JEE एग्जाम क्लियर नहीं हुआ तो दिल्ली में 17 साल की लड़की ने बिल्डिंग से कूदकर दे दी जान
JEE एग्जाम में फेल होने पर लड़की ने की खुदकुशी.
दिल्ली के जामिया नगर इलाके में 12वीं क्लास की छात्रा ने बिल्डिंग से कूदकर खुदकुशी (Delhi Girl Suicide) कर ली. वजह सिर्फ इतनी थी कि वह JEE का एग्जाम क्लियर नहीं कर पाई थी. एग्जाम क्लियर न कर पाने से निराश और हताश 17 साल की लड़की ने बिल्डिंग से चलांग लगाकर जान दे दी. यह घटना शुक्रवार की बताई जा रही है. घटना का सीसीटीवी फुटेज सामने आया है. इस फुटेज में दिखाई दे रहा है कि एक शख्स नीचे खड़े होकर फोन पर बात कर रहा ह. तभी अचानक एक लड़की ऊपर से नीचे गिर पड़ती है. वह शख्स इतनी तेजी से नीचे गिरी और धड़ाम की आवाज आई कि वह शख्स समझ ही नहीं पाया कि आखिर हुआ क्या.
एग्जाम में फेल होने पर खुदकुशी
बल्डिंग से नीचे गिरते ही लड़की की मौत हो गई. उससे देखते ही आसपास के लोग तुरंत इकट्ठा हो गए. हर कोई बस यही जानने की कोशिश कर रहा था कि आखिर हुआ क्या. बता दें कि उसके पास से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है, जिसमें लिखा है कि मुझे माफ़ करना मैं नहीं कर पाई.
JEE नहीं कर पाई पास, बिल्डिंग से कूदकर दी जान
दिल्ली से एक बेहद हैरान करे वाला सीसीटीवी वीडियो भी सामने आया है, जहां जामिया नगर इलाके में 12वीं क्लास की छात्रा ने बिल्डिंग से कूदकर आत्महत्या कर ली क्योंकि वो JEE परीक्षा पास नहीं कर पाई थी.मृतक लड़की की उम्र 17 साल थी.#delhi |… pic.twitter.com/ZDATlMQygQ
— The HindkeshariIndia (@ndtvindia) October 26, 2024
बच्चों पर पढ़ाई का इतना प्रेशर क्यों?
इस तरह की खबरें देश के कई हिस्सों से सामने आ रही हैं. राजस्थान के कोटा से ऐसी खबरें बड़ी संख्या में सामने आती हैं, जहां बच्चे एग्जाम पास न कर पाने या पढ़ाई का प्रेशर होने पर खुदकुशी का रास्ता अपना रहे हैं. पिछले दिनों आईआईटी एग्जाम क्लियर न कर पाने पर भी एक छात्र ने खुदकुशी कर ली थी.
क्या एग्जाम में फेल होने की कीमत मौत है!
सवाल ये उठ रहा है कि आखिर हमारे बच्चों के दिमाग पर इतना प्रेशर क्यों है कि महज एक एग्जाम क्लियर न कर पाने पर वह जान देने को मजबूर हो रहे हैं. क्या ये एग्जाम ही पूरी जिंदगी है, जो बच्चे मौत को गले लगाने से पहले एक बार भी नहीं सोच रहे. उनको अपने माता-पिता या परिवार का ख्याल एक बार भी नहीं आता है कि उनके बाद वो खुद को कैसे संभालेंगे. क्या ये मानसिक अवसाद की स्थिति है. सवाल ये भी है कि क्या एक एग्जाम बच्चों की जान से ज्यादा कीमती है.