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मिडल-ईस्ट को लेकर क्या है मोदी सरकार की तैयारी? विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बताया 25 साल का प्लान

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, भारत दो-तीन साल में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ा अर्थव्यवस्था बन जाएगा.

नई दिल्ली :

इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर को लेकर बहुत महत्वाकांक्षाएं हैं. इसको लेकर पूछे गए सवाल पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने The Hindkeshariसे कहा कि,  देखिए, वहां तो कुछ बड़े प्रस्ताव हैं, जिस पर काम भी हो रहा है. लोग उसके बार में चर्चा भी कर रहे हैं. एक तो इंडिया-मिडल ईस्ट-यूरोप कॉरिडोर. जब हमारे यहां जी-20 का शिखर सम्मेलन हुआ था, उस समय यह तय हुआ था. यूरोप के 2-3 देशों ने हस्ताक्षर भी किए हैं… सऊदी अरब था… यूएई था.. हम थे.. यूएस भी एक किस्म से उसका भाग है. मैं उस पर इसलिए बल देता हूं कि अगर आप मुझे कहें कि अगले दस साल में कोई बड़ा आइडिया बताइए जो गेम चेंजिंग आइडिया हो.. ये मैं कहूंगा कि ये इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकानॉमिक कॉरिडोर. 

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विदेश मंत्री एस जयशंकर ने The Hindkeshariके एडिटर इन चीफ संजय पुगलिया के साथ खास बातचीत में कहा कि, अभी भारत दुनिया में पांचवीं इकानॉमी है. मुझे लगता है कि अगले 2-3 साल में ये तीसरे पायदान पर पहुंच जाएगा. अगर इकानॉमी की साइज देखें.. हमारे व्यापार है.. हमारे निवेश हैं… हमारी कनेक्टिविटी की जो जरूरत है, यह सब बहुत जल्दी बढ़ रहे हैं. मुझे लगता है कि एक किस्म से हम इसे इन्क्रीमेंटल तरीके से ना सोचें…. हमें कुछ ऐसे बड़े आइडिया चाहिए.. क्योंकि भारत का रोल भारत का इंटरेस्ट… हम एक अलग लीक पर जा रहे हैं… यह दस साल जो हैं.. अगर आप कहें कि 2014 में कहां थे और 24 में कहां हैं, मैं कहूंगा कि देश के अंदर और हमारा प्रभाव दुनिया में जो है… दुनिया जैसे हमें देखती है… सब में इतना बदलाव आया है.. कि हम एक किस्म से एक अलग लीग में पहुंच गए हैं.. उस लीग की हमें अगले 25 साल तैयारी करनी होगी. 

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बिना मैन्युफैक्चरिंग के टेक्नालॉजी नहीं बढ़ेगी

उन्होंने कहा कि, प्रधानमंत्री कहते हैं कि अमृतकाल की सोचो… यह युवा पीढ़ी के लिए एक किस्म से अवसर है. लेकिन अगर हम ये 25 साल की तैयारी करें तो इसे हम छोटे-छोटे कदम से नहीं कर सकते… कुछ बड़े आइडिया चाहिए. इनमें ग्लोबल वर्क प्लेस एक बड़ा आइडिया है. कनेक्टिविटी एक  बड़ा आइडिया है. टेक्नालॉजी के बहुत क्षेत्र में पीछे रह गए.. क्योंकि पहले मैन्युफेक्चिरिंग पर ज्यादा  बल नहीं दिया. हमारे यहां हम इतना इम्पोर्ट करते थे कि हमारे मैन्युफैक्चरर उनके साथ कम्पीट नहीं कर पाते थे. बिना मैन्युफैक्चरिंग के टेक्नालॉजी नहीं बढ़ेगी. पर अभी हमने साबित किया है.. आप टेलिकॉम में देखिए, हम 2जी, 3जी, 4जी चाइना से इम्पोर्ट करते थे, यूरोप से इम्पोर्ट करते थे.. 2020 में हमारे रिश्ते आप जानते हैं, चाइना के साथ बिगड़ गए.. सीमा पर जो घटनाएं हुईं.. जब प्रेशर आया तो हमारी इंडस्ट्री में उतनी क्षमता थी कि वह 5जी टेक बना पाती. 

विदेश मंत्री ने कहा कि, मुझे लगता है कि हम यदि टेक्नालॉजी के परिप्रेक्ष्य से देखें या कनेक्टिविटी के दृष्टिकोण से देखें, यह भी देखें कि हमारा इनवेस्टमेंट क्या होगा.. और हमारा टैलेंट और स्किल.. अभी साढ़े तीन करोड़ भारतीय नागरिक और भारतीय मूल के नागरिक बाहर रहते हैं. उनमें से बहुत सारे, दुनिया को एक ग्लोबल वर्कप्लेस जैसे देखते हैं… कुछ साल बाहर काम किया, वापस आए.. कभी तीन साल का कॉन्ट्रेक्ट है.. चार साल  भारत में.. तो यह नई दुनिया आ रही है. 

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