महाराष्ट्र का अगला मुख्यमंत्री कौन? एकनाथ शिंदे ने दिया सीधा जवाब; गांव जाने की वजह भी बताई
‘महायुति सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं’
एकनाथ शिंदे ने कहा कि बीजेपी राज्य के नये मुख्यमंत्री के बारे में फैसला करेगी, जिसे उनका पूरा समर्थन प्राप्त होगा और उन्होंने कहा कि सरकार गठन को लेकर महायुति सहयोगियों के बीच कोई मतभेद नहीं है.
एकनाथ शिंदे ने गांव जाने की भी बताई वजह
सतारा के पैतृक दारे गांव में पत्रकारों से शिंदे ने कहा कि सरकार गठन पर बातचीत चल रही है और सभी फैसले महायुति के तीन सहयोगियों-शिवसेना, भाजपा और राकांपा की आम सहमति से लिए जाएंगे. एकनाथ शिंदे ने कहा कि वह नियमित रूप से अपने गांव आते हैं. उनके इस दौरे पर कोई भ्रम क्यों होना चाहिए. जब उन्होंने पिछले हफ्ते सीएम पद पर अपना रुख साफ कर दिया था.
‘कई कल्याणकारी योजनाएं चालू की’
एकनाथ शिंदे ने आगे कहा कि हमने आज तक के इतिहास में दो से ढाई साल के अंदर इतने बड़े पैमाने पर विकास और जनता के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चालू की हैं. इतनी योजनाएं ढाई साल में करने वाली यह ऐतिहासिक सरकार है. यह सुनहरे अक्षरों में लिखा जाएगा. हमारी सरकार आम आदमी की सरकार है. जो हम कहते थे वो करके दिखाया है.
जनता ने हमें ढाई साल में इतना बड़ा आशीर्वाद दिया है कि पूरी तरह विपक्ष को विपक्ष नेता भी नहीं मिला है. इससे पता चलता है कि हमने इतने कम समय में जो इतना काम किया है ये उसका नतीजा है. मैंने अपनी भूमिका साफ कर दी है. पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह मुख्यमंत्री का फैसला लेंगे. वो जो कहेंगे उन्हें हमारा समर्थन है.
सरकार स्थापित हो जाएगी. हमारे सभी तीनों दलों में समन्वय है. हमें क्या मिला यह हमारा फैसला नहीं है, महाराष्ट्र की जनता को क्या मिले यह हमारा फैसला है. हमारी जिम्मेदारी बढ़ गई है, क्योंकि महाराष्ट्र की जनता ने हमें बहुत दिया है अभी हमें उनका विकास करना है. जन कल्याणकारी योजनाओं को आगे बढ़ाना है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि रविवार की शाम तक कुछ बड़े राजनीतिक घटनाक्रम सामने आ सकते हैं. महाराष्ट्र में महायुति के मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति स्पष्ट हो सकती है.
वहीं, महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री पद पर अभी तक फैसला नहीं होने पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता आदित्य ठाकरे ने सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने एक्स पोस्ट में कहा, ‘रिजल्ट वाले दिन के बाद एक सप्ताह से अधिक समय बीतने के बाद भी मुख्यमंत्री पर निर्णय न ले पाना और सरकार न बना पाना न केवल महाराष्ट्र का अपमान है, बल्कि उनके सबसे प्रिय चुनाव आयोग द्वारा प्रदान की गई सहायता का भी अपमान है.
To not be able to decide on a chief minister, and form government, for more than a week after result day, is not just an insult to Maharashtra (for taking our state so lightly) but also to the assistance provided by their dearest Election Commission.
It seems that rules only…
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) December 1, 2024
उन्होंने एक्स पर लिखा, ‘ऐसा लगता है कि नियम केवल विपक्षी दलों पर लागू होते हैं, जबकि नियम कुछ विशेष दलों के लिए नहीं होते हैं. सरकार बनाने का दावा पेश किए बिना और माननीय राज्यपाल को संख्या बल दिखाए बिना, एकतरफा तरीके से शपथ ग्रहण की तारीख घोषित करना शुद्ध अराजकता है और इस सब में कार्यवाहक मुख्यमंत्री छुट्टी पर हैं. महाराष्ट्र उन लोगों के लिए कोई प्राथमिकता नहीं है जो सरकार बना सकते हैं. वे अपनी दिल्ली यात्राओं का आनंद ले रहे हैं.
आदित्य ठाकरे ने एक्स पर लिखा, ‘राष्ट्रपति शासन? क्या यह अब तक लागू नहीं हो जाना चाहिए था? क्या ऐसा नहीं होता, अगर विपक्ष के पास संख्या बल होता और निर्णय लंबित होता? वैसे भी, जो भी अंततः शपथ लेगा, उसे हमारी बधाई, ईसीआई के आदेश के लिए धन्यवाद.’