लोकसभा के अंदर छोड़ा गया धुआं क्या था? ये कितना खतरनाक और किसलिए होता है इस्तेमाल?
खास बातें
- संसद पर हमले की 22वीं बरसी पर हुई सुरक्षा में चूक
- आरोपियों ने लोकसभा के अंदर छोड़ा स्प्रे
- ऑनलाइन साइट पर 75 रुपये में मिलता है कलर स्मोक
नई दिल्ली:
संसद की सुरक्षा में लगी सेंध (Parliament Security Breach) मामले में गृह मंत्रालय (Home Ministry) की बनाई गई कमिटी जांच में जुटी है. दो युवक बुधवार को लोकसभा की विजिटर्स गैलरी से कूदे और सदन में स्मोक कनिस्तर (Smoke Canisters) छोड़ा. इससे सदन में पीला धुआं (Yellow Smoke) फैल गया. वहीं, संसद के बाहर भी दो लोगों ने स्मोक कनिस्तर छोड़ा है. यह साफ तौर पर माना जा रहा है कि यह किसी तरह का आतंकी हमला नहीं था. लेकिन संसद के अंदर ऐसा क्यों किया गया? ये बड़ा सवाल है. आइए जानते हैं संसद के अंदर छोड़ा गया ये पीला धुआं क्या था और कितना खतरनाक है?
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लोकसभा के अंदर दो युवकों ने उत्पात मचाते हुए जिस स्प्रे का इस्तेमाल किया, उससे किसी को किसी तरह तरह का नुकसान नहीं पहुंचा है. यानी इससे किसी तरह का जहरीला धुआं नहीं निकला है. सिर्फ पीले रंग का धुंआ फैला. हालांकि, इससे वहां मौजूद सासंदों में बैचेनी और घबराहट फैल गई.
स्मोक ग्रेनेड के तौर पर भी होता है इस्तेमाल
जानकारी के मुताबिक, आमतौर पर इस तरह के हथियार का इस्तेमाल स्मोक ग्रेनेड के तौर पर किया जाता है. आपने कई फिल्मों में देखा होगा कि आतंकियों को पकड़ने से पहले स्मोक बम या ग्रेनेड फेंका जाता है. ये एक पतले कैन की तरह होता है. ठीक पेप्सी-कोक की कैन जैसा. ऐसे कैन से इससे भूरे या पीले रंग का धुंआ निकलता है.
ऑनलाइन पर आसानी से मिलता है स्मोक स्प्रे
संसद के अंदर आरोपियों ने जो स्प्रे किया, उसके कनिस्तर पर ‘क्रिएटिव कलर स्मोक’ लिखा था. ये ऑनलाइन साइट पर आसानी से उपलब्ध है. एक कलर स्मोक की कीमत करीब 75 रुपये है.
कलर स्मोक के 100% सेफ होने का दावा
कलर स्मोक बेचने वाली एक ऑनलाइन वेबसाइट ने डिस्क्रिपटर में इस प्रोडक्ट को फोटोग्राफी और विजुअल प्रेजेंटेशन के लिए बेस्ट एक्सपीरिएंस बताया है. वेबसाइट ने बताया कि वेंडिग शूट, फिल्मों, एड, टीवी और प्ले के विजुअल के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है. वेबसाइट ने दावा किया है कि ये कलर स्मोक 100% सेफ है.
नाम न छापने की शर्त पर एक कैबिनेट मंत्री ने कहा, “शुक्र है कि ये सिर्फ स्मोक बम थे. अगर ये घातक रासायनिक विस्फोटक होते तो क्या होता? परिणाम भयावह हो सकते थे.”
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