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ऋषि सुनक को हार के गम में जीत की खुशी देने वाली ये शिवानी कौन हैं?


नई दिल्ली:

ब्रिटेन चुनाव में इस बार कंजर्वेटिव पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. चुनाव में अबकी बार लंबे वक्त बाद लेबर पार्टी ने कमाल का प्रदर्शन किया. इन चुनावों में एक नाम ऐसा भी है, जिसकी खूब चर्चा हो रही है. ये नाम हैं गुजराती मूल की व्यवसायी शिवानी राजा का. शिवानी राजा इसलिए भी सुर्खियां बटोर रही हैं, क्योंकि उन्होंने एक ऐसी सीट पर जीत हासिल की, जिस पर लंबे समय से लेबर पार्टी का दबदबा था. शिवानी की ये जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि कंजर्वेटिव पार्टी को चुनाव में बड़ी हार का मुंह देखना पड़ा. शिवानी राजा ने लेबर पार्टी के उम्मीदवार को लीसेस्टर ईस्ट से हराया. इन चुनावों में ऋषि सुनक को जो हार मिली है, यकीनन शिवानी की इस जीत से उनकी हार की टीस थोड़ी कम जरूर हुई होगी.

कौन हैं शिवानी राजा

गुजराती मूल की व्यवसायी शिवानी राजा ने लीसेस्टर में लंदन के पूर्व डिप्टी मेयर, लेबर उम्मीदवार राजेश अग्रवाल को हराया, जो 10,100 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. लीसेस्टर ईस्ट पर 1987 से लेबर पार्टी का कब्जा था. शिवानी राजा का जन्म लीसेस्टर में हुआ था, उनकी मां राजकोट से यूके चली गईं और उनके पिता गुजराती हैं, जो 1970 के दशक में केन्या से चले गए थे. राजा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि मतदाताओं ने बहुत ही निराश महसूस किया और यही वजह है कि उन्हें लोगों का जबरदस्त समर्थन मिला. 

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शिवानी की जीत क्यों ऐतिहासिक

गुजराती मूल की उम्मीदवार शिवानी राजा ने लीसेस्टर ईस्ट सीट से जीत हासिल की है जहां पूर्व सांसद क्लाउड वेब्बे और कीथ वाज भी खड़े थे. साथ ही उन्होंने इस सीट से लंदन के डिप्टी मेयर राजेश अग्रवाल को भी हरा दिया. जो कि निर्दलीय तौर पर चुनावी मैदान में खड़े हुए थे. शिवानी की ये जीत इसलिए भी बड़ी है क्योंकि लीसेस्टर ईस्ट को लेबर पार्टी का गढ़ माना जाता है और यह 37 वर्षों में पहली मौका है कि जब वहां किसी कंजरवेटिव पार्टी कैंडिडेट ने जीत का परचम पहराया. शिवानी राजा ने आम चुनाव 2024 में 14,526 वोट हासिल किए और लेबर उम्मीदवार राजेश अग्रवाल से 4,426 वोटों से आगे रहीं.

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ब्रिटेन चुनाव में भारतीय मूल के कितने उम्मीदवार

शिवानी राजा ने अपनी जीत पर कहा, “पिछले सांसदों वास्तव में लोगों के लिए खड़े नहीं हुए थे, इसलिए वे राजनेताओं पर भरोसा खो चुके थे. वे इस बात से भी निराश थे कि पिछले सांसद दंगों के दौरान लीसेस्टर के लिए खड़े नहीं हुए और किसी से बात करने से पहले हिंदुओं को दोषी ठहराया.” इस बार चुनावों में 30 भारतीय मूल के लोगों को कंजर्वेटिव पार्टी ने उम्मीदवार बनाया था. वहीं लेबर पार्टी ने 33 भारतीय-ब्रिटिश को कैंडिडेट बनाया था. लिबरल डेमेक्रेट्स ने 11, ग्रीन पार्टी ने 13, रिफॉर्म यूके ने 13 और अन्य 7 भारतीय मूल के उम्मीदवार इस बार चुनावी मैदान में थे.



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