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चीन के साथ संबंधों पर पीएम मोदी ने पॉडकास्ट में क्या कहा? गलवान को लेकर भी की बात

Pm Modi On India China Relation: चीन के साथ पूर्व में तनाव के बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवाद के बजाय बातचीत का समर्थन किया और कहा कि भारत और चीन के बीच मतभेद स्वभाविक हैं, लेकिन मजबूत सहयोग दोनों पड़ोसियों के हित में है और यह वैश्विक स्थिरता के लिए भी आवश्यक है. अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन के साथ पॉडकास्ट में, पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन सीमा पर 2020 में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर झड़पों से पहले वाली स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. 

शी जिनपिंग का किया जिक्र

पीएम मोदी ने पिछले साल अक्टूबर में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अपनी बैठक का जिक्र करते हुए कहा, “राष्ट्रपति शी के साथ हाल में हुई बैठक के बाद हमने सीमा पर सामान्य स्थिति की वापसी देखी है. हम अब 2020 से पहले की स्थितियों को बहाल करने के लिए काम कर रहे हैं. धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, विश्वास, उत्साह और ऊर्जा वापस आनी चाहिए. स्वाभाविक रूप से, इसमें कुछ समय लगेगा, क्योंकि विवाद में पांच साल चले गए हैं.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच सहयोग न केवल दोनों देशों के लिए लाभकारी है, बल्कि वैश्विक स्थिरता और समृद्धि के लिए भी आवश्यक है. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि 21वीं सदी एशिया की सदी है, हम चाहते हैं कि भारत और चीन स्वस्थ और स्वाभाविक तरीके से प्रतिस्पर्धा करें. प्रतिस्पर्धा बुरी चीज नहीं है, लेकिन इसे कभी संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए.”

भारत-चीन संबंध पर

पीएम मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच संबंध नए नहीं हैं. दोनों देशों की संस्कृति और सभ्यताएं प्राचीन हैं. उन्होंने कहा, ‘‘आधुनिक दुनिया में भी, वे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. यदि आप ऐतिहासिक रिकॉर्ड को देखें तो सदियों से भारत और चीन ने एक-दूसरे से सीखा है. साथ मिलकर, उन्होंने हमेशा किसी न किसी तरह से वैश्विक भलाई में योगदान दिया है. पुराने रिकॉर्ड बताते हैं कि एक समय भारत और चीन अकेले दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद का 50 प्रतिशत से अधिक हिस्सा रखते थे. भारत का कितना बड़ा योगदान था. मेरा मानना है कि गहरे सांस्कृतिक संबंधों के साथ हमारे संबंध बेहद मजबूत रहे हैं.”

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तीन घंटे से अधिक समय तक चली बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर हम सदियों पीछे मुड़कर देखें तो भारत और चीन के बीच संघर्ष का कोई वास्तविक इतिहास नहीं है. उन्होंने कहा, ‘‘यह हमेशा एक-दूसरे से सीखने और एक-दूसरे को समझने के बारे में रहा है. एक समय चीन में बौद्ध धर्म का गहरा प्रभाव था और उस दर्शन का उद्भव भारत में हुआ. भविष्य में भी हमारे संबंध उतने ही मजबूत रहने चाहिए और आगे बढ़ते रहने चाहिए. मतभेद स्वाभाविक हैं. जब दो पड़ोसी देश होते हैं, तो कभी-कभी असहमति होती है.”

प्रधानमंत्री ने कहा कि परिवार में भी सब कुछ सही नहीं होता, लेकिन हमारा प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि मतभेद, विवाद में तब्दील नहीं हो. उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हम सक्रिय रूप से बातचीत की दिशा में काम कर रहे हैं. विवाद के बजाय, हम बातचीत पर जोर देते हैं, क्योंकि केवल बातचीत के माध्यम से हम एक स्थायी सहकारी संबंध का निर्माण कर सकते हैं, जो दोनों देशों के सर्वोत्तम हितों को पूरा करता है.”



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