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रूस-यूक्रेन वॉर : कौन जीत रहा है और अब तक कितने एरिया पर किया कब्जा


नई दिल्ली:

Russia Ukraine War: यूक्रेन पर रूस का फुल स्केल आक्रमण 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ था. पश्चिमी अधिकारियों ने शुरू में अनुमान लगाया था कि यूक्रेन जल्दी ही हार जाएगा. लेकिन 1,000 दिन बाद, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के राजधानी पर कब्जा करने और यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की की सरकार और सेना को आत्मसमर्पण करने के लिए मजबूर करने की कोशिश के बावजूद कीव और अधिकांश यूक्रेन अभी भी डटा है.

यूक्रेन को नुकसान

यूक्रेन के पीछे अपने लोगों की दृढ़ता और अपने पश्चिमी साझेदारों की अभूतपूर्व सहायता मौजूद है जिसने उसे अभी तक हारने नहीं दिया है. लेकिन यूक्रेन ने अपने लगभग 20 प्रतिशत क्षेत्र और सैनिकों सहित हजारों नागरिकों को खो दिया है.  रूस अभी भी आगे बढ़ रहा है और युद्ध अभी ख़त्म नहीं हुआ है. दोनों ओर से अब घातक हमले चालू हो गए हैं. यूक्रेन जहां लंबी दूरी की मिसाइलों का प्रयोग आरंभ कर चुका है वहीं रूस ने भी इंटरमीडिएट रेंज बैलिस्टिक मिसाइल से हमला कर जवाब दे दिया है. 

पुतिन का जवाब

व्लादिमीर पुतिन ने स्पष्ट कहा था कि अमेरिका और ब्रिटेन द्वारा कीव को रूस के अंदर लक्ष्यों पर उन्नत पश्चिमी हथियार का उपयोग करने की अनुमति देने के जवाब में मॉस्को ने यूक्रेन पर एक प्रायोगिक हाइपरसोनिक मिसाइल दागी थी. रूसी राष्ट्रपति ने कहा कि एक ओरेशनिक मिसाइल का इस्तेमाल निप्रो (वर्तमान में यूक्रेन का इलाका) में एक कारखाने को निशाना बनाने के लिए किया गया था, जो पहले सोवियत संघ की शीर्ष-गुप्त रॉकेट-निर्माण सुविधा थी.

हालांकि, यूक्रेन के एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी ने दावा किया कि रूस ने जिस मिसाइल का इस्तेमाल किया वह आरएस-26 रूबेज़ थी, जिसकी मारक क्षमता 6,000 किमी तक है.

अमेरिका की मिसाइल का इस्तेमाल

यूक्रेन ने हाल ही में पहली बार अमेरिका में निर्मित लंबी दूरी की अटैकम (ATACMS) मिसाइलों का उपयोग करके रूस पर हमला किया. इसके बाद रूसी रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि उसकी धरती पर हमला हुआ था, यह दावा करते हुए कि उसकी वायु रक्षा प्रणालियों ने ब्रांस्क क्षेत्र के ऊपर छह अटैकम मिसाइलों में से पांच को मार गिराया. जहां हमला किया गया था वह डिपो कुर्स्क क्षेत्र के उत्तर में है, जहां रूस की सेनाएं लगभग 600 वर्ग किमी रूसी क्षेत्र पर कब्जा करने वाले यूक्रेनी सैनिकों को खदेड़ने की कोशिश कर रही हैं.

बाइडेन ने यूक्रेन को दी छुट

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अमेरिका में जनवरी में नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पदभार संभालने से पहले एक प्रमुख नीतिगत बदलाव में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा यूक्रेन को रूस में एटैकम मिसाइलों का उपयोग करने के लिए अधिकृत करने के एक दिन बाद ये हमले किए गए थे. 

मिसाइलों के प्रयोग की इजाजात मिलने केबाद यह हमला तब किया गया जब यूक्रेन को इसकी जरूरत थी. यूक्रेन को नए हथियारों की भी सख्त जरूरत थी क्योंकि इसकी अग्रिम पंक्ति मजबूत है और रूसी सेना 2022 के बाद से किसी भी समय की तुलना में तेज गति से युद्ध के मैदान पर बढ़त बना रही थीं.

कुर्स्क पर आक्रमण
यूक्रेन ने अगस्त में एक आश्चर्यजनक हमले में रूस के कुर्स्क क्षेत्र के कुछ हिस्सों पर कब्ज़ा कर लिया था. लेकिन क्षेत्र में लगातार बढ़त हासिल करने के बाद, अक्टूबर में यूक्रेनी सैनिकों को वहां के क्षेत्र से पीछे हटना पड़ा था. इसी दौरान रूस ने यूक्रेन के पूर्वी डोनेट्स्क क्षेत्र में भी बढ़त बना ली थी. 

रूस के साथ उत्तर कोरिया

ज़ेलेंस्की और यूक्रेनी और पश्चिमी खुफिया अधिकारियों के अनुसार, रूस ने यूक्रेनियों को कुर्स्क से बाहर धकेलने के एक नए प्रयास में उत्तर कोरिया के 10,000 सहित लगभग 50,000 सैनिकों की एक सेना जुटाई है. अब कुर्स्क को खोने से रूस के साथ किसी भी आगामी वार्ता में ज़ेलेंस्की एक महत्वपूर्ण सौदेबाजी की हथियार से वंचित हो जाएगा.

पूर्वी सीमा पर क्या है हाल

क्रेमलिन का आक्रमण थका देने वाला युद्ध बन गया है. दोनों ही पक्षों ने सीमाओं पर सैनिकों के लिए मोर्चे खोदे हुए हैं और दक्षिणी खेरसॉन क्षेत्र से लेकर उत्तर-पूर्व में खार्किव तक 1,000 किमी से अधिक लंबी सीमा रेखा कुछ इसी प्रकार की है. इस वजह से दोनों ओर की सेनाओं को आगे बढ़ने में काफी दिक्कत हो रही है. 

ट्रंप के सत्ता में पहुंचने से पहले रूस और यूक्रेन में हड़बड़ाहट

सैन्य अधिकारियों, सैनिकों और विश्लेषकों का कहना है कि अगले कुछ महीने युद्ध में महत्वपूर्ण परिणाम देखने को मिल सकते हैं.  क्योंकि यूक्रेन अपनी सुरक्षा को स्थिर करने और अपनी पूर्वी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास करेगा और रूस जल्द से जल्द अपनी स्थिति को दृढ़ करने की कोशिश करेगा. संभव है कि ट्रंप के सत्ता में आने पर यूक्रेन को रूस से बातचीत करने के लिए मजबूर भी किया जाए. 

किसका साथ देंगे ट्रंप

वहीं, मीडिया में छपी खबरों के अनुसार यूक्रेन उम्मीद कर रहा है कि ट्रंप के सत्ता संभालने के समय तक रूस आक्रमण को धीमा कर देगा और अपनी कब्ज़ा करने की चाल से पीछे हटेगा. इतना ही नहीं यूक्रेन को लगता है कि ट्रंप उनका साथ देंगे. यूक्रेन के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना ​​है कि यह साबित करने से कि वे “लड़ाके” और “विजेता” हैं, नवनिर्वाचित राष्ट्रपति को उनके साथ खड़े होने को तैयार होंगे.

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कमजोर पड़ता यूक्रेन

हालांकि यूक्रेन के अधिकारी यह भी मानते हैं कि यूक्रेन के पास अब जनशक्ति की कमी हो रही है. सैनिकों की कमी हो रही है और रूस की सेना ज्यादा ताकतवर साबित हो रही है. यूक्रेन को जल्द ही अपनी सेना में और सैनिकों को भर्ती करने की जरूरत पड़ रही है. वहीं, लोगों की ओर से सेना में भर्ती के लिए ज्यादा उत्सुक्ता दिखाई नहीं दे रही है. 

रूस ने समझौते की रखी है बड़ी शर्त

जहां तक समझौते तक पहुंचने की बात है उसको लेकर रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने कहा है कि उन्हें बातचीत में तभी दिलचस्पी होगी जब कीव उनकी सभी मांगों को स्वीकार करेगा. बड़ी बात यह है कि इसमें रूस के कब्जे को पूरे चार यूक्रेनी क्षेत्रों तक बढ़ाना भी शामिल है. माना तो यह जा रहा है कि मॉस्को के पक्ष में गति और यूक्रेनियन के पीछे हटने के साथ, क्रेमलिन के पास अब शांति वार्ता के लिए बैठने के कुछ कारण हैं.

यूक्रेन से ज्यादा रूस फायदे में

रूस के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अगस्त के बाद से रूस ने यूक्रेन में 1,200 वर्ग किमी से अधिक क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है. इसमें कुर्स्क क्षेत्र में वर्तमान में कीव के सैनिकों के कब्जे वाले क्षेत्र से दोगुना क्षेत्रफल है. 

बुनियादी ढांचे पर रूस के हमले
रूस ने युद्ध के सबसे बड़े हवाई हमलों में से एक में बीते रविवार को यूक्रेन में लगभग 120 मिसाइलें और 90 ड्रोन  से हमला किया था. इससे यूक्रेन में बिजली सुविधाओं को निशाना बनाया गया, जिससे गंभीर क्षति हुई और गर्मियों के बाद पहली बार आपातकालीन ब्लैकआउट हुआ.

हमले के बाद ज़ेलेंस्की ने कहा कि यूक्रेनी वायु रक्षा जिसमें विमान भेदी मिसाइलें, मोबाइल फायर यूनिट, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध समूह और पश्चिमी आपूर्ति वाले एफ-16 जेट शामिल हैं – ने रूस की मिसाइलों में से 140 से अधिक को मार गिराया. लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी बिजली नहीं है क्योंकि आपातकालीन टीमें सेवाएं बहाल करने के लिए काम कर रही हैं.

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ड्रोन का हुआ जमकर इस्तेमाल

गौरतलब है कि ड्रोन ने इस युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. रूस और यूक्रेन दोनों ने अपनी सैन्य रणनीतियों के हिस्से के रूप में मानव रहित ड्रोन का उपयोग किया है. यूक्रेन ने इस साल रूसी धरती पर हमला करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया है, जिसमें मॉस्को के शहर पर हमला भी शामिल है.

याद दिला दें कि 2023 में यूक्रेन ने रूस में सैन्य सुविधाओं, युद्ध सामग्री कारखानों और ऊर्जा बुनियादी ढांचे पर हमला करने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया था और अनुमान है कि रूस के काला सागर बेड़े का पांचवां हिस्सा ऐसे ही हमले की वजह से डूब गया.

रूस का यूक्रेन पर पुरजोर आक्रमण
उल्लेखनीय है  कि 24 फरवरी 2022 को दुनिया इस खबर से जगी कि रूसी मिसाइलों ने यूक्रेन में कई लक्ष्यों पर हमला किया है और सीमा पार करने के लिए टैंकों का इस्तेमाल किया था.

रूस का यह हमला पश्चिमी ख़ुफ़िया एजेंसियों की चेतावनियों के बाद भी हुआ था. माना जा रहा था कि यह जल्द ही दूसरे विश्व युद्ध के बाद यूरोप में सबसे बड़े संघर्ष में बदल जाएगा. 

मई 2023 में बखमुत पर रूस का कब्जा
मई 2023 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के शुरुआती दिनों के बाद पुतिन ने अपनी पहली बड़ी जीत का जश्न मनाया, जब उनकी सेना ने नौ महीने की भीषण लड़ाई के बाद बखमुत पर कब्जा कर लिया. यह शहर युद्ध के कारण खंडहर में बदल दिया गया था. माना जाता है कि इस लड़ाई में 30,000 लोग मारे गए.  


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