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यूपी के मंत्री आशीष पटेल को STF से है किस बात का डर, कैसे हैं अपना दल (एस) और BJP के संबंध


नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के पॉलीटेक्निकों में विभागाध्यक्ष पद पर पदोन्नति में भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे कैबिनेट मंत्री आशीष सिंह पटेल ने इन आरोपों को राजनीतिक चरित्र हनन बताया है. उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है. उनका कहना है कि अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चाहें तो उनके कार्यकाल में हुए कामकाज की सीबीआई से जांच करा सकते हैं.आशीष ने अपनी ही सरकार पर एक धमाकेदार आरोप भी लगाया है. मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर आशीष ने लिखा अगर उनके साथ कोई अनहोनी होती है तो, उसकी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) की होगी.अपना दल (एस) के कार्यकारी अध्यक्ष आशीष ने 15 दिन में दूसरी बार ऐसी बात कही है. उनके इन आरोपों से लगता है कि उत्तर प्रदेश में बीजेपी और अपना दल (एस) के रिश्ते सामान्य नहीं रह गए हैं.

जीजा पर साली ने ही लगाए थे आरोप

सपा की बागी विधायक पल्लवी पटेल ने पिछले दिनों आरोप लगाया था कि प्राविधिक शिक्षा विभाग ने पॉलीटेक्निकों में विभागाध्यक्षों के 177 पदों को पदोन्नति के जरिए भरा गया. उनका कहना है कि पदोन्नति में अनियमितता और पिछड़ों के आरक्षण की अनदेखी कर प्रदोन्नति दी गई.उन्होंने इन नियुक्तियों में पैसों की लेन-देन का भी आरोप लगाया था.इन आरोपों के लेकर पल्लवी पटेल ने यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र में वहां धरना भी दिया था. उत्तर प्रदेश सरकार के एक कैबिनेट मंत्री ने उनका धरना खत्म कराया था. पल्लवी पटेल रिश्ते में आशीष की साली हैं. इन नियुक्तियों में भ्रष्टाचार और आरक्षण के नियमों का पालन न करने का आरोप लगाने वाली पल्लवी अकेले नहीं हैं.पल्लवी के साथ-साथ बीजेपी के तीन विधायकों ने भी आशीष सिंह पटेल पर यही आरोप लगाए हैं. आशीष पर आरोप लगाने वाले बीजेपी के ये विधायक हैं, बलरामपुर सदर के विधायक पल्टू राम, बुलंदशहर के खुर्जा की विधायक मीनाक्षी सिंह और बुलंदशहर के स्याना से विधायक देवेंद्र सिंह लोधी. 

उत्तर प्रदेश विधानसभा परिसर में धरना देतीं सपा की बागी विधायक पल्लवी पटेल.

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मंत्री जी का दर्द

इस विवाद पर आशीष सिंह पटेल ने साल के अंतिम दिन को सोशल मीडिया पर अपनी बात रखी. उन्होंने लिखा, ”उत्तर प्रदेश के सबसे ईमानदार आईएएस अधिकारी एवं तत्कालीन प्रमुख सचिव, प्राविधिक शिक्षा एम देवराज की अध्यक्षता में हुई विभागीय पदोन्नति समिति की संस्तुति और शीर्ष स्तर पर सहमति के आधार पर हुई पदोन्नति के बावजूद राजनीतिक चरित्र हनन के लिए लगातार मीडिया ट्रायल अस्वीकार्य है.” उन्होंने कहा है कि प्रदेश के सूचना निदेशक को झूठ,फरेब और मीडिया ट्रायल का यह खेल आगे बढ़कर बंद कराना चाहिए. यदि यह विभागीय पदोन्नति गलत है तो सूचना विभाग को सफाई देनी चाहिए. 

उन्होंने लिखा है कि माननीय मुख्यमंत्री जी यदि उचित समझें तो बार-बार के मीडिया ट्रायल, झूठ और फरेब के जरिए किए जा रहे मेरे राजनीतिक चरित्र हनन के इस दुष्प्रयास पर स्थायी विराम लगाने के लिए बतौर मंत्री मेरे द्वारा अब तक लिए गए सभी फैसलों की सीबीआई जांच करा सकते हैं.” उन्होंने अपनी और अपनी पत्नी केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल की संपत्ति की भी जांच करा लेने की अपील की है. उन्होंने अपने पोस्ट के साथ कुछ कागजात भी दिए हैं. इनमें से दो में उनके मंत्री बनने से पहले प्राविधिक शिक्षा विभाग में नियुक्त अधिकारियों की सामाजिक पृष्ठभूमि का विवरण दिया गया है. इसके जरिए आशीष उन आरोपों को खारिज करने की कोशिश की है, जो उन पर दलितों-पिछड़ों का हक मारने को लेकर लगाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा है कि झूठे तथ्यों, अफवाहों और मीडिया ट्रायल से अपना दल (एस) की सामाजिक न्याय की लड़ाई बंद नहीं होने वाली. हम अब पहले से भी अधिक शक्ति के साथ सामाजिक न्याय की आवाज बुलंद करते रहेंगे. 

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इसके साथ ही आशीष ने लिखा है,”अपने शुभचिंतकों के लिए एक विशेष बात कि यदि सामाजिक न्याय की इस जंग में मेरे साथ किसी प्रकार का षड्यंत्र या दुर्घटना हुई तो इसकी सारी जिम्मेदारी उत्तर प्रदेश पुलिस के स्पेशल टास्क फोर्स की होगी.”

अपना दल (एस) और बीजेपी के संबंध

आशीष पर लगे आरोपों पर अभी न तो बीजेपी या न ही सरकार की ओर से कोई सफाई दी गई है. लेकिन आशीष के इन बयानों से साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में एनडीए में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है. अगर ठीक चल रहा होता तो कोई कैबिनेट मंत्री अपने साथ किसी अनहोनी की आशंका नहीं जताता. आशीष का कहना है कि सरकार उन्हें सुरक्षा नहीं दे रही है. उन्होंने पहले कई बार सुरक्षा की मांग की है. उनका कहना है कि एसटीएफ किस तरह काम करती है, यह सबको पता है. इसलिए लिखा है कि दुर्घटना या षड्यंत्र हुआ तो इसके लिए एसटीएफ जिम्मेदार होगी.इससे पहले आशीष पटेल ने 16 दिसंबर को कहा था कि पीएम नरेंद्र मोदी जिस दिन आदेश करेंगे, मैं एक सेकेंड में इस्तीफा दे दूंगा. 

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अपना दल (एस) और बीजेपी में तकरार पहली बार नहीं हो रही है. इसकी शुरूआत लोकसभा चुनाव के बाद से ही  हो गई थी. लोकसभा चुनाव में एनडीए को उत्तर प्रदेश में मिली हार के लिए अपना दल (एस) की नेता अनुप्रिया पटेल ने 69 हजार शिक्षकों की भर्ती में हुई अनियमितता को भी जिम्मेदार ठहराया था. उन्होंने 27 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को एक पत्र लिखा था. इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि सरकारी विभागों में हो रही भर्ती में एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. बीजेपी ने अनुप्रिया के आरोपों को खारिज कर दिया था. लेकिन अपना दल (एस) और बीजेपी में जारी हुई खटपट खत्म नहीं हुई थी. एक बार फिर यह सामने आ गई.

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यूपी में अपना दल (एस) की ताकत

उत्तर प्रदेश में अपना दल (एस) के 13 विधायक, एक विधान परिषद सदस्य और एक लोकसभा सदस्य है. लोकसभा चुनाव में अपना दल का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा था. समझौते में जो दो सीटें अपना दल (एस) को मिली थीं. उनमें से एक मिर्जापुर में पार्टी प्रमुख अनुप्रिया पटेल ही उम्मीदवार थीं. उन्हें बहुत मुश्किल से जीत मिली थी. वहीं दूसरी सीट राबर्ट्सगंज में उनकी उम्मीदवार रिंकी कोल को हार का सामना करना पड़ा था. वहीं प्रदेश की कुर्मी बहुल अधिकांश सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. इससे भी बीजेपी और अपना दल (एस) के रिश्ते में कड़वाहट आई थी. यह कड़वाहट चुनाव के सात महीने बाद भी खत्म नहीं हुई है. यह रह रह कर सामने आ जा रही है. अगर यह कड़वाहट ऐसे ही चलती रही तो 2027 में होने वाले विधानसभा चुनाव में इन दोनों दलों को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है. 

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