मणिपुर हिंसा कौन करा रहा? क्या आतंकवादी की रिहाई चाहते हैं अपहरणकर्ता?
Manipur Violence: मणिपुर में काफी समय मैतेई और कुकी समाज में हिंसक झड़प चल रही है.
Manipur Violence: मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने आज हिंसा प्रभावित राज्य की स्थिति और अपहरण किए गए दो लोगों को बचाने पर चर्चा करने के लिए सभी विधायकों की एक बैठक बुलाई. मुख्यमंत्री ने दावा कि इन 2 लोगों का अपहरण कुकी उग्रवादियों ने किया है. सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें मैतेई समुदाय के दो लोग मुख्यमंत्री से जान बचाने की गुहार लगा रहे हैं. सफेद टी-शर्ट पहने इन दो लोगों ने मुख्यमंत्री से उनके अपहरणकर्ताओं की मांग तुरंत मानने का भी आग्रह किया है. The Hindkeshariस्वतंत्र रूप से इस वीडियो प्रमाणिक नहीं कर सका है, इसीलिए उसे साझा नहीं कर रहा.
सेना द्वारा कल बचाए गए तीन लोगों में से एक के माता-पिता ने स्थानीय मीडिया को बताया कि मैतेई समुदाय के तीन लोग सेना भर्ती कार्यक्रम में भाग लेने गए थे, जब उनका अपहरण कर लिया गया था. मणिपुर पुलिस के सूत्रों ने The Hindkeshariको बताया कि सुरक्षा बल कल अन्य दो अपहरण किए गए लोगों का पता नहीं लगा सकी. उन्होंने सुरक्षा का हवाला देते हुए अपहरणकर्ताओं की मांग के बारे में भी विवरण देने से इनकार कर दिया.पुलिस सूत्रों ने बताया कि अपहरणकर्ताओं ने बचाए गए व्यक्ति की पिटाई की है.उसकी पहचान निंगोम्बम जॉनसन सिंह के रूप में हुई है. उसके गाल सूजे हुए थे. उसके शरीर पर कई चोटें थीं और उसके हाथ पर घाव था.
किसकी रिहाई चाहते हैं?
दो लापता व्यक्तियों की पहचान ओइनम थोइथोई सिंह और थोकचोम थोइथोइबा सिंह के रूप में की गई है. उनके माता-पिता ने सोशल मीडिया पर अपहरणकर्ताओं से उन्हें बिना किसी नुकसान के रिहा करने की अपील की है. मैतेई समुदाय के सदस्यों द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट में आरोप लगाया गया कि अपहरणकर्ताओं ने 39 वर्षीय मार्क थांगमांग हाओकिप की रिहाई की मांग की है, जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 30 मई 2022 को भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने और राष्ट्र के खिलाफ काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.पुलिस सूत्रों ने सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से प्रसारित हो रही इस कथित मांग की पुष्टि नहीं की है. हालांकि, अगर मार्क थांगमांग हाओकिप को एनआईए से मुक्त करने की मांग सच साबित होती है, तो अपहरणकर्ताओं को कट्टर आतंकवादी माना जा सकता है, और उन्हें कुकी जनजातियों के ‘ग्राम रक्षा स्वयंसेवकों’ के रूप में नहीं समझा जा सकता. मैतेई बहुल घाटी के आसपास की पहाड़ियों में कुकी जनजातियों के कई गांव हैं.