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डोनाल्ड ट्रंप ने जस्टिन ट्रूडो को 'फिदेल कास्त्रो का बेटा' क्यों कहा? क्या दोनों के बीच फिर चलती रहेगी तनातनी

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत पर उन्हें बधाई दी और कनाडा और अमेरिका के बीच दोस्ती की बात कही. ट्रूडो का कनाडा के प्रधानमंत्री के रूप में तीसरा कार्यकाल चल रहा है और ट्रंप का दूसरा कार्यकाल शुरू हो रहा है. इन दोनों नेताओं के संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं. दोनों सार्वजनिक रूप से एक-दूसरे पर कीचड़ भी उछालते रहे हैं. दो माह पहले ही सितंबर में ट्रंप ने अपनी एक किताब में जस्टिन ट्रूडो के बारे में उस अफवाह को हवा दे दी थी जिसमें कहा जाता है कि वे क्यूबा के दिवंगत तानाशाह फिदेल कास्त्रो के बेटे हैं.

डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी किताब ‘सेव अमेरिका’ में लिखा है कि ट्रूडो की मां मार्गरेट फिदेल कास्त्रो से “किसी तरह जुड़ी हुई थीं. बहुत से लोग कहते हैं कि जस्टिन उनका बेटा है.”  उन्होंने लिखा है कि, “वह (जस्टिन ट्रूडो) कहता है कि वह नहीं है, लेकिन उसे कैसे पता चलेगा!” हालांकि ट्रंप ने इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई सबूत नहीं दिया. उन्होंने सिर्फ अफवाह को हवा दी. वास्तव में कास्त्रो के ट्रूडो के पिता होने की अफवाहों को पहले भी खारिज किया जा चुका है.

जस्टिन का जन्म उनकी मां की क्यूबा यात्रा से पहले हुआ था

एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि, “कनाडाई सरकार ने इसका खंडन किया. क्यूबा ने कभी इसका दावा नहीं किया है और जस्टिन ट्रूडो के जन्म के कई साल बाद तक ट्रूडो के माता-पिता कभी क्यूबा नहीं गए.” जस्टिन ट्रूडो का जन्म 25 दिसंबर 1971 को हुआ था. यानी उनका जन्म कनाडा के तत्कालीन प्रधानमंत्री पियरे ट्रूडो और मार्गरेट की क्यूबा की आधिकारिक यात्रा से चार साल पहले हुआ था. जबकि मार्गरेट की कास्त्रो से पहली बार मुलाकात इसी यात्रा के दौरान हुई थी.

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हालांकि इन अफवाहों को परे रखकर देखें तो जस्टिन ट्रूडो और डोनाल्ड ट्रंप के बीच उनके राष्ट्रपति के पिछले कार्यकाल के दौरान और उसके बाद भी काफी उथल-पुथल भरे रिश्ते रहे हैं. डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति के पिछले कार्यकाल के दौरान जस्टिन ट्रूडो के साथ उनके रिश्ते काफी तनावपूर्ण रहे. खास तौर पर व्यापार से जुड़े विवाद हुए और वैचारिक टकराव भी बना रहा.

“क्या आप लोगों ने व्हाइट हाउस को नहीं जलाया?”

मई 2018 में एक घटना से इन दोनों नेताओं के बीच तनाव उभरकर सामने आ गया था. फोन पर बातचीत में ट्रूडो ने कनाडा के स्टील और एल्युमीनियम पर टैरिफ लगाने के ट्रंप के औचित्य पर सवाल उठाया था, क्योंकि यह “राष्ट्रीय सुरक्षा” का मुद्दा था. इसके जवाब में ट्रंप ने कथित तौर पर मजाक उड़ाया था. उन्होंने कहा था कि, “क्या आप लोगों ने व्हाइट हाउस को नहीं जलाया?” उन्होंने यह बात सन 1812 के युद्ध के संदर्भ में कही थी, जब इस कृत्य के लिए ब्रिटिश सेना के बजाय कनाडा को जिम्मेदार ठहराया गया था.

ट्रंप की इस टिप्पणी ने कनाडाई अधिकारियों को चकित कर दिया. ट्रूडो ने टैरिफ को “अपमानजनक और अस्वीकार्य” बताया था.

ट्रूडो को ट्रंप ने “बेईमान और कमजोर” बताया

क्यूबेक में जी-7 समिट में भी यह टकराव जारी रहा. ट्रूडो ने “अपमानजनक” टैरिफ के खिलाफ अपना रुख दोहराया और इस बात पर जोर दिया कि कनाडा को दबाया नहीं जाएगा. डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रूडो को “बेईमान और कमजोर” बताया. इसके साथ जवाबी कार्रवाई करते हुए सिंगापुर की अपनी उड़ान के दौरान अचानक जी-7 की संयुक्त विज्ञप्ति से अमेरिका को वापस ले लिया. 

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साल 2019 में लंदन में नाटो समिट के दौरान भी ट्रंप और ट्रूडो फिर से भिड़ गए थे. एक वीडियो में ट्रूडो दुनिया के अन्य नेताओं के साथ ट्रंप के अप्रत्याशित व्यवहार पर चर्चा करते हुए दिखाई दिए थे. इस पर ट्रम्प ने जवाब में ट्रूडो को “दो-चेहरे वाला” कहा था और नाटो के दो प्रतिशत रक्षा खर्च लक्ष्य को पूरा करने में कनाडा की विफलता की आलोचना की थी. उन्होंने ट्रूडो को “अच्छा आदमी” बताया था, लेकिन साथ में कनाडा की आलोचना की थी.

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ट्रंप का कार्यकाल समाप्त होने पर भी बने रहे थे मतभेद

जब डोनाल्ड ट्रंप सत्ता से बाहर हो गए तब भी उनके जस्टिन ट्रूडो से मतभेद जारी रहे. ट्रूडो ने साल 2023 में एक इंटरव्यू में ट्रम्प के “मेक अमेरिका ग्रेट अगेन” मूवमेंट और कनाडा में रूढ़िवादी नेताओं के बीच समानताओं का जिक्र किया. उन्होंने गर्भपात और लेस्बियन, गे, बाइसेक्सुअल, ट्रांसजेंडर वगैरह के समुदाय एलजीबीटीक्यू (LGBTQ) को अधिकारों की संभावित वापसी की बात कही.

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ट्रम्प ने ट्रूडो को “फार-लेफ्ट लूनेटिक” यानी दूर-वामपंथी पागल कहा और कनाडा सरकार के टीकाकरण विरोधी जनादेश के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे फ्रीडम कॉनवाय का समर्थन किया. ट्रम्प ने कहा, “फ्रीडम कॉनवाय शांतिपूर्वक दूर-वामपंथी पागल जस्टिन ट्रूडो की कठोर नीतियों का विरोध कर रहा है, जिन्होंने पागल कोविड जनादेश के साथ कनाडा को नष्ट कर दिया है.”

आगे कैसे रहेंगे अमेरिका-कनाडा संबंध?

डोनाल्ड ट्रंप और जस्टिन ट्रूडो के बीच अतीत में चलती रही तनातनी के उदाहरणों को देखते हुए साथ सवाल उठता है कि ट्रम्प की जीत के बाद अमेरिका और कनाडा के संबंध कैसे रहेंगे? छह नवंबर को ट्रंप दूसरी बाद राष्ट्रपति चुने गए. ट्रूडो ने ट्रंप को बधाई दी और दोनों देशों के बीच दोस्ती के बारे में बात की.

जस्टिन ट्रूडो ने एक्स पर लिखा- “डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने पर बधाई. कनाडा और अमेरिका के बीच दोस्ती दुनिया के लिए ईर्ष्या का विषय है. मैं जानता हूं कि राष्ट्रपति ट्रंप और मैं अपने दोनों देशों के लिए अधिक अवसर, समृद्धि और सुरक्षा बनाने के लिए मिलकर काम करेंगे.” 

हालांकि इससे सिर्फ 11 महीने पहले जनवरी में ट्रूडो ने कहा था कि ट्रंप का दूसरा कार्यकाल हासिल करना कनाडा के लिए मुश्किलें पैदा कर देगा. ट्रूडो ने कहा था कि, “पहली बार यह आसान नहीं था और अगर दूसरी बार भी ऐसा हुआ तो यह भी आसान नहीं होगा.”

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भारत और कनाडा के रिश्ते खराब 

कनाडा में खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के मामले को लेकर कनाडा और भारत के संबंध खराब चल रहे हैं. एक तरफ जस्टिन ट्रूडो ट्रंप के निशाने पर हैं तो दूसरी तरफ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ट्रंप के अच्छे संबंध हैं. ट्रंप और पीएम मोदी हमेशा आतंकवाद के किसी भी स्वरूप के खिलाफ एकजुट रहे हैं. ऐसे में भारत की नाराजगी झेल रहे कनाडा को आगे अमेरिका की सरपरस्ती नसीब होगी या नहीं, फिलहाल यह नहीं कहा जा सकता. 

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