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किसे रखें, किसे छोड़ें… राहुल, अखिलेश के सामने अपनी सीटों को लेकर धर्मसंकट

कांग्रेस नेता राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव दोनों ने लोकसभा चुनाव 2024 में अच्‍छा प्रदर्शन किया है. लेकिन अब ये दोनों ही धर्मसंकट में फंस गए हैं. राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव 2024 में उत्‍तर प्रदेश की रायबरेली और केरल की वायनाड दोनों सीटों से शानदार जीत दर्ज की है. राहुल वायनाड से 3.90 लाख और रायबरेली से 3.64 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीता है यानि दोनों क्षेत्रों के लोगों में इसे लेकर कोई संशय नहीं था कि कांग्रेस नेता को ही जिताना है. लेकिन राहुल गांधी अब धर्मसंकट में फंस गए हैं. राहुल गांधी के सामनेक धर्मसंकट है कि रायबरेली छोड़ें या वायनाड? ये एक ऐसा सवाल है, जिसे लेकर कांग्रेस में बड़ी बहस चल रही हो, तो कोई अचरज की बात नहीं होगी. वहीं, करहल विधानसभा सीट से विधायक अखिलेश यादव ने इस बार कन्‍नौज लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था, जहां उन्‍होंने 1.70 लाख वोटों से जीत दर्ज की है. अब अखिलेश के सामने भी ये संकट है कि वे विधायक रहें या सांसद.  

रायबरेली के लोगों ने फिर एक बार गांधी परिवार के प्रति अपनी निष्‍ठा जाहिर की है. राहुल गांधी को 3.64 लाख वोटों के अंतर से विजयी बनाया है. 2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी सीट से राहुल गांधी को हार का सामना करना पड़ा था. ऐसे में राहुल गांधी को इस बार भी शायद पक्‍का यकीन नहीं था कि वह रायबरेली सीट जीत पाएंगे, इसलिए उन्‍होंने वायनाड से भी चुनाव लड़ा था. लेकिन राहुल गांधी का ये संशय, रायबरेली की जनता ने भरपूर वोट कर दूर कर दिया है. ऐसे में राहुल गांधी के लिए रायबरेली को छोड़ना आसान नहीं होगा. वहीं, वायनाड की जनता ने राहुल गांधी को दूसरी बार सांसद बनाया है. वायनाड की जनता ने राहुल गांधी का साथ तब दिया था, जब अमेठी से उन्‍हें हार का सामना करना पड़ा था. 2019 में भी राहुल ने वायनाड ने 4 लाख से ज्यादा वोटों के अंतर से चुनाव जीता. वैसे बता दें कि 2009 के परिसीमन के बाद वायनाड सीट बनी थी. तब से वहां कांग्रेस ही जीतती रही है, यहां की जनता हमेशा कांग्रेस के साथ रही है. वायनाड कांग्रेस के लिए सबसे सुरक्षित सीटों में से एक मानी जाती है, ऐसे में राहुल गांधी के लिए इसे छोड़ने का निर्णय लेना भी आसान नहीं होगा.  

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अखिलेश MLA रहेंगे या सांसद…?

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव करहल विधानसभा सीट से विधायक हैं. इस बार कन्‍नौज से उन्‍होंने चुनाव लड़ा और 1.70 लाख वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. उन्‍हें 6 लाख 42 हजार 292 वोट मिले. कुल वोट का 52.74% उन्‍हें मिला है. अब सवाल ये उठता है कि अखिलेश विधायक बने रहेंगे या फिर कन्‍नौज की सीट छोड़ देंगे. खबरों का बाजार गर्म है कि अखिलेश, करहल विधानसभा सीट छोड़ सकते हैं. वहां, से समाजवादी पार्टी के नेतओं ने चुनाव लड़ने की तैयारी भी शुरू कर दी है. हालांकि, इसकी कोई आधिकारिक सूचना अभी तक नहीं दी गई है. लेकिन अखिलेश यादव का ये निर्णय लेना क्‍या सही होगा, जब अगले कुछ साल बाद यूपी में विधानसभा होने हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी को राष्‍ट्रीय स्‍तर पर आगे बढ़ाने के लिए अखिलेश यादव का राष्‍ट्रीय राजनीति में होना जरूरी है. ऐसे में अखिलेश के सामने भी यह धर्मसंकट है.    

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क्‍या रायबरेली में कांग्रेस की विरासत संभालेंगी प्रियंका?

सियासी गलियारों में ऐसी अटकलें भी लग रही हैं कि रायबरेली में कांग्रेस की विरासत प्रियंका गांधी संभालेंगी. राहुल गांधी, रायबरेली की सीट छोड़ सकते हैं और फिर प्रियंका गांधी यहां से उपचुनाव लड़ेंगी. वैसे बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रियंका गांधी को रायबरेली सीट से चुनाव लड़ाने की खबरें थीं. लेकिन अंतिम समय में कांग्रेस ने यह निर्णय लिया कि रायबरेली सीट से राहुल गांधी उतरेंगे.

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