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तिहाड़ से कब तक और कैसे बाहर निकलेंगे केजरीवाल, कोर्ट से जेल तक की पूरी प्रक्रिया जानिए

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लोकसभा चुनाव के बचे चार चरणों में चुनाव प्रचार कर पाएंगे. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री को बड़ी राहत दी. दिल्ली शराब घोटाले में 21 मार्च को गिरफ्तार किए और 1 अप्रैल को तिहाड़ भेजे गए केजरीवाल को 1 जून तक अंतरिम जमानत मिल गई. उन्हें 2 जून को कोर्ट में सरेंडर करना होगा. केजरीवाल के वकील की तरफ से हालांकि जुलाई तक के लिए अंतरिम जमानत मांगी गई थी, लेकिन कोर्ट ने इस मांग को नहीं माना. लोकसभा चुनाव के बीच आम आदमी पार्टी के लिए यह बड़ी खबर है. बाकी बचे चार चरणों में दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में भी चुनाव होने हैं. AAP इन तीनों राज्यों में चुनावी मैदान में है. आम आदमी पार्टी को सुप्रीम कोर्ट से तो खुशखबरी मिल गई है, लेकिन तिहाड़ में बंद केजरीवाल कब तक बाहर आए पाएंगे, इसके लिए कोर्ट से लेकर जेल तक की एक पूरी प्रक्रिया है. जानिए क्या है यह प्रोसेस और कब तक तिहाड़ से बाहर निकल जाएंगे केजरीवाल…

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बता दें कि तिहाड़ प्रशासन का कहना है जेल मैन्युअल के हिसाब से किसी भी कैदी का रिलीज ऑर्डर ट्रायल कोर्ट से आता है. अगर सुप्रीम कोर्ट से स्पेशल आदेश आएगा तो उस ऑर्डर को पढ़कर उसी हिसाब से फैसला लिया जाएगा. तिहाड़ जेल के पास ऑर्डर सुप्रीम कोर्ट से जाए या राउज एनेव्यू से… ऑर्डर मिलने के दो घंटे के बाद रिहा कर दिया जाता है.

2 जून को करना होगा आत्मसमर्पण 

आज न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने कहा कि कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन मामले में गिरफ्तार केजरीवाल को दो जून को आत्मसमर्पण करना होगा और जेल वापस जाना होगा. पीठ ने केजरीवाल के वकील अभिषेक सिंघवी के इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया कि उन्हें चार जून को होने वाली मतगणना के एक दिन बाद पांच जून तक अंतरिम जमानत दी जाए. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की इस मांग को खारिज कर दिया. 

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च को ईडी ने गिरफ्तार किया था.

ईडी ने किया अंतरिम जमानत का विरोध

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने चुनाव प्रचार के आधार पर केजरीवाल को अंतरिम जमानत दिए जाने का विरोध करते हुए आज न्यायालय में कहा कि ऐसा कोई पूर्व उदाहरण नहीं है. न्यायालय ने कहा कि केजरीवाल को 21 दिन के लिए अंतरिम जमानत देने से कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा. शीर्ष अदालत मामले में केजरीवाल की गिरफ्तारी को बरकरार रखने के दिल्ली उच्च न्यायालय के पिछले महीने के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी याचिका पर सुनवाई कर रही थी.

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