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मनोज जरांगे महाराष्ट्र चुनाव में किस ओर? सारी सेटिंग करने के बाद क्यों पलटे 

Manoj Jarange U Turn: महाराष्ट्र में मनोज जरांगे के यू टर्न की काफी चर्चा हो रही है.

Maharashtra Elections: मनोज जरांगे (Manoj Jarange) का नाम पिछले एक-दो सालों से महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि पूरा देश जान गया है. मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की मांग कर रहे मनोज जरांगे ने सोमवार को ‘यू-टर्न’ लेते हुए कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी भी उम्मीदवार या पार्टी का समर्थन नहीं करेंगे और उन्होंने नामांकन पत्र दाखिल करने वाले अपने समर्थकों से अपना नाम वापस लेने को कहा. आज ही नामांकन वापस लेने का आखिरी दिन था. राज्य विधानसभा चुनाव 20 नवंबर को होंगे और मतों की गिनती 23 नवंबर को होगी. चुनावी प्रक्रिया में भाग न लेने का यह फैसला मनोज जरांगे ने काफी सोच-समझकर लिया. 

दलित-मुस्लिम-मराठा गठजोड़ फेल?  

इससे पहले दलित और मुस्लिम समुदाय के कई नेताओं से मनोज जरांगे ने मुलाकात कर दलित, मुस्लिम और मराठी गठजोड़ बनाने की कोशिश की थी. उनसे मिलने वालों में इस्लामी विद्वान सज्जाद नोमानी भी शामिल थे. वहीं दलित नेता राजरत्न आंबेडकर और आनंदराज आंबेडकर ने भी उनसे मुलाकात कर नई संभावनाओं को टटोला था. इन सबकी कोशिश थी कि एक विकल्प बनाया जाए, मगर समय के साथ इन लोगों को एहसास हुआ कि ऐसा होना मुश्किल है. मनोज जरांगे को लगा कि अगर उनके उम्मीदवार सभी सीटों पर हार जाते हैं तो मराठा समुदाय उन्हें माफ नहीं करेगा और आरक्षण का मसला एक राजनीतिक बात बनकर रह जाएगी. मराठा सूत्रों के मुताबिक मनोज जरांगे इन दस सीटों पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी में थे.इससे समझ में आएगा कि क्यों मनोज जरांगे को पीछे हटना पड़ा.

  1. केज विधानसभा क्षेत्र – केज विधानसभा SC आरक्षित सीट है. बीड जिले में आने वाली इस सीट पर बीजेपी से नमिता मुंदड़ा और एनसीपी शरद पवार गुट के पृथ्वीराज साठे मुख्य उम्मीदवार हैं.
  2. फुलम्बरी विधानसभा क्षेत्र -संभाजीनगर  जिले में आने वाली सीट पर बीजेपी अनुराधा चव्हाण और कांग्रेस से विलास औताड़े उम्मीदवार हैं. विलास औताड़े कांग्रेस के पूर्व विधायक के बेटे हैं और दोनों ही मराठा समाज से हैं.
  3. कन्नड विधानसभा – संभाजी नगर जिले में आने वाली सीट पर मराठा,राजपूत, मुस्लिम और वंजारा समाज के लोग रहते हैं. शिवसेना UBT से वर्तमान विधायक उदय सिंह राजपूत खड़े हैं. सामने शिंदे सेना से संजना जाधव हैं. संजना जाधव केंद्रीय मंत्री रावसाहेब दानवे की बेटी हैं और मजे की बात है कि संजना यहां के पूर्व विधायक हर्षवर्धन जाधव की पत्नी हैं और खुद हर्ष वर्धन जाधव भी निर्दलीय मैदान में हैं.
  4. बीड विधानसभा – यहां से योगेश क्षीरसागर एनसीपी अजित पवार की पार्टी से उम्मीदवार हैं और उनके सामने एनसीपी शरद पवार के संदीप क्षीरसागर हैं. दोनों एक ही परिवार से आते हैं. 
  5. परतुर विधानसभा -जालना जिले की परतुर विधानसभा में बीजपी से वर्तमान विधायक और पूर्व मंत्री बबनराव लोणीकर हैं. सामने शिवसेना UBT के आसाराम बोराडे हैं. दोनों ही मराठा समाज से आते हैं. यहां मराठा और वंजारा समाज बहुतायत में हैं.
  6. हिंगोली विधानसभा – यहां बीजेपी से वर्तमान विधायक तानाजी मुटकुले हैं. उनके सामने शिवसेना UBT की रूपाली पाटिल खड़ी हैं. साथ में तीन बार विधायक रह चुके भाउराव पाटिल गोरेगांवकर भी मैदान में हैं. ये रुपाली पाटिल के गांव के हैं और पुरानी राजनीतिक रंजिश है. कांग्रेस का टिकट नहीं मिलने से आजाद उम्मीदवार के रूप से लड़ रहे हैं. ये मराठा बहुल सीट है. 
  7. पाथरी विधानसभा क्षेत्र – पाथरी परभणी ज़िले की तहसील है.यहां एनसीपी अजित पवार से राजेश विटेकर उम्मीदवार हैं और कांग्रेस के वर्तमान विधायक सुरेश वरपुडकर आमने सामने हैं. हैरानी की बात है कि राजेश विटेकर की मां निर्मला भी खुद चुनाव लड़ना चाहती थीं और आजाद फॉर्म भी भरा था, लेकिन अब वापस ले लिया. राजेश विटेकर विधान परिषद सदस्य हैं.
  8. हदगांव विधानसभा -नांदेड़ जिले की ग्रामीण सीट है और विदर्भ से सटी हुई है. हदगांव से शिवसेना एकनाथ शिंदे पार्टी से संभाराव कोहलीकर उम्मीदवार हैं. सामने कांग्रेस के वर्तमान विधायक माधवराव पाटिल हैं. यहां पर संभाजी राजे की पार्टी स्वराज्य पार्टी से माधव देवसरकर भी मैदान में हैं. तीनों ही मराठा समाज से हैं.
  9. धाराशिव कलम्ब विधानसभा -यहां से उम्मीदवार एकनाथ शिंदे अजित पिंगले हैं तो सामने शिवसेना UBT कैलाश पाटिल हैं. कैलाश पाटिल वर्तमान विधायक हैं. इस विधानसभा क्षेत्र में 70 फ़ीसदी मतदाता मराठा समाज से आते हैं.
  10. भुम परंदा वाशी विधानसभा -धराशिव जिले की इस सीट पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ तानाजी सावंत एकनाथ शिंदे की पार्टी से फिर से मैदान में हैं तो सामने एनसीपी शरद पवार पार्टी से राहुल मोटे हैं. ये पहले तीन बार विधायक रह चुके हैं.
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अब किसे करेंगे सपोर्ट?

जरांगे ने सोमवार सुबह अंतरवाली सराटी गांव में पत्रकारों से कहा, ‘‘काफी विचार-विमर्श के बाद मैंने राज्य में कोई भी उम्मीदवार नहीं उतारने का फैसला किया है. मराठा समुदाय खुद तय करेगा कि किसे हराना है और किसे चुनना है. मैं किसी भी उम्मीदवार या राजनीतिक दल को समर्थन नहीं दे रहा और ना ही मेरा उनसे कोई संबंध है. मुझ पर किसी का कोई दबाव नहीं है. मराठा हितों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के आधार पर समुदाय स्वयं ही निर्णय लेगा कि उसे किसे समर्थन देना है.मराठा समुदाय को उन लोगों की मदद करनी चाहिए जो हमें यह रिकॉर्ड करके वीडियो देंगे कि वह उम्मीदवार हमारी मांगों (मराठा आरक्षण के लिए) के साथ खड़ा है.”

क्या किसी पर भरोसा नहीं?

जरांगे ने कहा कि उनके जिन सहयोगी दलों ने उनके समर्थन से विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया था, उन्होंने रविवार देर रात तीन बजे तक अपने प्रत्याशियों की सूची नहीं भेजी. उन्होंने कहा, ‘‘वे कल आए और कहा कि वे (रविवार को) शाम छह-सात बजे तक अपनी सूची भेज देंगे, लेकिन सूची नहीं पहुंची. हम 14 सीट पर चुनाव लड़ने वाले थे और 11 सीट पर फैसला लंबित था. हम एक ही समुदाय (मराठा) के वोट से चुनाव नहीं जीत सकते. हमारे पास राजनीति का लंबा अनुभव नहीं है. मैं उम्मीदवारों से अपील करता हूं कि वे अपने नामांकन पत्र वापस ले लें. मराठा आरक्षण के लिए हमारा आंदोलन चुनाव के बाद भी जारी रहेगा.इस राज्य में मराठा समुदाय के समर्थन के बिना कोई भी निर्वाचित नहीं हो सकता.” जरांगे ने यह भी कहा कि वह किसी भी उम्मीदवार को निशाना बनाना या हराना नहीं चाहते क्योंकि कोई भी हमारे काम का नहीं है. 
 

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