दुनिया

क्या है ट्रंप का 'गोल्ड कार्ड', कैसे इसके जरिए अमेरिका में हो सकती है लोगों की एंट्री?


वाशिंगटन:

5 मिलियन डॉलर खर्च करके अमेरिकी नागरिकता हासिल करें, यह डोनाल्ड ट्रंप की अमीर निवेशकों को आकर्षित करके पैसा कमाने की नवीनतम योजना है. हालांकि, यदि यह लागू हो जाती है, तो यह लंबे समय से ग्रीन कार्ड की कोशिशों में जुटे भारतीय पेशेवरों की परेशानियों को और बढ़ा देगी.

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक बुधवार को, अमेरिकी राष्ट्रपति ने ‘ट्रंप गोल्ड कार्ड’ की योजना की घोषणा की. उन्होंने कहा, “यह 5 मिलियन डॉलर (43.54 करोड़ रुपये) के शुल्क पर अप्रवासियों के लिए अमेरिकी निवास परमिट प्राप्त करने का एक मार्ग है.”

ट्रंप ने कहा कि यह मौजूदा 35 वर्ष पुराने ईबी-5 वीजा प्रोग्राम की जगह लेगा, जो अमेरिकी व्यवसायों में करीब 1 मिलियन डॉलर का निवेश करने वाले विदेशियों के लिए उपलब्ध है.

कब तक हो सकता है लागू?

अमेरिकी राष्ट्रपति की ‘सब कुछ व्यवसायिक’ मानसिकता से प्रेरित नया प्रोग्राम अप्रैल तक लागू हो सकता है. इसमें शुरुआत में लगभग 10 मिलियन ‘गोल्ड कार्ड वीजा’ उपलब्ध होने की संभावना है.

ट्रंप ने कहा, “इस कार्ड को खरीदकर अमीर लोग हमारे देश में आएंगे. वे अमीर और कामयाब होंगे, वे बहुत सारा पैसा खर्च करेंगे, बहुत से लोगों को रोजगार देंगे.”

गोल्ड कार्ड वीज़ा ईबी-5 से किस तरह अलग है?

मौजूदा ईबी-5 प्रोग्राम के तहत, विदेशी निवेशकों को अमेरिकी व्यवसायों में 800,000-1,050,000 डॉलर तक निवेश करना होता है और कम से कम 10 नए रोजगार सृजित करने होते हैं.

विदेशी निवेश आकर्षित करने के लिए 1990 में शुरू किए गए इस कार्यक्रम पर वर्षों से दुरुपयोग और धोखाधड़ी के आरोप लगते रहे हैं.

प्रस्तावित ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा योजना वित्तीय जरुरत को पांच गुना बढ़ाकर 5 मिलियन डॉलर कर देती है. भारी कीमत इसे मध्यम-स्तरीय निवेशकों की पहुंच से बाहर कर देगी. यह अमेरिकी निवास पाने का एक तेज और सरल मार्ग है. इसमें नौकरिया पैदा करने की जरुरत को भी खत्म कर दिया गया है.

यह भी पढ़ें :-  देश और दुनिया भर की टॉप 10 खबरें; इन 10 महत्वपूर्ण प्रमुख खबरों पर रहेंगी पूरे देश की नज़र

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ईबी-5 प्रोग्राम के तहत पांच से सात साल में नागरिकता मिलती थी जबकि प्रस्तावित ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा योजाना में नागरिकता तुंरत मिलेगी.

भारतीयों पर इसका क्या असर होगा?

5 मिलियन डॉलर (43,56,14,500.00 भारतीय रूपये) की कीमत का मतलब है कि केवल भारत के सुपर-रिच और बिजनेस टाइकून ही अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए इतना खर्च उठा सकते हैं. इससे उन कुशल पेशेवरों की परेशानी बढ़ने की संभावना है जो पहले से ही ग्रीन कार्ड के लिए लंबे समय तक प्रतीक्षा कर रहे हैं, कुछ मामलों में दशकों से.

इसके अलावा, ईबी-5 के तहत आवेदक ऋण ले सकते हैं या ‘पूर फंड’ का सहारा ले सकते हैं, जबकि ‘गोल्ड कार्ड’ वीजा के लिए पहले से ही पूरा नकद भुगतान करना पड़ेगा – जिससे यह भारतीयों के एक बड़े हिस्से की पहुंच से बाहर हो जाएगा.


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button