चिप के लिए दूसरे देशों पर निर्भरता क्यों 'खतरनाक' : The Hindkeshariवर्ल्ड समिट में अमिताभ कांत ने बताया

नई दिल्ली:
The Hindkeshariवर्ल्ड समिट 2024 ‘द इंडिया सेंचुरी’ ( The HindkeshariWorld Summit 2024 ‘The India Century’) में हिस्सा लेने पहुंचे G20 शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि सरकार का 76,000 करोड़ का ‘सेमीकंडक्टर मिशन’ बाजार पर संभावित चीनी नियंत्रण को देखते हुए एक महत्वपूर्ण कदम है. उन्होंने कहा कि देशों के लिए दूसरे देशों के चिप निर्माताओं पर निर्भर रहना बहुत जोखिम भरा है.
सरकार के सेमीकंडक्टर मिशन को सबसे अच्छा उपाय बताते हुए उन्होंने कहा कि ये आने वाले सालों में बड़ा बदलाव लाएगा.
उन्होंने इसे समझाने के लिए क्रिस मिलर की ‘चिप्स वॉर’ किताब का जिक्र किया. उन्होंने कहा, “इसमें कहा गया है कि अगर चीन कल ताइवान पर कब्जा कर लेता है, तो वो ऑटोमोबाइल, बैटरी, रक्षा और एयरोस्पेस को नियंत्रित कर लेगा.”
उन्होंने कहा, अब भी दुनिया भर में ग्लोबल सप्लाई चेन बुरी तरह से बाधित है, क्योंकि अमेरिका ने चीन से आयात पर भारी शुल्क लगाया है.
अमेरिका का तर्क ये है कि चीन विनिर्माण को सब्सिडी देता है, उनकी सरकार इसका समर्थन करती है. इसलिए वे वैश्विक बाजारों में प्रवेश करने के लिए अतिरिक्त उत्पादन कर रहे हैं और यही कारण है कि चीन 70 प्रतिशत ईवी बाजार, 75 प्रतिशत सौर बाजार, 74 प्रतिशत बैटरी बाजार को नियंत्रित कर रहा है. इसलिए हमें वैश्विक बाजार पर आपूर्ति की इस शक्ति को कम करना होगा.
इससे पहले आज The Hindkeshariवर्ल्ड समिट में हिस्सा लेते हुए, मोबियस कैपिटल पार्टनर्स एलएलपी के संस्थापक, मार्क मोबियस ने आशा व्यक्त की कि भारत अपने मजबूत सॉफ्टवेयर आधार और श्रमिकों की उपलब्धता को देखते हुए सेमीकंडक्टर उत्पादन में आने वाले दिनों में सबसे आगे होगा.
सरकार देश को अगला बड़ा सेमीकंडक्टर हब बनाने की दिशा में काम कर रही है. केंद्र सरकार ने लगभग 1.52 लाख करोड़ रुपये के कुल संयुक्त निवेश के साथ पांच सेमीकंडक्टर विनिर्माण प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है.