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जब राहुल गांधी पर वार करते हुए PM मोदी ने कर दिया थरूर का जिक्र… जानें कांग्रेस सांसद ने क्या बताया?


नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार को लोकसभा में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब दिया. मोदी ने इस दौरान कांग्रेस (Congress) के नेतृत्व वाली UPA सरकार की खामियों का जिक्र किया. पूर्व PM राजीव गांधी की कुछ नीतियों की आलोचना की. वहीं, फॉरिन पॉलिसी को लेकर राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की समझ पर तीखे सवाल उठाए. लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पर वार करते हुए मोदी ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर (Shashi Tharoor) का जिक्र कर चुटकी ले ली. अब थरूर ने संसद से बाहर आकर अपना जवाब दिया है.

PM मोदी ने राहुल गांधी को विदेश में दिए गए स्पीच पर घेरा. नेता प्रतिपक्ष का नाम लिए बिना मोदी ने उन्हें अमेरिकी एनालिस्ट ब्रुस रिडेल की लिखी किताब JFK’s Forgotten Crisis: Tibet, the CIA, and the Sino-Indian War पढ़ने की सलाह दे दी. 

PM मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री ने कहा, “यहां विदेश नीति की भी चर्चा हुई, कुछ लोगों को लगता है कि जब तक फॉरेन पॉलिसी न बोलें, तब तक मेच्योर नहीं लगेंगे. ऐसे लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर सच में इस सब्जेक्ट में दिलचस्पी है. उसे समझना है और आगे जाकर कुछ करना है… तो वो एक किताब जरूर पढ़ें, इसके बाद कब और कहां क्या बोलना है, इसकी समझ आ जाएगी. किताब का नाम जेएफके की फॉरगेटन क्राइसेस है.”

मोदी ने कहा, “इस किताब में अहम घटनाओं का जिक्र किया गया है. इसमें देश के पहले PM जवाहर लाल नेहरू और अमेरिका के राष्ट्रपति जॉन एफ केनेडी के बीच की चर्चाओं का जिक्र भी है. जब देश चुनौतियों का सामना कर रहा था, तब विदेश नीति के नाम पर खेल हो रहा था. इसलिए जरा ये किताब पढ़िए.”

राहुल के लिए ये बात कहते हुए अचानक PM मोदी ने शशि थरूर की तरफ देखा. मोदी ने कहा, “ये बात मैं थरूर जी के लिए नहीं कह रहा हूं.”

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संसद के बाहर आकर क्या बोले थरूर?
जब The Hindkeshariने शशि थरूर से PM मोदी के बयान पर उनकी राय पूछी, तो कांग्रेस सांसद ने कहा, “राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी समेत विपक्ष के कई सांसदों ने सवाल पूछे. लेकिन PM ने एक भी सवाल का जवाब नहीं दिया. एक संसद में एक सीरियस डिबेट होता, तो इसका मतलब है कि विपक्ष सवाल उठाता और सरकार की जिम्मेदारी जवाब देने की होती. ऐसा नहीं हुआ. हमने दिल्ली चुनाव के मद्देनजर PM मोदी का एक राजनीतिक भाषण सुना.”

थरूर ने कहा, “PM मोदी ने जो भी उदाहरण दिए हैं. जितनी ऐतिहासिक बातें कीं. गांधी परिवार के खिलाफ जो भी कहा… मुझे समझ नहीं आता कि इसका क्या फायदा है. इन सब बातों का राष्ट्रपति के अभिभाषण से कोई लेना-देना नहीं है.”

7 साल पहले पढ़ ली है मोदी की सुझाई किताब
शशि थरूर ने बताया, “PM मोदी ने JFK’s Forgotten Crisis किताब का जिक्र किया. वो किताब मैं 7 साल पहले पढ़ चुका हूं. ये किताब अमेरिकी एनालिस्ट ब्रुस रिडेल ने लिखी है. उन्होंने लिखा कि 1963 के चीन के साथ युद्ध में उस वक्त अमेरिका ने हमारी सीक्रेट रूप से मदद करने की पेशकश की थी. कुछ मदद भेजी भी गई थी. लेकिन, ये सब कोई नई बात नहीं है. हम लोग ये बात जानते थे. मुझे नहीं मालूम की इस विषय को अभी उठाने की क्या जरूरत महसूस हुई.”

कठिन अंग्रेजी शब्दों की वजह से चर्चा में रहते हैं थरूर
शशि थरूर केरल के तिरुवनंतपुरम सीट से कांग्रेस सांसद हैं. वह तमाम मामलों के जानकार हैं. थरूर कई बार अपने कठिन अंग्रेजी शब्द लिखने की वजह से चर्चा में आ चुके हैं. उन्होंने राजनीति, इतिहास, समाज और संस्कृति से संबंधित विषयों पर कई किताबें लिखी हैं. वह PM मोदी पर किताब भी लिख चुके हैं. थरूर की कुछ चुनिंदा किताबें हैं:

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Rising Star: The Making of Narendra Modi. इस किताब में थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पॉलिटिकल करियर का एनालिसिस किया है. 

Pax Indica: India and the World of the 21st Century. इस किताब में थरूर ने भारत की विदेश नीति और अंतरराष्ट्रीय संबंधों के बारे में चर्चा की है.

The Elephant, the Tiger, and the Cell Phone: India in the 21st Century. इस किताब में थरूर ने भारत के सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक बदलावों पर चर्चा की है.

An Era of Darkness: The British Empire in India. इस किताब में उन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के भारत पर पड़े प्रभाव और भारत की गुलामी के दौर के बारे में विस्तार से लिखा है.

Why I am a Hindu. इस किताब में थरूर ने हिंदू धर्म, धर्म की विविधता और भारत में इसके वर्तमान परिप्रेक्ष्य पर अपने विचार लिखे हैं.

The Great Indian Novel. यह एक ऐतिहासिक नॉवेल है, जिसमें महाभारत की कथाओं को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम और राजनीति के संदर्भ में पेश किया गया है.

The Battle of Belonging. इस किताब में थरूर ने भारत के विविधतापूर्ण समाज और ‘राष्ट्रीय पहचान’ के सवाल पर विचार किया है.


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