कौन हैं डॉक्टर रेप-मर्डर से CBI की रडार में आए संदीप घोष? जहां से पढ़े, वहीं बन गए प्रिंसिपल
नई दिल्ली:
पश्चिम बंगाल के आरजी कर मेडिकल कॉलेज (RG Kar Medical College) और हॉस्पिटल में हुई रेप की घटना को लेकर देश भर में लोगों में आक्रोश देखने को मिल रहा है. इस बीच कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल सवालों के घेरे में हैं. कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष से सीबीआई ने लंबी पूछताछ की है. गौरतलब है कि जब यह घटना हुई थी उस दौरान संदीप घोष ही वहां के प्रिंसिपल थे. अब इस मामले में जांच एजेंसी संदीप घोष का ‘पॉलीग्राफ टेस्ट’ भी करवा सकती है.
संदीप घोष का कैसा रहा है अब तक का सफर?
संदीप घोष ने अपनी स्कूली शिक्षा कोलकाता के पास बोंगांव हाई स्कूल से पूरी की थी. मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों में प्रवेश के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा में सफलता हासिल करने के बाद उन्होंने आरजी कर मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई की. डॉ. घोष ने 1994 में एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की और एक आर्थोपेडिक सर्जन बने. साल 2021 में वो आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल बने. इससे पहले, उन्होंने कलकत्ता नेशनल मेडिकल कॉलेज में उप-प्रिंसिपल के रूप में कार्य किया था. बंगाल मीडिया की रिपोर्टों के अनुसार संदीप घोष अपने छात्रों के बीच बेहद लोकप्रिय रहे हैं. एक प्रशासक के तौर पर भी उनका बेहद सम्मान रहा है.
संदीप पर लगे थे भ्रष्टाचार के आरोप
प्रिंसिपल के तौर पर कार्यभार संभालने के बमुश्किल दो साल बाद, आरजी कर मेडिकल कॉलेज के पूर्व उपाधीक्षक अख्तर अली ने राज्य सतर्कता आयोग में संदीप घोष के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी. जिसमें संदीप घोष के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए गए थे. शिकायत में डॉ घोष और अन्य पर सरकारी धन की बर्बादी, वित्तीय नियमों की अनदेखी, विक्रेताओं को चुनने में भाई-भतीजावाद और उनसे रिश्वत लेने और संविदा कर्मचारियों की भर्ती में अनियमितताएं करने का आरोप लगाया गया था. अली ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया था कि उन्होंने पहले भी इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की थी, लेकिन पश्चिम बंगाल स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के अध्यक्ष डॉ. सुदीप्त रॉय ने उन्हें बर्खास्त करने की धमकी दी थी.
संदीप घोष पर नहीं हुई कोई कार्रवाई
शिकायत पिछले साल जुलाई में की गई थी. उस समय, अली राज्य स्वास्थ्य भर्ती बोर्ड के उपाधीक्षक थे. दरअसल, शिकायत के तुरंत बाद भ्रष्टाचार निरोधक शाखा ने प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर डॉ. घोष के खिलाफ आरोपों की जानकारी दी. लेकिन पिछले एक साल में, डॉ घोष के खिलाफ कोई स्पष्ट कार्रवाई नहीं की गई और वह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल बने रहे.
संदीप घोष ने पद से दे दिया था इस्तीफा
9 अगस्त की सुबह आरजी कर मेडिकल कॉलेज के सेमिनार हॉल में एक 31 वर्षीय डॉक्टर का शव मिला, जिससे पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई. पता चला कि डॉक्टर के साथ बलात्कार किया गया था. घटना को लेकर एक के बाद एक खुलासे होने लगे, संदीप घोष पर पीड़िता को दोषी ठहराने का आरोप लगाया गया. उन्होंने इन आरोपों से इनकार किया और कहा कि उन्होंने प्रिंसिपल पद छोड़ने का फैसला किया है क्योंकि वह “अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकते”.
जांच के घेरे में संदीप घोष
डॉक्टर के मृत पाए जाने के बाद संदीप घोष और अस्पताल प्रशासन की प्रतिक्रिया की कलकत्ता उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय दोनों में कड़ी आलोचना हुई है. उच्च न्यायालय ने कहा कि “जब मृतक पीड़िता अस्पताल में कार्यरत एक डॉक्टर थी, तो यह आश्चर्यजनक है कि प्रिंसिपल/अस्पताल ने औपचारिक शिकायत क्यों दर्ज नहीं की. यह, हमारे विचार में , एक गंभीर चूक थी, जिसने संदेह को जगह दी. “
हाई कोर्ट ने उनके इस्तीफे के कुछ घंटों बाद डॉ. घोष को दूसरे कॉलेज का प्रिंसिपल नामित करने की राज्य सरकार की “अत्यावश्यकता” पर भी सवाल उठाया.
सुप्रीम कोर्ट ने भी एफआईआर दर्ज करने में देरी के लिए डॉ घोष और अस्पताल प्रशासन की खिंचाई की और उनके पद छोड़ने के तुरंत बाद उनकी नियुक्ति पर भी सवाल उठाया. संदीप घोष से अब सीबीआई पूछताछ कर रही है. वह आज छठी बार एजेंसी के अधिकारियों के सामने पेश हुए. पिछले पांच दिनों में उनसे 60 घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की जा चुकी है. राज्य सरकार द्वारा भ्रष्टाचार और बलात्कार-हत्या पीड़िता की पहचान को कथित तौर पर उजागर करने के मामले में भी उनकी जांच की जा रही है.
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