देश

'कैसी नाराजगी? हमें तो कुछ बताया ही नहीं…', चंपई सोरेन के BJP में जाने की अटकलों पर बोले हेमंत सोरेन


नई दिल्ली:

झारखंड सरकार में मंत्री और झामुमो नेता चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने की अटकलों के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि चंपई दा ने तो मुझे कुछ नहीं बताया कि वो नाराज हैं. पत्रकारों के सवाल पर सीएम ने कहा कि कौन कहता है वो नाराज हैं. मुझे तो नहीं बताया उन्होंने, अजीब हालत है. आपलोग खुद से ही कह रहे हैं. चंपई सोरेन की नाराजगी मीडिया की उपज है.

इससे पहले उन्होंने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त करने और समाज को बांटने का आरोप लगाया था.

गोड्डा के एक समारोह में हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया कि भाजपा गुजरात, असम और महाराष्ट्र से लोगों को लाकर आदिवासियों, दलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों के बीच जहर फैलाने और उन्हें एक-दूसरे से लड़वाने का काम कर रही है.

भाजपा पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा, “समाज की बात तो भूल ही जाइए, ये लोग परिवारों और दलों को तोड़ने का काम करते हैं. वे विधायकों की खरीद-फरोख्त करते हैं. पैसा ऐसी चीज है कि नेताओं को इधर-उधर जाने में ज्यादा समय नहीं लगता.”

हेमंत सोरेन ने ये भी कहा कि झारखंड में इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं, लेकिन चुनाव कार्यक्रम निर्वाचन आयोग द्वारा नहीं, बल्कि राज्य में विपक्षी पार्टी (भाजपा) द्वारा तय किया जाएगा. ऐसा लगता है कि निर्वाचन आयोग अब संवैधानिक संस्था नहीं रह गया है, क्योंकि इस पर भाजपा के लोगों का कब्जा हो गया है. मैं भाजपा को चुनौती देता हूं कि अगर आज विधानसभा चुनाव हुए तो झारखंड से उनका सफाया हो जाएगा.

यह भी पढ़ें :-  The Hindkeshariबैटलग्राउंड फिनाले : BJP के लिए जनता का क्या है मूड? नतीजों की नब्ज पहचानने वाले टॉप 4 एक्सपर्ट्स की भविष्यवाणी

वहीं झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि जिस पार्टी और माटी ने चंपई सोरेन को सब कुछ दिया उसको ठुकरा कर, अपने आत्मसम्मान को गिरवी रखकर वो सरकार को तोड़ने का काम कर रहे थे.

उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन ने एक साधारण व्यक्ति को जमशेदपुर से निकालकर पहचान दी, उनको मान सम्मान दिया, हर संभव मदद किया, पार्टी में अपने बाद का औहदा दिया, जब-जब जेएमएम की सरकार बनी उसमें मंत्री बनाया, सांसद का टिकट दिया, हर निर्णय का सम्मान किया, लेकिन उसके बदले चम्पाई दा ने राज्य को मौका परस्ती के दलदल में झोकना चाहा.

बन्ना गुप्ता ने कहा कि सच तो ये है कि जिस दिन हेमंत सोरेन जेल से बाहर आये थे आपको नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए था और नंगे पैर चलकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाना चाहिए था, लेकिन आप तो अंतिम समय में भी ट्रांसफर पोस्टिंग में लगे थे, असल में आपको अनुकम्पा पर मिली कुर्सी अपनी लगने लगी थी और कुर्सी का लगाव और मोह नहीं छूट पा रहा था!

दरअसल चंपई सोरेन ने रविवार को ट्वीट कर कहा कि बतौर मुख्यमंत्री उन्होंने अत्यधिक अपमान झेला, जिसके बाद वो वैकल्पिक राह तलाशने के लिए मजबूर हो गए हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि जुलाई के प्रथम सप्ताह में उन्हें बताए बगैर पार्टी नेतृत्व ने अचानक उनके सारे सरकारी कार्यक्रमों को रद्द कर दिया. पूछने पर पता चला कि गठबंधन द्वारा तीन जुलाई को विधायक दल की एक बैठक बुलाई गई है और मुझसे कहा गया कि तब तक आप मुख्यमंत्री के तौर पर किसी कार्यक्रम में नहीं जा सकते. क्या लोकतंत्र में इससे अधिक अपमानजनक कुछ हो सकता है कि एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों को कोई अन्य व्यक्ति रद्द करवा दे?

यह भी पढ़ें :-  समाजवादी पार्टी ने 11 लोकसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम का किया ऐलान, अफजाल अंसारी को गाजीपुर से मिला टिकट

चंपई सोरेन ने कहा कि कहने को तो विधायक दल की बैठक बुलाने का अधिकार मुख्यमंत्री का होता है, लेकिन मुझे बैठक का एजेंडा तक नहीं बताया गया था. बैठक के दौरान मुझसे इस्तीफा मांगा गया. मैं आश्चर्यचकित था, लेकिन मुझे सत्ता का मोह नहीं था, इसलिए मैंने तुरंत इस्तीफा दे दिया, लेकिन आत्म-सम्मान पर लगी चोट से दिल भावुक था.

गौरतलब है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी के बाद चंपई सोरेन 2 फरवरी 2024 से 3 जुलाई 2024 तक झारखंड के मुख्यमंत्री रहे. हालांकि, हेमंत सोरेन ने जमानत पर जेल से बाहर निकलने के बाद फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाल ली थी. उस समय भी मुख्यमंत्री पद से विदाई के बाद चंपई सोरेन की नाराजगी की खबरें सामने आई थीं. दावा तो यहां तक किया गया था कि काफी मनाने के बाद चंपई सोरेन ने हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में शामिल होने का प्रस्ताव स्वीकार किया था.


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button