देश

राज्यसभा में 'महाभारत' : सभापति जगदीप धनखड़ ने संजय और धृतराष्ट्र का जिक्र क्यों किया?


नई दिल्ली:

संसद का शीत सत्र जारी है. राज्यसभा में सोमवार को हंगामे और जीरो आवर में चर्चा की मांग को लेकर आप सांसद संजय सिंह और सभापति में मीठी नोकझोंक देखने को मिली. सदन में आखिर हुआ क्या जानिए

आप सांसद संजय सिंहः आपके सामने इस सदन के समक्ष नेता सदन जेपी नड्डा साहब ने एक प्रस्ताव रखा कि शून्य काल और प्रश्न काल अनिवार्य रूप से चलना चाहिए, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के सारे सदस्य अपनी बात रखेंगे.

संजय सिंहः इतने जरूरी विषय जब सत्ता पक्ष और विपक्ष के लगे हैं, इस पर जब सहमति जताई कि प्रश्नकाल में कोई अवरोध न पैदा किया जाए, तो सदन चलाइए.

सभापति धनखड़: मुझे कितनी पीड़ा होती होगी कि जो बात आप आज कह रहो हो, वह पहले सप्ताह में भूल गए. मेरे दिल पर चोट लगती है. मेरे दिल पर चाहे इधर से लगे या फिर उधर, से मुझे पीड़ा होती है… 

हंगामे पर टोकते हुए.. माननीय सदस्यों, संजय सिंह इस सेशन में न तो वेल में आए और न ही प्लेकार्ड दिखाया.. लेकिन संजय यह भी सोचिए  वे पांच दिन आपकी आंखों के सामने थे. सुनिए संजय सुनिए…

कल का दिन मैं कुरुक्षेत्र में था. अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव था. मुझे संजय की याद आई.कि संजय ने धृतराष्ट्र को पूरा वर्णन बताया.आपने पूरा वर्णन देखा है.पहले सप्ताह का आपने पूरा देखा है. आपने देखा है कि पहला सप्ताह कैसे धोया गया. 

जगत प्रकाश नड्डा (नेता प्रतिपक्ष) मैं अपनी बात पर कायम हूं. हम चाहते हैं कि जीरो आवर में चर्चा हो. संजय जी से मैं इतना ही कहना चाहूंगा कि विषय व्यक्ति का नहीं होता, व्यवस्था का होता है. आपका प्रश्न उठाया, वह सही था कि उस प्रस्ताव के बारे में क्यों नहीं सोचा गया, जिसे हाउस ने कुबूल किया था. यह परिस्थिति परिवेश से अपने को बदलते रहें, यह उचित नहीं है.सच्चाई यह है कि पॉजिटिव चर्चा होनी चाहिए. लेकिन जब आपके अनुकूल नहीं होता तो आप उसके विपरीत खड़े हो जाते हैं, और जब आपके अनुकूल होता है, तो जीरो आवर की चर्चा मांगते हैं. तो यह कंडिशनल नहीं होना चाहिए.

यह भी पढ़ें :-  One Nation, One Election पर JPC क्या कर रही? अध्यक्ष से जानिए कहां तक पहुंचा मामला


Show More

संबंधित खबरें

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button