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संविधान सभा में कौन लाया था मुस्लिम आरक्षण पर प्रस्ताव, क्यों कर दिया गया था खारिज


नई दिल्ली:

कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण के मुद्दे पर  सोमवार को लोकसभा में जमकर हंगामा हुआ.सदन की कार्यवाही शुरू होने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सदस्यों ने कर्नाटक में सरकारी ठेकों में मुस्लिम समुदाय को चार फीसदी आरक्षण का मुद्दा उठाया. इस दौरान जमकर हंगामा हुआ. इस विषय पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग ने 28 अगस्त 1947 को संविधान सभा में मुस्लिमों के लिए आरक्षण की बात की थी. लेकिन सरकार वल्लभ भाई पटेल समेत पूरी संविधान सभा ने इस मांग को अस्वीकार कर दिया था. आइए जानते हैं रिजिजू किस प्रस्ताव की बात कर रहे थे.

संविधान सभा में मुस्लिम आरक्षण की मांग

रिजिजू ने कहा कि मुस्लिम लीग 28 अगस्त 1947 को मुसलमानों के लिए आरक्षण का प्रस्ताव लेकर आई थी. उन्होंने कहा कि मुस्लिम लीग के इस प्रस्ताव को सरदार वल्लभ भाई पटेल समेत पूरी संविधान सभा ने धर्म के आधार पर आरक्षण की मांग को खारिज कर दिया था.उस समय कहा गया था कि भारत के संविधान में कोई भी आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं हो सकता है. उन्होंने कहा कि आज संविधानिक पद पर बैठा कांग्रेस का नेता कह रहा है कि मुस्लिम आरक्षण के लिए संविधान को बदला जाएगा. उन्होंने कहा कि इस तरह की बात को मंजूर नहीं किया जाएगा. उन्होंने मुस्लिम आरक्षण पर कांग्रेस से अपनी स्थिति स्पष्ट करने की मांग की.

संविधान सभा में जवाहर लाल नेहरू का प्रस्ताव

दरअसल जवाहर लाल नेहरू संविधान सभा में 13 दिसंबर, 1946 को एक प्रस्ताव लेकर आए थे. इसमें अल्पसंख्यकों और पिछड़े वर्गों के हितों की रक्षा की बात की गई थी.इस प्रस्ताव पर मुस्लिम लीग ने आपत्ति जताई थी.उसने सरकारी नौकरियों में मुसलमानों के लिए आरक्षण की मांग की.इस पर नेहरू ने मुस्लिमों के साथ-साथ दूसरे अल्पसंख्यक समूहों को सरकारी नौकरियों में आरक्षण का विरोध किया. 

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सरदार वल्लभ भाई पटेल भी अल्पसंख्यकों को किसी भी तरह के आरक्षण के खिलाफ थे. लेकिन उन्होंने यह कहा कि संविधान में केंद्र और राज्य सरकारों को यह देखना चाहिए कि अल्पसंख्यकों को सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिल रहा है या नहीं.पटेल सलाहकार समिति के प्रमुख थे. उनकी बात को संविधान सभा ने मान लिया. लेकिन मुस्लिम लीग इससे सहमत नहीं हुई. संविधान सभा ने संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था नहीं दी. हालांकि कई मुस्लिम जातियों को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के तहत आरक्षण मिलता है. लेकिन इस आरक्षण का आधार धार्मिक न होकर आर्थिक है.

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