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हाथरस हादसे के 10 गुनहगार कौन? परमिशन 80 हजार की फिर कैसे जुटे 2.5 लाख लोग


नई दिल्ली/मैनपुरी:

संत्सग. अस्पताल के बाहर बिखरी पड़ी लाशें. लावारिस सामान. टूटी चप्पलें. पानी की बोतलें. रोते-बिलखते बच्चे और अपनों को खोने का मातम मनाते लोग… हाथरस हादसे के विजुअल्स देखकर हर किसी का दिल दहल जाता है. मंगलवार को हाथरस के फुलराई गांव में नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का सत्संग था. इसी बीच बाबा की श्रद्धा के भाव में लीन भीड़ अनियंत्रित हो गई. भगदड़ ऐसी मची कि लोग एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ते गए. हादसे में अब तक 121 लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें 114 महिलाएं हैं. हादसे में घायल हुए 100 से ज्यादा लोगों का इलाज चल रहा है. 

हाथरस में जो कुछ हुआ वैसा पहली बार नहीं हुआ है. पहले भी इस तरह के हादसे होते रहे हैं. लोगों की जान जाती रही है. ऐसे मामलों में कुछ दिन हल्ला होता है. बाद में सब ठंडा पड़ जाता है. हाथरस के गुनहगार भी कमोबेश वही लोग माने जा सकते हैं, जो इस तरह के पहले हादसों में रहे हैं. आइए जानते हैं हाथरस हादसे वो 10 गुनहगार कौन हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए. 

गुनहगार नंबर 1-  भोले बाबा
हाथरस हादसे के सबसे बड़े गुनहगार खुद बोले बाबा हैं. उनके ही सत्संग में इतनी भीड़ जुटी और 121 लोगों की जान गई है. हालांकि, पुलिस ने जो FIR लिखी है, उसमें 28 लोगों को आरोपी बनाया है. लेकिन भोले बाबा का नाम इसमें शामिल नहीं है. इसका मतलब ये नहीं माना जाना चाहिए कि भोले बाबा इस हादसे के लिए जिम्मेदार नहीं हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, जब हाथरस में भक्त कुचलकर मर रहे थे, उस समय भोले बाबा अपने भक्तों को छोड़कर अपनी जान बचाने के लिए मैनपुरी भाग गए. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, भोले बाबा मैनपुरी के बिछवा स्थित अपने आश्रम में अंडरग्राउंड हो गए हैं. आश्रम के बाहर भारी पुलिस फोर्स तैनात है. इस मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह ने The Hindkeshariसे कहा था कि बाबा के खिलाफ FIR होनी चाहिए. 

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गुनहगार नंबर 2- सत्संग के आयोजक 
इस मामले में जिन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज हुई है, उनमें से 26 लोग सत्संग के आयोजन से जुड़े हुए हैं. सत्संग, धार्मिक अनुष्ठान, शोभायात्रा जैसे कार्यक्रमों में आयोजकों पर हर तरह का जिम्मा होता है. रिपोर्ट के मुताबिक, आयोजकों ने प्रशासन से सत्संग में शामिल होने के लिए 80 हजार लोगों की परमिशन ली थी. लेकिन ढाई लाख से ज्यादा भीड़ जुट गई. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या आयोजकों को इतनी भीड़ जुटने का अंदाजा नहीं था? भीड़ बढ़ने के हिसाब से इंतजाम क्यों नहीं किए गए?

गुनहगार नंबर 3- सेवादार 
हाथरस हादसे में भोले बाबा के सेवादार यानी प्राइवेट आर्मी भी गुहनगार हैं. आश्रम और सत्संग में सारी व्यवस्थाओं को देखने के लिए भोले बाबा के सैकड़ों सेवादार लगे हुए थे. ये सेवादार भीड़ के लिए पानी, खाने, बैठने का इंतजाम करते हैं. भीड़ को कंट्रोल करने की जिम्मेदारी भी इनपर थी. लेकिन इन्हीं सेवादारों पर आरोप है कि उन्होंने बाबा के पैरों की धूल लेने के लिए आगे आई महिलाओं और बाकी लोगों के साथ धक्का-मुक्की की. यहां तक कि भीड़ को तितर-वितर करने के लिए वॉटर कैनन का भी इस्तेमाल किया गया. इससे हालात बिगड़ गए. लोग खुद को बचाने के चक्कर में एक-दूसरे पर गिरने लगे. एक-दूसरे को कुचलते हुए आगे बढ़ते गए. नतीजतन 121 लोगों को जान गंवानी पड़ी. 

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गुनहगार नंबर 4- हाथरस के SDM
-सत्संग के लिए हाथरस के SDM से परमिशन ली गई थी. कलेक्टर को सौंपी रिपोर्ट में SDM ने कहा है कि वो खुद
मौके पर मौजूद थे. वहां 2 लाख से ज़्यादा की भीड़ थी. SDM बाबा के चेलों पर भीड़ के साथ धक्का-मुक्की का आरोप लगा रहे हैं. सवाल ये है कि जब परमिशन 80 हजार लोगों की थी और मौके पर ढाई लाख से ज्यादा लोग थे, तो SDM ने क्या किया?

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गुनहगार नंबर 5- सिंकदराराऊ थाना प्रभारी 
ऐसे आयोजनों के लिए इलाके के थाना प्रभारी से भी एक परमिशन लेनी होती है. सिंकदराराऊ थाना प्रभारी ने इंतजाम के लिए 40 जवान भेजे थे. 2 लाख की भीड़ होने पर थाना प्रभारी ने उन्हें संभालने के लिए अतिरिक्त जवान क्यों नहीं भेजे?

गुनहगार नंबर 6- ट्रैफिक पुलिस
सत्संग में आ रही भारी भीड़ की वजह से पूरे इलाके में ट्रैफिक का बुरा हाल था. रास्ते संकरे थे और भीड़ बहुत ज़्यादा थी. ऐसे में ट्रैफिक पुलिस के काम को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. 

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गुनहगार नंबर 7- LIU 
लोकल इंटेलिजेंस यूनिट भी हाथरस हादसे के लिए जिम्मेदार है.  LIU का काम इलाके के चप्पे-चप्पे की जानकारी रखना और हर छोटी-बड़ी गतिविधियों की खबर रखना है. इस तरह के आयोजनों से जुड़ी जानकारियां संबंधित थानों तक पहुंचाना LIU की ड्यूटी है. लेकिन इस मामले में LIU ने ऐसा नहीं किया.

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गुनहगार नंबर 8- फायर ब्रिगेड
इस तरह के आयोजनों के लिए फायर ब्रिगेड से भी NOC ली जाती है. इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई कि हाथरस में आयोजित संत्सग से पहले फायर ब्रिगेड से NOC ली गई थी या नहीं. अगर ली गई थी, तो फिर किसी भी तरह के संकट का सामना करने के लिए फायर ब्रिगेड मौके पर क्यों मौजूद नहीं था?

गुनहगार नंबर 9-  मेडिकल इंतजाम
आम तौर इस तरह के आयोजनों में निजी या सरकारी स्तर पर एंबुलेंस का इंतजाम भी किया जाता है. लेकिन सत्संग में कोई एंबुलेंस या मेडिकल टीम नज़र नहीं आई. अगर एंबुलेंस होती तो घायलों को वक्त पर अस्पताल पहुंचाया जा सकता था. शायद इससे कुछ लोगों की जान बच जाती.

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गुनहगार नंबर 10- राजनीतिक संरक्षक 
भोले बाबा के भक्तों में कई रसूखदार लोग भी शामिल हैं. बाबा को राजनीतिक दलों से जुड़े कई लोगों के संरक्षण के भी मामले सामने आते रहे हैं. आम तौर पर इस तरह का संरक्षण मिलता है, तो प्रशासन और पुलिस भी अपनी आंखें मूंद लेती है. यानी बाबा के राजनीतिक संरक्षण को भी इस हादसे का एक दोषी बताया जा सकता है. 

कब और कैसे हुआ हादसा?
हादसा मंगलवार दोपहर 1 बजे फुलरई गांव में हुआ. यहां सत्संग खत्म होने के बाद भोले बाबा निकले, तो उनके पैरों की धूल लेने के लिए महिलाएं टूट पड़ीं. कुछ बच्चे भी सामने आ गए. भीड़ हटाने के लिए वॉलंटियर्स ने वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया. बचने के लिए अफरा-तफरी का माहौल हो गया. लोग बचने के चक्कर में एक-दूसरे पर गिरने लगे. इसतरह भगदड़ मच गई. बुधवार सुबह साढ़े 11 बजे सीएम योगी भी हाथरस पहुंचे. उन्होंने अफसरों से पूरे हादसे की जानकारी ली.

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