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बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर क्या राय रखते हैं अंतरिम सरकार के प्रमुख यूनुस, सामने होंगी कौन सी चुनौतियां?


नई दिल्ली:

नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस ने गुरुवार को बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के प्रमुख के रूप में ऐसे समय में कार्यभार संभाला है जब देश कठिन आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है. समाचार एजेंसी रायटर ने चुनाव होने और नई सरकार गठित होने तक दक्षिण एशियाई देश बांग्लादेश की कमान संभालने वाले यूनुस के आर्थिक विचारों पर एक एक रिपोर्ट प्रकाशित की है. 

बांग्लादेश की कमान संभालने वाले अर्थशास्त्री मोहम्मद यूनुस के आर्थिक विचार 

सोशल बिजनेस

यूनुस “सोशल बिजनेस” की वकालत करते हैं जिसमें केवल धन बनाने के बजाय समस्याओं का समाधान भी शामिल होता हैं. इसमें मिलने वाले किसी भी लाभ को अधिक मूल्य बनाने के लिए वापस लगाया जाता है. ग्रामीण बैंक, जिसे उन्होंने माइक्रोफाइनेंस ऋणदाता के रूप में स्थापित किया था, इसी विचार पर आधारित था. बांग्लादेश में विकास को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने में मदद करने के लिए इसकी सराहना की गई थी. 

यूनुस को माइक्रोफाइनेंस में उनके अग्रणी कार्य के लिए 2006 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया था. अन्य विकासशील देशों में उनका विचार अपनाया गया और जिसके कारण उन्हें “गरीबों का बैंकर” के रूप में जाना जाने लगा.

गरीबी

यूनुस का मानना ​​है कि गरीबी, जिससे 2022 में बांग्लादेश की 18 फीसदी से ज़्यादा आबादी परेशान रही है, एक “खतरा” है और यह आतंकवाद से लेकर तस्करी तक की समस्याओं का कारण बनती है. यूनुस ने 2006 में Nobelprize.org  से कहा था कि, “आप लोगों को गरीब नहीं छोड़ सकते और खुशी से नहीं जी सकते… वे एक निराशाजनक स्थिति में हैं. जब आप हताश होते हैं, तो आप शांति को भंग करते हैं.” इस समस्या को हल करने के लिए ही उन्होंने अपने माइक्रोक्रेडिट सिस्टम के जरिए गरीबों में “अच्छे वित्तीय सिद्धांत” पैदा करने की कोशिश की.

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ग्लोबलाइजेशन

यूनुस ने “मल्टीनेशनल सोशल बिजनेस” का आह्वान किया है जो या तो गरीबों को स्वामित्व प्रदान करें या लाभ को गरीब देशों के भीतर ही रखें. जब वे 2007 में राजनीति में शामिल हुए थे तो उन्होंने चटगांव बंदरगाह को महाद्वीपीय बंदरगाह में अपग्रेड करने का सुझाव दिया था. तब आलोचकों का कहना था कि इस योजना से राष्ट्रीय सुरक्षा, नौकरियां और पर्यावरण को खतरा हो सकता है.

यूनुस ने पिछले सप्ताह अखबार इंडियन एक्सप्रेस को दिए गए एक इंटरव्यू में “वैश्विक सभ्यता” की भी बात की थी. इसमें उन्होंने बांग्लादेश में उथल-पुथल को “आंतरिक मामला” कहने के लिए भारत की आलोचना की थी और चेतावनी दी थी कि अराजकता उसके पड़ोसियों तक फैल सकती है. उन्होंने कहा था, “कूटनीति के पास यह कहने से कहीं अधिक समृद्ध शब्दावली है कि यह उनका आंतरिक मामला है.”

महिलाएं

यूनुस भविष्य के निर्माण में महिलाओं की भूमिका पर जोर देते हैं. वे महिलाओं के लिए काम करने वाले कई अंतरराष्ट्रीय आयोगों का हिस्सा रहे हैं. वर्तमान में बांग्लादेश में महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है और ग्रामीण बैंक के सदस्यों में 97 प्रतिशत महिलाएं हैं. उन्होंने 2012 में हार्वर्ड बिजनेस रिव्यू को कहा था, “महिलाएं अपने पैसे से भविष्य के लिए कुछ बनाना चाहती हैं. पुरुष इसे मौज-मस्ती में खर्च करना चाहते हैं.” 

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