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'जब भी मालदीव को जरूरत पड़ी, भारत ने साथ दिया' : जयशंकर से मुलाकात के दौरान बोले राष्ट्रपति मुइज्जू


माले (मालदीव):

भारत को “निकटतम सहयोगियों” और “अमूल्य साझेदारों” में से एक बताते हुए मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने शनिवार को दोनों पड़ोसी देशों के बीच “ऐतिहासिक और करीबी संबंधों” को मजबूत करने के लिए अपने प्रशासन की “पूर्ण प्रतिबद्धता” की पुष्टि की है. 

भारत प्रमुख सहयोगी

मुइज्जू ने राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक समारोह के दौरान विदेश मंत्री (ईएएम) एस जयशंकर की उपस्थिति में कहा, “भारत हमेशा से सबसे करीबी सहयोगियों और अमूल्य साझेदारों में से एक रहा है, जब भी मालदीव को जरूरत पड़ी है, उसने सुविधा और सहायता प्रदान की है. मालदीव में 28 द्वीपों पर जल आपूर्ति और सीवरेज सुविधाएं, भारत सरकार की एक्ज़िम बैंक के माध्यम से लाइन ऑफ क्रेडिट (एलओसी) सुविधा द्वारा वित्त पोषित है.

भारत का धन्यवाद

अपनी टिप्पणी में, मुइज़ू ने इस बात पर प्रकाश डाला कि ये परियोजनाएं भारत के साथ मालदीव के द्विपक्षीय संबंधों में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं और महत्वपूर्ण आर्थिक लाभ प्रदान करेंगी, स्थानीय अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा देंगी और साथ में देश की समृद्धि में योगदान देंगी. उन्होंने मालदीव को “उदार और निरंतर सहायता” के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भारत सरकार और भारत के मैत्रीपूर्ण लोगों के प्रति “गहरा आभार” भी जताया.

राष्ट्रपति मुइज़ू ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारतीय अनुदान सहायता के तहत सामुदायिक विकास परियोजनाएं सामाजिक-आर्थिक विकास में दोनों देशों की घनिष्ठ भागीदारी को प्रदर्शित करती हैं. समारोह के बाद राष्ट्रपति कार्यालय ने एक बयान में कहा, “भारतीय अनुदान सहायता के तहत सामुदायिक विकास परियोजनाएं सामाजिक-आर्थिक विकास में दोनों देशों की घनिष्ठ भागीदारी को प्रदर्शित करती हैं.” उन्होंने ऋण व्यवस्था के पुनर्गठन में दिए गए लचीलेपन की भी सराहना की.

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मुइज्जू ने अपने भाषण का समापन इस बात से किया कि सदियों की दोस्ती, आपसी सम्मान की मजबूत भावना ने मालदीव और भारत के बीच संबंधों को पोषित किया है. मालदीव के लोग भारतीय लोगों के साथ गहरे और ऐतिहासिक संबंधों को महत्व देते हैं और इसके संरक्षण और संवर्द्धन के लिए प्रतिबद्ध हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर के साथ अपनी मुलाकात के दौरान, मालदीव के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए अपनी हालिया भारत यात्रा को भी याद किया और प्रधानमंत्री के साथ-साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मिलने के निमंत्रण और अवसर की सराहना की.

इससे पहले जयशंकर ने दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग बढ़ाने पर चर्चा के लिए मालदीव के रक्षा मंत्री मोहम्मद घासन मौमून के साथ द्विपक्षीय बैठक की. चर्चा समुद्री सुरक्षा के लिए संयुक्त पहल और क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के साझा लक्ष्य पर केंद्रित थी.

विदेश मंत्री ने मालदीव के विदेश मंत्री मूसा ज़मीर और देश के जलवायु परिवर्तन, पर्यावरण और ऊर्जा मंत्री थोरिक इब्राहिम के साथ माले के लोनुज़ियाराय पार्क में एक प्रतीकात्मक वृक्षारोपण समारोह में भी भाग लिया.

इसके अलावा, मालदीव के सिविल सेवा आयोग और भारत के उच्चायोग के बीच 1,000 सिविल सेवा अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए समझौता ज्ञापन का नवीनीकरण किया गया.

मालदीव के विदेश मामलों के मंत्री मूसा जमीर ने कहा, “मैंने मालदीव के समुदायों के जीवन को आगे बढ़ाने में सहायता के लिए भारत के लोगों और सरकार की हार्दिक सराहना की. मैंने द्विपक्षीय संबंध मजबूत करने के साथ क्षेत्रीय और बहुपक्षीय रूप से भारत सरकार के साथ मिलकर काम करना जारी रखने की अपनी प्रतिबद्धता भी दोहराई.

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मीडिया को संबोधित करते हुए, विदेश मंत्री जयशंकर ने जनवरी 2023 के बाद रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण हिंद महासागर द्वीपसमूह की अपनी पहली यात्रा के महत्व पर प्रकाश डाला.

उन्होंने कहा, “मालदीव हमारी ‘नेबरहुड फर्स्ट’ नीति की आधारशिलाओं में से एक है. साथ ही ग्लोबल साउथ के प्रति हमारी प्रतिबद्धता भी है. इसे मेरे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शब्दों में संक्षेप में कहें तो भारत के लिए पड़ोस एक प्राथमिकता है और पड़ोस में मालदीव एक प्राथमिकता है.” उन्होंने दोनों देशों के सामने आने वाली आम चुनौतियों और उनके रक्षा और सुरक्षा सहयोग के महत्व को भी रेखांकित किया.
 

(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को The Hindkeshariटीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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