और प्लान के साथ शहरों को डेवलप करेंगे. निर्मला सीतारमन ने कहा, “पुराने पैटर्न कई मापदंड पर खरे नहीं उतरते हैं. अगर आधुनिक दुनिया के मुताबिक बेहतर शहर बनाना है तो नई तकनीक के साथ उन्हें उन्हें डेवलप करना होगा.”

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वित्त मंत्री ने कहा, “नए शहरों के लिए ये बेहतर होगा कि हम ज्यादा ऊंचाई वाले इमारत बनाएं, ताकि ओपन स्पेस ज्यादा हों, नेचुरल रिसोर्सेस का इस्तेमाल कर सकें, शहर को ऐसे प्लान करें कि नेचुरल ड्रेनेज मेंटेन हो और वक्त के साथ शहर को बढ़ाया जा सके.”

लिथियम को लेकर क्या है सरकार का प्लान?
भारत में कुछ स्थानों पर लिथियम के भंडार का पता चला है. देश में इसी तरह के कई अन्य कीमती खनिजों के उपलब्ध होने की संभावना जताई जा रही है. इन बेशकीमती खनिजों को लेकर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है कि यह खनिज भारत का भविष्य बनने वाले हैं. इन क्रिटिकल मिनरल्स की खोज और उनके उत्खनन को प्रोत्साहित किया जा रहा है.

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वित्त मंत्री ने कहा, “कीमती खनिजों की खोज के लिए हम एक डिटेल फ्रेम वर्क तैयार कर रहे हैं. इससे देश को फायदा होगा. क्रिटिकल मिनरल्स भारत का भविष्य बनने जा रहे हैं. यह बहुत महत्वपूर्ण है.”      

पेट्रोल-डीजल की कीमतें कैसे हो सकती हैं कम?
निर्मला सीतारमण ने इस दौरान ये भी बताया कि पेट्रोल-डीजल की कीमतें कैसे कम की जा सकती हैं. उन्होंने कहा, “अगर राज्य सरकारें प्रस्ताव पर सहमत होती हैं और उचित दर तय करती हैं तो पेट्रोल और डीजल पर वैट के बजाय जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के तहत कर लगाया जा सकता है.” सीतारमन ने कहा, “अगर वे दर तय करते हैं और सभी एक साथ आकर ये तय करते हैं कि जीएसटी में पेट्रोलियम उत्पाद शामिल होंगे, तो हम इसे तुरंत लागू कर सकते हैं.”

सॉफ्ट टच रेगुलेटरी देने का काम SEBI का
वित्त मंत्री ने कहा, “मार्केट रेगुलेशन के लिए SEBI है. ये उसका काम है. सेवी F&O और सट्टेबाजी के लिए चिंता जाहिर करती रहती है. इसलिए हम F&O और कैश मार्केट के लिए सॉफ्ट टच रेगुलेटरी देने का काम SEBI पर छोड़ते हैं.

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