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जब खोला गया रत्न भंडार तो क्यों पुरी के महाराजा, जानिए क्या है पूरी कहानी

जगन्नाथ मंदिर में खोले गए आंतरिक कक्ष


नई दिल्ली:

पुरी के जगन्नाथ मंदिर के आंतरिक कक्षों को 46 साल बाद गुरुवार को खोला गया. इस दौरान मंदिर प्रांगण में भक्तों के प्रवेश को पूरी तरह से रोक दिया गया. जिस समय मंदिर प्रांगण में स्थित इन आंतरिक कक्षों को खोला गया उस दौरान प्रशासन और ASI (पुरात्तव विभाग) के अधिकारियों के साथ-साथ पुरी के राजा भी मौजूद थे. बताया जा रहा है कि इस मौके पर विशेष तौर पर पुरी के राजा को बुलाया गया था. ऐसे में अब ये जानना बेहद जरूरी है कि आखिर पुरी के राजा का जगन्नाथ मंदिर से ऐसा क्या संबंध है.  चलिए हम आपको विस्तार से बताते हैं…

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मंदिर के मुख्य सेवक हैं पुरी के राजा 

आंतरिक कक्षों को खोले जाने से पहले स्थानीय प्रशासन और ASI की टीम के अलावा विशेष तौर पर पुरी के राजा महाराजा गजपति को भी बुलाया गया था. आपको बता दें कि पुरी के राजा महाराजा गजपति जगन्नाथ मंदिर के मुख्य सेवक हैं. इस वजह से ही जब 46 साल बाद मंदिर के आंतरिक कक्षों को खोला गया तो उनकी मौजूदी वहां अनिवार्य थी. इस मौके पर मंदिर के मुख्य प्रशासक अरविंद पाढ़ी भी मौजूद थे. पुरी के राजा के अलावा इस मौके पर स्थानीय प्रशासन की तरफ से कलेक्टर और एसपी भी मौजूद थे. 

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किसने बनवाया जगन्नाथ मंदिर?

अगर बात जगन्नाथ पुरी के निर्माण की करें तो मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट पर इसके बारे में विस्तार से बताया गया है. इस वेबसाइट के अनुसार इस मंदिर को 1150 ईस्वी में ओडिशा के आसपास के इलाके में गंग राजवंश का शासन था. उस समय राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव राजा हुआ करते थे. राजा अनंतवर्मन ने ही जगन्नाथ मंदिर का निर्माण करवाया था. आज से 861 साल पहले 1161 ईस्वी में ये मंदिर बनकर तैयार हो गया था.

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आखिर क्यों खोला गया रत्न भंडार?

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के सुपरिंटेंडेंट डीबी गडनायक ने कहा कि मरम्मत के लिए रत्न भंडार खोला गया है. पहले रत्न भंडार का सर्वे होगा. जगन्नाथ मंदिर मैनेजमेंट कमिटी के चीफ जस्टिस रथ के मुताबिक दोनों रत्न भंडार के दोनों हिस्सों में नए ताले लगा दिए गए हैं. रत्न भंडार से निकाले गए कीमती सामानों की डिजिटल लिस्टिंग की जाएगी.

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क्या है जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार से जुड़ा विवाद?

1978 के बाद से जगन्नाथ मंदिर का रत्न भंडार नहीं खोला गया है. लोकसभा चुनाव के दौरान BJP और कांग्रेस ने इसे लेकर ओडिशा सरकार से कई सवाल किए थे. उस दौरान विपक्षी दलों को जवाब देते हुए राज्य सरकार ने कहा था कि ‘रत्न भंडार’ के भीतरी कक्ष की चाबी नहीं है. ऐसे में सवाल ये उठ रहा था कि आखिर इसकी चाबी गई कहां. और अगर इसकी चाबी गुम हो गई है तो इसके लिए जिम्मेदार कौन है? 

 


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