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कौन हैं साउथ की सुषमा स्वराज? जिसे BJP बना सकती है लोकसभा स्पीकर, नायडू से है खास कनेक्शन


नई दिल्ली:

केंद्र में तीसरी बार NDA की सरकार बन चुकी है. नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. कैबिनेट मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा भी किया जा चुका है. अब सबकी नजरें लोकसभा स्पीकर (Lok Sabha Speaker) के लिए नाम के ऐलान पर है. 18 जून से संसद का ग्रीष्मकालीन सत्र शुरू हो रहा है. इसी सत्र में 18वीं लोकसभा के लिए स्पीकर का चुनाव होना है. NDA सरकार में सबसे ज्यादा नंबर होने के नाते BJP अपना स्पीकर बनाना चाहती है, जबकि चंद्रबाबू नायडू की मांग है कि स्पीकर की कुर्सी पर TDP से किसी को बिठाया जाए. नीतीश कुमार की पार्टी की भी निगाहें स्पीकर की कुर्सी पर टिकी हुई हैं. इन सबके बीच एक नाम इन दिनों ज्यादा ज्यादा में हैं. ऐसी खबरें आ रही हैं कि दग्गुबाती पुरंदेश्वरी को लोकसभा का स्पीकर बनाया जा सकता है. पुरंदेश्वरी को नायडू और नीतीश कुमार की काट के रूप में भी देखा जा रहा है.

7 पॉइंट में जानिए कौन हैं दग्गुबाती पुरंदेश्वरी और उन्हें क्यों कहा जाता है साउथ का सुषमा स्वराज:-

1. दग्गुबाती पुरंदेश्वरी साउथ के बड़े नेता और आंध्र प्रदेश के पूर्व सीएम एनटी रामाराव की बेटी हैं. एनटी रामाराव ने ही टीडीपी की नींव रखी थी. दग्गुबाती पुरंदेश्वरी की बहन नारा भुवनेश्वरी से चंद्रबाबू नायडू की शादी हुई है. लिहाजा रिश्ते में पुरंदेश्वरी चंद्रबाबू नायडू की साली लगती हैं. 

2. जब चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एनटी रामा राव की सरकार का तख्तापलट किया था, तब पुरंदेश्वरी ने उनका साथ दिया था. इसके लिए उनकी काफी आलोचना भी हुई थी. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर BJP दग्गुबाती पुरंदेश्वरी का नाम स्पीकर के लिए आगे करती है, तो इस बात की संभावना ज्यादा रहेगी कि चंद्रबाबू नायडू उनके पक्ष में खड़े रहेंगे.

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3. पुरंदेश्वरी वैसे तो शांत स्वभाव की हैं. लेकिन भाषण देते वक्त उनका अंदाज अलग हो जाता है. उनके बेबाकी अंदाज की वजह से ही उनकी तुलना दिवंगत सुषमा स्वराज से की जाती है. उन्हें साउथ का सुषमा स्वराज कहा जाता है.

4. दग्गुबाती पुरंदेश्वरी 5 भाषाओं की जानकार हैं. वो हिंदी, अंग्रेजी, तमिल, तेलुगू और फ्रेंच बोल और लिख सकती हैं. इसके साथ ही कुचिपुड़ी में भी वो माहिर हैं.

5. पहले पुरंदेश्वरी TDP में थीं. लेकिन चंद्रबाबू नायडू के समय उन्हें पार्टी में साइडलाइन होने का डर सताने लगा था. लिहाजा उन्होंने 2004 में कांग्रेस का हाथ थाम लिया. पुरंदेश्वरी 2009 में केंद्र की मनमोहन सरकार में मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री भी रह चुकी हैं. 2012 में उन्हें UPA सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय में राज्य मंत्री का पद दिया गया. 

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6. आंध्र प्रदेश को बांटकर दो राज्य बनाने के मसले पर पुरंदेश्वरी कांग्रेस से नाराज हो गई थीं. तब उन्होंने कहा था कि जिस तरह कांग्रेस ने तेलंगाना राज्य बनाने के लिए आंध्र प्रदेश का विभाजन किया है, उससे उन्हें बहुत दुख पहुंचा है. उनके पास कांग्रेस छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं बचा था. 7 मार्च 2014 को उन्होंने कांग्रेस का हाथ छोड़कर BJP ज्वॉइन कर लिया. मौजूदा समय में वो आंध्र प्रदेश की बीजेपी अध्यक्ष हैं. 

7. पुरंदेश्वरी कम्मा समुदाय से ताल्लुक रखती हैं. चंद्रबाबू नायडू भी कम्मा समुदाय के हैं. आंध्र प्रदेश की राजनीति में यह प्रभावशाली समुदाय है. कम्मा समुदाय को TDP का ट्रेडिशनल वोटर माना जाता है. साफ है कि डी पुरंदेश्वरी के बहाने BJP नायडू की पार्टी TDP के ट्रेडिशनल वोटर्स में सेंध लगाना चाहती है.

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