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राजस्थान ने अपने 9 जिले क्यों कर दिए खत्म? जानिए इस पर क्यों शुरू हो गया विवाद


नई दिल्ली:

राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार को नए साल की शुरुआत में ही विरोध प्रदर्शनों का सामना करना पड़ेगा. राज्य में नौ नए जिलों के गठन को निरस्त करने के फैसले को लेकर सरकार को विरोध झेलना पड़ रहा है. विपक्ष इस मुद्दे को लेकर आक्रामक है. बीजेपी के नेताओं का कहना है कि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने राजनैतिक स्वार्थ के लिए तय मापदंडों को परे रखकर जिलों का गठन कर दिया था. इस फैसले को अब बदल दिया गया है.

राजस्थान में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (BJP) सरकार के राज्य के नौ जिलों को समाप्त करने के फैसले के विरोध में कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं.

उल्लेखनीय है कि राज्य मंत्रिमंडल की बैठक शनिवार को हुई थी जिसमें अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य की पूर्ववर्ती सरकार द्वारा गठित नौ जिलों व तीन नए संभागों को भी खत्म करने का फैसला किया गया. हालांकि आठ नए जिलों को बरकरार रखा गया है. राज्य की पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने 17 नए जिले व तीन नए संभाग बनाने की अधिसूचना जारी की थी. इसके साथ ही तीन नए जिलों की घोषणा की थी लेकिन उसकी अधिसूचना जारी नहीं हुई थी.

मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया फैसला

मंत्रिमंडल की कल की बैठक में नौ जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर व शाहपुरा को निरस्त करने का निर्णय लिया गया था.

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राज्य में नौ जिलों को समाप्त करने के सरकार के निर्णय पर कांग्रेस समेत अन्य संगठनों ने आंदोलन की चेतावनी दी है. रविवार को शाहपुरा जिला बनाओ संघर्ष समिति के लोगों ने बाजार बंद करवाए. नीमकाथाना में टायर जलाकर प्रदर्शन किया.

पूर्व मंत्री सुखराम बिश्नोई ने दी चेतावनी

सांचौर जिला समाप्त करने के विरोध में पूर्व राज्यमंत्री सुखराम बिश्नोई ने सरकार पर राजनीतिक विद्वेष के आरोप लगाते हुए कहा कि सोमवार को कलेक्टर कार्यालय के आगे महापड़ाव करेंगे. 

अनूपगढ़ में जिला बनाओ संघर्ष समिति ने भी विरोध प्रदर्शन किया. अनूपगढ जिला बनाओ संघर्ष समिति के अध्यक्ष सुरेश बिश्नोई ने कहा, ‘‘हम लोग बहुत ठगा सा महसूस कर रहे हैं कि इतनी मेहनत के बाद जिला बनाया गया और उसके बाद उसे समाप्त कर दिया गया, इस बात को लेकर लोगों में बहुत आक्रोश है.”

नीमकाथाना में छात्र संगठनों ने बंद का आह्वान किया. पूर्व मंत्री राजेन्द्र गुढा ने कहा कि, ‘‘हम पुरजोर शब्दों में इस फैसले का विरोध करते हैं. यह जनता के साथ कुठाराघात है. हम इसके खिलाफ संघर्ष समिति बनाएंगे.”

जरूरत हुई तो कोर्ट में जाएगी कांग्रेस 

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने जिलों को समाप्त करने के फैसले की आलोचना करते हुए इसे जनमानस के खिलाफ बताया. उन्होंने कहा कि कांग्रेस जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर इस अलोकतांत्रिक, विवेकहीन फैसले के खिलाफ जन-आंदोलन चलाएगी और आवश्यकता हुई तो अदालत का रुख भी किया जाएगा.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने भी इस फैसले की निंदा की. उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने केवल राजनीतिक द्वेषता के कारण जिले समाप्त करने का जनविरोधी निर्णय किया है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी इस फैसले के खिलाफ सड़क से लेकर सदन तक जन-आंदोलन करेगी. 

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जिले का दर्ज देना व्यवहारिक नहीं था : मंत्री

संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल का कहना है कि प्रदेश में नई सरकार बनने के बाद पूर्ववर्ती सरकार के इस फैसले पर विचार करने के लिए पूर्व आईएएस ललित के पवार की अध्यक्षता में एक समिति गठित की गई थी. समिति की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई जिलों के गठन में तय मापदंडों का पालन नहीं किया गया है. ऐसे में उन्हें जिले का दर्ज देना व्यवहारिक नहीं है.

पटेल का कहना है कि मापदंडों को अनदेखा करके राजनैतिक लाभ के लिए छोटे-छोटे शहरों को भी जिलों का दर्जा दे दिया गया था. विधानसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले नए जिले बनाने का फैसला लिया गया था. यह फैसला हर दृष्टि से अव्यवहारिक था. प्रशासनिक व्यवस्थाएं लागू करना भी बड़ी चुनौती था.यही कारण है कि भजनलाल सरकार ने 3 संभागों और 9 जिलों का गठन निरस्त करने का फैसला लिया है.

(इनपुट एजेंसियों से भी)


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